जन्माष्टमी पर करें, श्रीकृष्ण की पूजा विधि-विधानपूर्वक
नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और आनंद का माहौल वैसे तो वर्षभर ही रहता है। लेकिन जन्माष्टमी आने के बाद कई दिनों पहले से तैयारियां शुरू होने लगती हैं। जन्माष्टमी पर सभी जगह मंदिरों को अलग-अलग तरह से सजाया जाता है। इसमें मुख्य आकर्षण कृष्ण जन्मभूमि पर होता है। जो रात के समय रोशनी से जगमगा उठता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार, जन्माष्टमी पर भगवान की पूजा और भोग लगाने का भी विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का पूजन विधि-विधानपूर्वक करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण जन्म-उत्सव भादौ कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे मनाया जाता है। इस दिन प्रात:काल स्नान करके घर को साफ करें और यथासंभव घर की सजावट करें, नंदकिशोर का पालना सजाएं। भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं फिर दूध, दही, घी, शहद, शक्कर व पंचामृत से स्नान कराएं। सभी स्नान के बाद शुद्ध जल से स्नान कराके दूध से अभिषेक करें व भगवान को वस्त्र पहनाएं। आभूषण से सुशोभित कर केसर या चंदन का टीका लगाएं और फिर भगवान को पालने में सुला दें। बालगोपान की सेवा से आपको वे आनंददायक पालने का सुख देंगे। रात 12 बजे भगवान के जन्म पर आरती कर जन्मोत्व मनाएं और राशि के अनुसार भगवान का पूजन करें तो अनन्य फल प्राप्त होता है।
राशि के अनुसार करे विधि-विधानपूर्वक पूजा
मेष - लाल वस्त्र पहनाएं व कुमकुम का तिलक करें।
वृषभ - चांदी के वर्क से श्रृंगार करें व सफेद चंदन का तिलक करें।
मिथुन - लहरिया वाले वस्त्र पहनाएं व चंदन का तिलक करें।
कर्क - सफेद वस्त्र पहनाएं व दूध का भोग लगाएं।
सिंह - गुलाबी वस्त्र पहनाएं व अष्टगंध का तिलक लगाएं।
कन्या - हरे वस्त्र पहनाएं व मावे का भोग लगाएं।
तुला - केसरिया वस्त्र पहनाएं व माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
वृश्चिक - लाल वस्त्र पहनाएं व मिल्क केक का भोग लगाएं।
धनु - पीला वस्त्र पहनाएं व पीली मिठाई का भोग लगाएं।
मकर - लाल-पीला मिश्रित रंग का वस्त्र पहनाएं व मिश्री का भोग लगाएं।
कुंभ - नीले वस्त्र पहनाएं व बालूशाही का भोग लगाएं।
मीन - पीताम्बरी पहनाएं व केशर-बर्फी का भोग लगाएं।