इस बार मातंग योग में इंदिरा एकादशी, पूर्वजों के निमित्त करे व्रत

इस बार मातंग योग में इंदिरा एकादशी, पूर्वजों के निमित्त करे व्रत
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डॉ मृत्युञ्जय तिवारी

वेबडेस्क। धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। एक साल में 24 एकादशी होती है। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग है। इस बार 21 सितंबर, बुधवार को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा । श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्यौतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 21 सितंबर, बुधवार को है। श्राद्ध पक्ष में आने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व है। है कि इस एकादशी का व्रत करने से पितरों को जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है और स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। इसलिए हर व्यक्ति को पितरों की आत्मा की शांति के लिए ये व्रत जरूर करना चाहिए। इस दिन पुष्य नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग पूरे दिन रहेगा। इसके अलावा परिघ और शिव नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन बन रहे हैं। जबकि व्रत का पारण 22 सितंबर, गुरुवार को सुबह 06.09 से 08.35 के बीच होगा । आप पितृपक्ष में किसी कारण से पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो इस दिन व्रत करने से आपके पितर प्रसन्‍न होते हैं और आपको आशीर्वाद देते हैं। इस एकादशी का व्रत करने से आपके पितरों को भी मुक्ति प्राप्‍त होती है। इस दिन भजन और कीर्तन करने से भी आपको पुण्‍य की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रताप से आपके स्‍वयं के लिए मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं।

डॉ तिवारी के अनुसार इंदिरा एकादशी व्रत में यह अवश्य करना चाहिए -

  • इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वालों को अन्‍न जल ग्रहण किए बिना भगवान विष्‍णु की पूजा करनी चाहिए।
  • विष्‍णुजी की पूजा में पीले फूल, फल और तुलसी व गंगाजल का प्रयोग जरूर करें।
  • उपवास रखने से एक दिन पहले की सात्विक भोजन करना आरंभ कर दें।
  • एकादशी का व्रत पूर्ण करने के बाद चांदी, तांबा, चावल और दही में से किसी एक वस्‍तु का दान करें।
  • एकादशी पर व्रत रखने वाले रात्रि जागरण करें और विष्‍णु सहस्‍त्रनाम का पाठ करें।

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