केपी सिंह शिवपुरी से ही लड़ेंगे चुनाव, रघुवंशी की उम्मीद धूमिल!

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केपी सिंह शिवपुरी से लड़ें थे विधानसभा चुनाव 

केपी सिंह ने कार्यकर्ताओं की बुलाई बैठक

ग्वालियर चुनाव डेस्क। चार दिन पहले पिछोर विधायक केपी सिंह को शिवपुरी से उम्मीदवार बनाने की कांग्रेस ने घोषणा की, लेकिन तब से अब तक केपी सिंह ने अपना प्रचार प्रारंभ नहींं किया है। मीडिया से भी उन्होंने दूरी बनाकर रखी है। हालांकि कल गुरुवार को उन्होंने शिवपुरी शहर और ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। उनकी उम्मीदवारी को टिकट के दूसरे प्रबल दावेदार विधायक वीरेन्द्र रघुुवंशी और उनके समर्र्थक चुनौती दे रहे हैं। रघुवंशी भोपाल और दिल्ली के चक्कर लगा रहें हैं। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह, केपी सिंह और वीरेन्द्र रघुवंशी को दिल्ली बुलाया है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में कल रात्रि हुई बैठक में कोई हल नहीं निकला, लेकिन जिस तरह से मामला आगे बढ़ रहा है उससे शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी के बदलाव की संभावना काफी कम नजर आ रही है।

पिछोर विधायक केपी सिंह वहांं से लगातार छह बार चुनाव जीतेे हैं, लेेकिन पिछले दो चुनावों से उनकी जीत का अंतर काफी तेेजी सेे घटा है। 2018 मेेंं वह मुश्किल से ढाई हजार मतों से चुनाव जीते हैं। उन्हेंं दोनों बार मजबूत चुनौती भाजपा प्रत्याशी प्रीतम लोधी ने दी है। 2023 के चुनाव में प्रीतम लोधी फिर से भाजपा उम्मीदवार हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में लोधी मतदाताओं की संख्या 50 हजार से अधिक है। पिछले चुनाव परिणाम को देखते हुए सूत्र बताते हैं कि केपी सिंह यहां से चुनाव लडऩे के लिए उत्सुक नहींं हैं। उन्होंने चुनाव लडऩे के विषय में पिछोर में मतदाताओं से रायशुमारी भी की थी। पिछोर की तुलना में शिवपुरी इसलिए उन्हेंं अधिक मुुफीद लग रहा है, क्योंकि यहां की चार बार की विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया है, लेकिन अंतिम क्षण तक उन्होंने शिवपुुरी से चुनाव लडऩे की अपनी इच्छा को उजागर नहीं किया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सहयोग से उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से शिवपुरी से अपना टिकट फाइनल करा लिया। जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पास दावेदारों की कमी नहीं थी। टिकट की आशा में भाजपा विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन और सिंधिया समर्थक राकेश गुप्ता कांग्रेेस में शामिल हुए। कांग्रेस में पूर्व विधायक गणेश गौतम ,पूर्व विधायक हरिवल्लभ के पुत्र आलोक शुक्ला, नरेन्द्र जैन भोला, मोहित अग्रवाल, बासित अली,जिनेश जैन, अमित शिवहरे, एपीएस चौहान, अजीत भदौरिया आदि भी प्रमुख दावेदार थे। केपी सिंंह की उम्मीदवारी की किसी ने सोचा भी नहीं था, लेकिन केपी सिंह की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद रघुवंशी समर्थक खुलकर मैदान में आ गए। रघुवंशी समाज के लोगों ने भोपाल में कमलनाथ से भेंट की और उन्हें अपनी भावना से अवगत कराया। कमलनाथ ने पूरा दोष दिग्विजय सिंह और उनके पुत्र जयवर्धन सिंह पर मढ़ दिया और कहा कि मुझे खुद आश्चर्य हो रहा है कि केपी सिंह शिवपुरी क्यों आए। रघुवंशी समर्थकों से उन्होंने यहां तक कह दिया कि मैं वीरेन्द्र को कांग्रेस में लाया हूं और तुम से अधिक वीरेन्द्र को चाहता हूं। मैं वीरेन्द्र के आगे शर्मिन्दा हूं। कमलनाथ ने कहा कि मैने केपी सिंह और दिग्विजय सिंंह को दिल्ली बुलाया है और वहां बैठकर फैसला होगा। वीरेन्द्र को भी दिल्ली आमंत्रित किया गया, लेकिन कल रात हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। केपी सिंह शिवपुरी से हटने को तैयार नहीं हुए। कांग्रेस आला कमान ने उनके प्रति सख्त रूप धारण न कर संकेत दिए कि केपी सिंह की अवहेलना करने को वह तैयार नहीं हैं।

क्या रघुवंशी लड़ेंगे चुनाव!

शिवपुरी से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लडऩे की आशा में वीरेन्द्र रघुवंशी नेे भाजपा छोड़ी, लेकिन यदि कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो वह क्या करेंंगे, यह एक बड़ा सवाल है। श्री रघुवंशी को जानने वाले कहते हैं कि वह चुप बैठने वाले नहीं हैं। कांग्रेस ने उनकी उम्मीदवारी घोषित नहीं की तो वह अन्य किसी दल या निर्दलीय रूप से भी चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। शिवपुरी से वह एक बार विधायक रह चुके हैं और उनका यहां अच्छा खासा प्रभाव है। उनके समर्थकों ने उन पर चुनाव लडऩे के लिए भारी दबाव बना रखा है। भाजपा छोडऩे के साथ ही वे पूरे लाव लश्कर के साथ मैदान में चुनावी मोड़ पर डटे हुए थे।

पिछोर में शैलेन्द्र सिंह ने रोका प्रचार

कांग्रेस ने पिछोर से केपी सिंह की अनुशंसा पर शैलेन्द्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। शैलेन्द्र पूर्व विधायक भानूप्रताप सिंह के सुपुत्र हैं। उनके पिता 1972 के विधानसभा चुनाव में पिछोर से निर्वाचित हुए थे। उनकी मां पद्मा राजे बुुंदेला भाजपा की जिला अध्यक्ष रहीं हैं। शैलेन्द्र सिंह नगरपरिषद खनियाधाना के अध्यक्ष रह चुके हैं। शैलेेन्द्र ने भी अपना प्रचार अभियान रोक दिया है उनका कहना है कि अगर केपी सिंह वापस आते हंै तो वह टिकट नहीं लेंगे, क्योंकि उन्हीं के सर्वे ओर सिफारिश पर उन्हें टिकट दिया गया है। जाहिर है जब तक कांग्रेस अंतिम निर्णय नहीं करती है तब तक पिछोर में कांग्रेस का अभियान शुरू नहीं होगा।

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