देव दीपावली का पर्व कल, जानिए चंद्र ग्रहण का पूजा-पाठ पर क्या पड़ेगा असर ?
वेबडेस्क। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करना शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इस दिन दान, यज्ञ और मंत्र जाप का भी विशेष महत्व है। स्नान पर्व शुक्रवार 19 नवम्बर को है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाता है। इस दिन तुलसी पूजा और देव दिवाली भी है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवलोक से सभी देवी- देवता गण पवित्र नगरी वाराणसी यानि महाकाल की नगरी काशी में पधारते हैं। इसलिए कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को काशी में बहुत साज-सज्जा की जाती है। पौराणिक कथा है कि त्रिपुरासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से सभी बहुत त्रस्त हो चुके थे। तब सभी को उसके आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने उस राक्षस का संहार कर दिया। जिससे सभी को उसके आतंक से मुक्ति मिल गई। जिस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था, वह कार्तिक पूर्णिमा का दिन था। तभी से भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी पड़ा। इससे सभी देवों को अत्यंत प्रसन्नता हुई। तब सभी देवतागण भगवान शिव के साथ काशी पहुंचे और दीप जलाकर खुशियां मनाई। कहते हैं कि तभी से ही काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती रही है। इस दिन दीप दान का बहुत महत्व माना गया है। इसलिए इस दिन विशेष रूप से दीपदान किया जाता है।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव -
कार्तिक पूर्णिमा पर इस साल आंशिक चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। जिसे उपछाया ग्रहण भी कहा जाता है. आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक नियमों का पालन नहीं किया जाता है। मान्यता के अनुसार सूतक नियमों का पालन पूर्ण ग्रहण के समय ही किया जाता है। 19 नवंबर 2021 को लगने वाला चंद्र ग्रहण दिन में पड़ रह है। जिसके कारण इसका प्रभाव भारत में नहीं पड़ेगा।. इसलिए पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों पर इस ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा.