वृद्धा मां को बेटे की मौत भी नहीं रोक पाई मतदान से

दिवंगत पुत्र के अंतिम संस्कार के बाद 75 वर्षीय बिट्टी बाई ने डाला वोट

सतना। सतना जिला मुख्यालय से तकरीबन 12 कि.मी दूर रैगांव विधानसभा अंतर्गत भरजुना गांव में 75 वर्षीय वृद्धा मां ने संकट की घड़ी में वोट डाल कर पूरे गांव को राष्ट्र के प्रति दायित्व का अनूठा संदेश दिया है। प्रदेश स्तरीय चुनाव के अंतर्गत शुक्रवार को सतना जिले की सातों विधानसभा सीटों में मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ ही हुई थी कि भरजुना निवासी 75 वर्षीय वृद्धा बिट्टी के बेटे रामसुंदर गौतम तनय स्व. सूर्यबली गौतम का आकस्मिक निधन हो गया। इस हादसे के बाद पूरे परिवार में मातम पसर गया। जैसे जिसको खबर लगी लोग वृद्धा के घर की तरफ दौड़ पड़े। पथराई आंखों से वृद्धा कभी अपने दिवंगत पुत्र की देह को देखती तो कभी एकत्र हुए गांव के लोगों को। भीड़ में कुछ लोग आपस में मतदान की भी चर्चा कर रहे थे। बेटे के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं और वृद्धा मां को राष्ट्रधर्म की भी उतनी ही चिंता थी जितना पहाड़ जैसा दुख विधाता ने पुत्र वियोग के रूप में बूढ़ी व जर्जर हड्डियों पर डाल दिया था। दोपहर तकरीबन 1 बजे पुत्र का अंतिम संस्कार हुआ और इसके बाद वृद्धा मां ने मतदान केंद्र पहुंच कर अपना वोट डाला।

बिट्टी बाई की बहू दीपा गांव की ही पूर्व सरपंच रही हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में भी अपने दिवंगत पुत्र के अंतिम संस्कार के बाद बिट्टी बाई और अन्य पारिवारिक सदस्यों ने मतदान कर राष्ट्रधर्म का पालन किया। बिट्टी बाई के इस धर्म की चर्चा पूरे क्षेत्र में लोगों के लिए सबक बनी हुई है। शोक में डूबे परिवार के सदस्यों पूर्व सरपंच दीपा गौतम, रामनारायण गौतम, रामशिरोमणि गौतम, रामकृष्ण, बाल कृष्ण रामकिंकर, जगतनारायण आदि ने अंतिम संस्कार के पश्चात मतदान कर समूचे गांव में अनूठा व प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। साथ ही यह संदेश भी दिया कि सुख हो या दुख इन सबके बीच राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है।

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