जानिए, किसने बाँधी पहली राखी, क्या है पौराणिक महत्व
स्वदेश वेबडेस्क। रक्षा बंधन भाई -बहन के प्रेम का ऐसा पर्व है। जिसका इंतजार सालभर भाई एवं बहन दोनों को बराबर होता है। इस दिन एक भाई अपनी बहन के प्रति अपने कृतव्यों को जाहिर करता है, वही बहनें अपने प्रेम से भाई को सराबोर करती है। इस दिन एक बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है। फिर वह भगवान से प्रार्थना करती है की उसका भाई हमेशा खुश एवं स्वस्थ रहे। भाई बदलें में बहन को कई उपहार प्रदान करता है और बहन की हर विपत्ति में रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। ये त्यौहार सिर्फ सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझते है वो भी इसे मनाते है।
रक्षाबंधन का अर्थ -
रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बनता है। जिसका पहला शब्द "रक्षा " एवं दूसरा "बंधन " जिसका अर्थ होता है एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करता हो।यहाँ पर "रक्षा" का मतलब सुरक्षा प्रदान करने से है, वहीँ बंधन का अर्थ एक गांठ, एक डोर जो की रक्षा प्रदान करती है।रक्षा बंधन के त्यौहार को लेकर अक्सर लोगों के मन में जिज्ञासा रहती है की आखिर ऐसे क्या कारण है,जो यह त्यौहार मनाया जाता है। आइये हम आपको बताते है। इससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण कथा पहली बार कब मनाया गया,किस बहन ने अपने भाई को पहली बार राखी बाँधी।
माता लक्ष्मी और राजा बलि :-
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पहली बार माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बाँधी थी। उसी समय से ये त्यौहार मनाया जाने लगा। दरअसल, विष्णु पुराण के अनुसार भक्त प्रह्लाद का पौत्र राजा बलि एक समय बड़ा ही बलशाली हो गया था। उसने सौ अश्वमेध यज्ञ कर तीनो लोको की सत्ता को जीत लिया। इंद्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीनों लोकों का राज्य वापिस लेकर पातळ लोक का राजा बना दिया। इसके बाद भगवान ने उससे वरदान मांगने को कहा तब राजा बलि ने माँगा की प्रभु जब भी मुझे सोने से पहले और जागने के बाद सबसे पहले आपके दर्शन हो।
भगवान विष्णु ने उसे यह वरदान दे दिया। और कहा की तूने सब कुछ मांग लिया। इसके बाद भगवान विष्णु हमेशा राजा बलि के साथ पटल लोक चले गए। वहां उसके सोने जागने का पहरा देने लगे। जब यह बात माता लक्ष्मी को पता चली तो उन्होंने माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया. इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा. इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे. बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा।
माँ लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधते समय "येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलरू। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।" मन्त्र का जप किया था। इसलिए राखी बांधते समय बहनों को इस मन्त्र का जाप करना शुभ माना जाता है
द्रौपदी ने कृष्ण को बाँधी राखी -
पांडवों की पटरानी द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई पर राखी बाँधी थी। जिसके बाद भगवान ने चीरहरण के समय उनकी रक्षा की थी।
यमराज और यमुना :
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार याम राज जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये, तो यमुना दुखी हुई और माँ गंगा से इस बारे में बात की। गंगा ने यह सुचना यम तक पहुंचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं। इस पर यम युमना से मिलने आये. यम को देख कर यमुना बहुत खुश हुईं और उनके लिए विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनायीं। यम को इससे बेहद ख़ुशी हुई और उन्होंने यमुना से कहा कि वे मनचाहा वरदान मांग सकती हैं। इस पर यमुना ने उनसे ये वरदान माँगा कि यम जल्द पुनः अपनी बहन के पास आयें। यम अपनी बहन के प्रेम और स्नेह से गद गद हो गए और यमुना को अमरत्व का वरदान दिया। भाई बहन के इस प्रेम को भी रक्षा बंधन के हवाले से याद किया जाता है।