30 साल बाद दीपावली पर दुर्लभ संयोग, आयुष्यमान और शश योग में पूजन से होगी धनवर्षा
वेबडेस्क। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली का महापर्व सम्पूर्ण विश्व में राजा राम के अयोध्या आगमन का प्रतीक मानकर मनाया जाता है । धन और वैभव की अधिष्ठात्री देवी माता लक्ष्मी के पूजन का महापर्व दीपावली इस वर्ष 04 नवम्बर 2021 गुरूवार को चंद्र-मंगल के केंद्र तथा शनि के अपनी राशि मकर में शश नामक राजयोग की साक्षी में मनाया जाएगा । जो 60 सालों के बाद बन रहा है । ज्योतिष तथा धर्मशास्त्रीय मान्यतओं में दीपावली पर इस प्रकार के शुभ योगों का संयोग लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विशेष माना गया है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपावली पर शनि ग्रह का राजयोग कारक शश योग तथा आयुष्यमान नामक यह विशिष्ट संयोग 30 साल बाद बन रहा है ।
इसके साथ ही गुरुवार के दिन चित्रा नक्षत्र में आरंभ होकर तथा स्वाती नक्षत्र की साक्षी में प्रीति व आयुष्मान योग के संयुक्त क्रम में दीपोत्सव मनाया जाएगा । ग्रह गोचर की गणना करने पर दीपावली पर ग्रह, नक्षत्र व योगों का विशेष योग बन रहा है । जिसमें केंद्र के अंतर्गत चंद्र, मंगल, शनि का विशेष संयोग रहेगा । यह भी कहा जा सकता है कि यह उत्तरोत्तर वर्गोत्तम रहेंगे । साथ ही सूर्य, मंगल व चंद्र की युति विशेष लाभ देने वाली रहेगी । यही नहीं केंद्र में शुभ ग्रहों का योग भी सहयोगात्मक रहेगा । तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं । लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है । ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को भौतिक सुख-सुविधाओं कारक के साथ स्त्री ग्रह और व्यापारी वर्ग का माना गया है । जिसके कारण इस बार की दीवाली व्यापारी वर्ग के लिये विशेष शुभ फलदायी होगा ।
मकर राशि के शनि केंद्र में होने से बन रहा शश योग
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के लगभग सभी ग्रन्थो में पंच महापुरुष योग का उल्लेख मिलता है । उन्हीं योगों में एक शश नाम का योग भी है । यह योग शनि के स्वराशि में केंद्रगत होने से इस बार बन रहा है । यह स्थिति जनमानस के लिए अनुकूल बताई गई है । इसके माध्यम से व्यापार व्यवसाय में प्रगति का नया सूत्रपात होगा ।
4 ग्रह रहेंगे एक ही राशि में
इस साल की दीपावली अधिक महत्वपूर्ण होने वाली है, क्योंकि इस दिन 4 ग्रह एक ही राशि में रहेंगे और ऐसा संयोग दुर्लभ ही बनता है । दीपावली के दिन सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे । चूंकि तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं और वे भौतिक सुख-सुविधाओं के कारक हैं । ऐसे में यह दुर्लभ संयोग लोगों पर मां लक्ष्मी की जमकर कृपा बरसाएगा । वहीं कुछ राशियों के जातकों के लिए तो यह संयोग भाग्योदय करने वाला सिद्ध होगा । ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह अच्छी जिंदगी, सुख-सुविधाओं आदि का कारक होता है, जबकि सूर्य ग्रहों के राजा, मंगल को ग्रहों के सेनापति और बुध ग्रहों के राजकुमार माने जाते हैं। वहीं चंद्रमा को मन का कारक होता है । इसके अलावा सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता माना गया है । ऐसे में जब ये सभी शुभ ग्रह एक साथ एक ही राशि में रहते हैं तो सभी लोगों के लिए बहुत ही शुभ परिणाम देते हैं ।
दरिद्रता निवारण होगा प्रदोषकाल मे विशेष पूजन से
ज्योतिष शास्त्र मुख्यतया काल या समय का बोध कराने वाला शास्त्र है । और काल मुहूर्त देखकर ही किया कार्य विशेष फलदायी होता है, इसीलिये दीपावली पर पूजन की मान्यता मुहूर्त विशेष पर निर्भर करती है । यदि श्रेष्ठ मुहूर्त में पूजन किया जाए, तो श्रेष्ठ फल मिलता है । धर्मशास्त्र के अनुसार लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ समय प्रदोषकाल है । इसी समय वृषभ लग्न की साक्षी भी रहती है । इस बार प्रदोष काल शाम 6.20 से रात्रि 8.20 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन करना चाहिए ।