एकरस करते राम

ललित शंकर

भगवान श्रीराम जब वनवास के लिए गए तब उन्होंने उन सभी को एक साथ जोड़ दिया जो स्वयं को अकेला समझते थे। उस समय श्रीराम ने जोड़ने का जो काम किया वही काम इस समय भी भगवान श्रीराम द्वारा किया जा रहा है। लंबे सँघर्ष के बाद बन रहे भगवान राम के मन्दिर ने पूरे भारत को एक साथ जोड़ दिया है। केवल भारत को ही नहीं बल्कि नेपाल, अमेरिका, इंग्लैंड सहित विश्व के उन सभी देशों को भी भारत से जोड़ दिया है जहां भारतीय रहते हैं।

देश के हर कोने से श्री अयोध्या जी में रामलला प्राणप्रतिष्ठा के लिए कुछ न कुछ भेंट भेजी जा रही है। देश के हर कोने से राम के लिए कुछ देने की होड़ सी लगी है। इनके अतिरिक्त श्रीराम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा का निमंत्रण भी पूरे भारत को एक साथ जोड़ता दिख रहा है। श्रीराम रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने भारत के हर क्षेत्र में निमंत्रण दिया है। अभिनेता, खिलाड़ी, व्यापारी, शिक्षक, कर्मचारी, सरकार व विपक्ष के सभी नेता, कवि, इतिहासकार, अधिकारी, महिला, टीवी एंकर पत्रकार सफाई कर्मी, सहित कोई भी क्षेत्र इस निमंत्रण से अछूता नहीं रहा है। इसके अतिरिक्त राम मंदिर के विरोध में मुख्यवादी के परिवार को भी निमंत्रण दिया गया है। कारसेवा में बलिदान हुए रामभक्तों के परिवार को भी इसके लिए आमंत्रित किया गया है। कुछ नेताओं के दुर्भाग्य को छोड़ दे तो सभी ने इस निमंत्रण को सहस व उत्साह से स्वीकार किया है। ये निमंत्रण देश के हर क्षेत्र, हर जाति के लोगों को दिया गया है। भगवान राम ने सभी को पूर्व की भांति बुलावा भिजवाया है परन्तु कुछ नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया है। श्रीराम ने रावण को भी कई बार अपनी शरण मे आने का निमंत्रण भिजवाया था, कभी रावण की पत्नी मंदोदरी के रूप में, कभी रावण के भाई विभीषण व कुंभकर्ण के रूप में तो युद्ध के अंत में रावण के प्रिय पुत्र ने भी रावण को रामशरण जाने के लिए समझाया था, भगवान राम ने हनुमान जी व बाली पुत्र अंगद को भी निमंत्रण देकर अपनी शरण आने का अवसर दिया था। परन्तु घमंड में चूर रावण ने न केवल निमंत्रण अस्वीकार किया बल्कि समझाने वाले सभी का अपमान किया था। वो ही काम आज भारत का विपक्ष करता दिख रहा है। इसके अतिरिक्त चौंकाने वाली बात है ये कि आयुर्वेदा फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट तथा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के द्वारा राम जन नामक सर्वे में ये जानकारी आई है कि देश के चौहत्तर प्रतिशत मुस्लिम राम मंदिर बनने से खुश हैं। सर्वे में ये जानकारी दस हजार मुस्लिमों से बात चीत करके ली गई।

राम मंदिर बनने के बाद से कई प्रसिद्ध मुस्लिम चेहरों ने ये भी कहा है राम हमारे पूर्वज थे निमंत्रण के निचले स्तर को देखेंगे तो उसमें भी एकरसता दिखाई पड़ रही है। गांव तथा बस्ती स्तर पर समाज के बन्धु बड़ी उत्साह के साथ आपसी वैर भुलाकर सामुहिक रूप से हर घर अक्षत के रूप में आये निमंत्रण को दे रहे हंै और अक्षत मिलते ही समाज के लोग खुशी से झूम उठते हैं। इसकी वीडियो बड़ी संख्या में सोशल मीडिया पर दिखाई दे रही है। ये निमंत्रण जातिवाद को भी समाप्त करता दिख रहा है। निमंत्रण देने जा रहे राभभक्त अपने गांव व मोहल्ले के हर जाति के व्यक्ति घर जा रहे हैं। भगवान श्रीराम ने उस समय भी सभी एकसाथ जोड़ा और आज भी जोड़ रहे हैं। वर्तमान समय के एकरस वातावरण को देखकर लग रहा है कि ये राम मंदिर भारत के लिए नई चेतना लेकर आएगा। भगवान के आशीर्वाद से बन रही यही सामूहिक चेतना निश्चित ही भारतोदय का माध्यम बनेगी।

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