उचित मूल्य की दुकान में मिल रहा महंगा सामान, नमक की सरकारी कीमत एक रुपये प्रति किलो सेल्समैन वसूल रहा पांच रुपया

उचित मूल्य की दुकान में मिल रहा महंगा सामान, नमक की सरकारी कीमत एक रुपये प्रति किलो सेल्समैन वसूल रहा पांच रुपया

सतना। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में राशन मुफ्त और नमक ₹1 प्रति किलो की दर से दिए जाने का नियम है। लेकिन सतना की अधिकतर राशन दुकानों में गरीबों को नमक के नाम पर अवैध वसूली का शिकार होना पड़ रहा है। आलम यह है कि ₹1 कीमत का नमक गरीबों को 5 से ₹10 में खरीदना पड़ रहा है। ऐसे ही हालात की खबर नागौद विकासखंड की देवरी राशन दुकान से सामने आई है। यहां सेल्समैन के द्वारा उपभोक्ताओं को मनमाने तरीके से राशन वितरण किया जा रहा है। उन्हें नमक खरीदने पर अतिरिक्त पैसे देने का दंश से झेलना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि जिले की राशन दुकानों में वन्या प्लस नमक की सप्लाई शासन से निर्धारित मानक के अनुसार की जा रही है। जिले की करीब 800 दुकानों में डिमांड के अनुसार नमक उपलब्ध कराया जाता है। दुकान से राशन प्राप्त करने वाले गरीबों को ₹1 प्रति किलो में नमक बेचने का नियम है लेकिन यह नमक बड़ी आसानी से ₹5 प्रति किलो में बेचकर सेल्समेन अवैध मुनाफा कमा रहे हैं।

चेंज के नाम पर हो रहा खेल

नमक के नाम पर चल रही अवैध उगाही चेंज पैसे की आड़ में हो रही है। सेल्समेन अक्सर गरीबों से कहते हैं कि वह या तो नमक न लें या फिर ले तो ₹5 दें क्योंकि सतना में ₹1 का सिक्का चलता नहीं है और उसे रखने तथा सहेजने में बड़ी परेशानी होती है। इसी आड़ में दबाव बनाकर 1 किलो नमक ₹5 में बेच दिया जाता है और जिम्मेदार अधिकारी इस पर कोई संज्ञान नहीं लेते।

बदले में देते हैं टॉफी

शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में अधिकांश वे लोग पहुंचते हैं जो बीपीएल कार्ड धारी होते हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे लोग होते हैं जिनको शासन के नियमों और निर्देशों की कोई जानकारी नहीं रहती। ऐसे में जब कोई भी व्यक्ति एक रुपए किलो नमक की बात पर अड़ता है तो उसे ₹4 कीमत की टॉफियां थमा दी जाती है। अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत ट्रॉफी और चॉकलेट भी वितरित हो रही है? अगर ऐसा नहीं है तो फिर किसके आदेश से सेल्समेन यह हथकंडा अपना रहे हैं ? आखिर क्यों जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई नहीं करते।

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