किम-ट्रम्प के कदम शांति की ओर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग के बीच ऐतिहासिक बातचीत के बाद ऐसा लगने लगा है कि वार्ता का यह कदम विश्व शांति की ओर बढ़ा हुआ एक ठोस कदम है। इतना ही नहीं इस वार्ता से फिलहाल विश्व युद्ध की संभावनाओं पर विराम भी लग गया है। अड़ियल और अहंकारी माने जाने वाले उत्तरी कोरिया के नेता किम जोंग ने सिंगापुर में अमेरिकी राष्टÑपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बैठक करके स्पष्ट कर दिया है कि उनका देश परमाणु कार्यक्रम जारी नहीं रखेगा। अमेरिका के कट्टर विरोधी और परमाणु बम चलाने की धमकियां देने वाले किम के व्यवहार में एकदम इतना बदलाव हैरान करने वाला है। यदि किम ईमानदारी से अपनी घोषणाओं को पूरा कर देते हैं तो यह दुनिया के लिए बहुत बड़ा संदेश होगा। किम-ट्रम्प की मुलाकात युद्ध के संभावित खतरों पर बड़ी जीत साबित हो सकती है।
विश्व को दो बड़े खतरों का सामना करना पड़ रहा है, आतंकवाद और ताकतवर देशों का टकराव। ताकतवर देशों के पास परमाणु हथियार हैं और इन देशों ने गुटबंदी बना रखी है। कोरियाई देशों में 65 सालों से चले आ रहे टकराव की मुख्य वजह रूस, चीन और अमेरिका के हित थे। रूस और चीन उत्तरी कोरिया की पीठ थपथपाते आए हैं और दक्षिणी कोरिया में अमेरिका अपना प्रभाव बरकरार रखना चाहता है। वैसे यह कहा जाना भी गलत नहीं होगा कि उत्तरी कोरिया के किम जोंग को ट्रंप के रूप में सवा शेर मिल गया है। यह ट्रंप की उपलब्धि है कि वह चीन और रूस के प्रभाव के बावजूद उत्तरी कोरिया को सही राह पर लाने में कामयाब हुए हैं।
ट्रंप के प्रभाव का ही असर था कि इस मुलाकात से पहले किम जोंग और दक्षिणी कोरिया के नेता ने सीमा पर सद्भावना भरी मुलाकात कर दशकों की घृणा को खत्म किया। अब वह समय आ गया है कि सीरिया सहित अन्य देशों में रूस और चीन को जंग का रास्ता छोड़ शांति के रास्ते पर चलना चाहिए। आतंक समाप्ति के लिए भी इन देशों को स्पष्ट नीति अपनानी होगी। विशेषकर पाकिस्तान जो आतंकवाद की नर्सरी के तौर पर जाना जाता है, इस संबंध में कठोर नीति अपनाई जाने की आवश्यकता है। हाफिज मोहम्मद सईद, मसूद अजहर, जकी उर रहमान लखवी के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान को औकात दिखाई जानी चाहिए। अमेरिका व चीन पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कह चुके हैं, युद्ध व आतंकवाद किसी भी देश के हित में नहीं। दुनिया के बदल रहे हालातों के अनुसार विवादों को सुलझाने पर जोर दिया जाए।