- Home
- /
- देश
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- सतना
अमानत में खयानत, पूर्व सरंपच समेत सचिव और पूर्व मैनेजर को 5 वर्ष की सजा
30-30 हजार का न्यायालय ने लगाया जुर्माना
सतना। सरकारी राशि में अमानत में खयानत के एक प्रकरण में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 ने न्यायालय ने ग्राम पंचायत झिन्ना जनपद पंचायत अमरपाटन द्वारा मनरेगा योजनाओं में की गई 4 लाख 52 हजार 634 रूपये की अनियमितताओं, भ्रष्टाचार के लिए तत्कालीन सरपंच सत्येंद्र सिंह, सचिव दीपक चौरसिया ग्राम पंचायत झिन्ना शारदा ग्रामीण बैंक झिन्ना के तत्कालीन बैंक मैनेजर अजीत चौबे, उपयंत्री सतेन्द्र पटेल, सहायक यंत्री समीर कुमार श्रीवास्तव को भारतीय दण्ड संहित की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, 477 ए के तहत 5-5 वर्ष के कारावास एवं कुल 30-30 हजार के अर्थदण्ड से एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) की सहपठित धारा 13 (2) के तहत 4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2 हजार के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
ये है मामला
विशेष लोक अभियोजक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम फखरूददीन आजमी ने अभियोजन कार्यालय के मीडिया प्रभारी संदीप कुमार ने बताया कि मार्च 2012 में ग्राम पंचायत झिन्ना अमरपाटन के तत्कालीन सरपंच सत्येंद्र सिंह, सचिव दीपक चौरसिया, शारदा ग्रामीण बैंक के मैनेजर के विरूद्ध ग्रामीण रोजगार योजना के अंतर्गत कराई जा रहे विकास कार्यों में शासकीय कर्मचारी नाबालिक, विकलांग, एवं मृतक व्यक्तियों का नाम मजदूरों के रूप में फर्जी रूप से मस्टर रोलो में भरने एवं फर्जी भुगतान करने के संबंध में ग्राम वासियों ने लोकायुक्त भोपाल को सामूहिक शिकायत की थी। शिकायत जांच उपरांत प्रथम सूचना रिपोर्ट अंतर्गत धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी एवं 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपीगणों के विरूद्ध 22 फरवरी 2013 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई।
फर्जी मस्टर रोल
विवेचना में फर्जी व्यक्तियों के नाम मस्टर रोल में भरकर शासकीय राशि का दुरुपयोग करने एवं रोड के निर्माण में कुल 4 लाख 52 हजार 634 रूपये की अनियमितता प्रमाणित पाए जाने पर आरोपीगणों के विरूद्ध वर्ष 2015 में अभियोग पत्र विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम)सतना में पेश किया गया। अभियोजन द्वारा मामले को प्रमाणित करने के लिए कल 33 गवाहों की साक्ष्य प्रस्तुत किया गया। न्यायालय द्वारा अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत गवाहों एवं दस्तावेजी साक्षों पर विश्वास व्यक्त करते हुये यह माना कि अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया गया है तथा उक्त सभी अभियुक्त गणों को कारावास के दण्ड से दण्डित किया गया है।
अस्पताल में भर्ती एक आरोपी
अभियुक्त दीपक चौरसिया के स्वास्थ खराब होने से अस्पताल में भर्ती होने के कारण वह न्यायालय में उपस्थित नही हुआ। अत: उसकी अनुपस्थिति में ही उसके विरूद्ध दोष सिद्धि का निर्णय पारित किया गया है तथा शेष आरोपीगणों को जेल वारंट बनाकर केन्द्रीय कारागार में दाखिल कराया गया है।