रामराज्य की ओर बढ़ती उप्र की आर्थिक शक्ति

रामराज्य की ओर बढ़ती उप्र की आर्थिक शक्ति
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- संजय तिवारी

उत्तर प्रदेश अब अर्थ संपन्न राज्य है। उत्तर प्रदेश अब शक्ति संपन्न राज्य है। उत्तर प्रदेश अब युवाशक्ति से संपन्न राज्य है। उत्तर प्रदेश अब नारीशक्ति की सुरक्षा और उससे संपन्न राज्य है। उत्तर प्रदेश अब रामराज की ओर अपने कदम तेजी से बढ़ा चुका है। उत्तर प्रदेश अब धर्मसंपन्न ऐसा राज्य है जिसकी सनातन शक्ति प्रज्ज्वलित होकर भारत को सशक्त कर रही है और विश्व को कल्यानपथ की और ले कर चलने की शक्ति हासिल हो चुकी है। श्रीअयोध्या जी में श्रीराम मंदिर की भव्य प्राणप्रतिष्ठा के बाद अब समग्र प्रदेश ही भव्य, दिव्य और नव्य हो चुका है। युवा संन्यासी की शक्ति और नेतृत्व में,योगी आदित्यनाथ सरकार ने आज उत्तर प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा बजट प्रस्तुत कर लोकमंगल के सभी द्वार खोल दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को अपने कृतित्व से साकार करते योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रचा है। संभवतः इसीलिए जब वह आज मीडिया से बात कर रहे थे तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यह बजट प्रभु राम के लिए, उन्हीं की कृपा से उन्हीं की सेवा में प्रस्तुत है।

उत्तर प्रदेश में अब तक जनता पर कोई नया कर थोपे बगैर, 7.36 लाख करोड़ का बजट कभी भी नही प्रस्तुत हुआ। कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि महज 6 वर्ष की यात्रा में यह बीमार प्रदेश इस तेजी से अर्थ संपन्न होकर सर्वाधिक तेजी से विकसित होने वाला प्रदेश बनेगा और वन ट्रिलियन इकोनोमी की छलांग लगाने की दिशा में कदम रख पाएगा। योगी सरकार का लोक मंगल का यह बजट अब प्रमाणित कर रहा है कि श्री अयोध्या जी में केवल हमने एक मंदिर ही बनाया है बल्कि हमारे कर्मठ और संकल्पवान सनातन धर्मनिष्ठ नेतृत्व ने उत्तरप्रदेश को वास्तव में उस रूप में स्थापित कर दिया है जिसकी चर्चा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार बार ग्रोथ इंजन की संज्ञा देकर करते हैं। इस बजट की आर्थिक, तकनीकी बारीकियों पर अनेक अर्थशास्त्री अपने अपने विचार और विश्लेषण अवश्य प्रस्तुत करेंगे। अनेक चर्चाएं भी चलेंगी लेकिन इसे एक वाक्य में कहा जा सकता है कि यह लोकभावना के साथ वास्तव में लोक मंगल का ही प्रारूप है।

इसको समझने केलिए भारत के सनातन आदर्श भगवान राम के समय के अर्थ शास्त्र पर थोड़ी दृष्टि डाल कर वर्तमान का आकलन करना ज्यादा उचित होगा। यह अनिवार्य है कि राज्य के संचालन और रख-रखाव में धन का उपयोग प्रचुर मात्रा में होता है। इस अर्थ के उपार्जन में शासन द्वारा लिए जाने वाले कर की आमदनी, अधीनस्थ राजाओं द्वारा दी जा रही राशि आदि का संचय राज्य के कोषागार में जमा होती रहती है। यही धन राज्य के विकास और इससे जुड़े अन्य कार्यक्रमों में खर्च होता है। इसे ही हम प्राचीन काल का बजट कह सकते हैं।

रामायण काल की अयोध्या नगरी या कह लें की समूचा कोशल प्रदेश एक आदर्श राज्य था। वहां की व्यवस्थाएं लोक और राज्य के कल्याण के लिए ही बनाई गई होंगी। वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के अंतर्गत पंचम और छठे सर्ग में दशरथ कालीन अयोध्या नगरी के वैभव का वर्णन मिलता है। अयोध्या में पाए जाने वाले अकूत धन का स्तोत्र कौन सा था उसकी एक झलक देखिए और फिर योगी सरकार के इस बजट का विश्लेषण कीजिए -

सामन्तराज सघेश्च बालिकर्मभीरावृताम।

नान्देशनिवासाशैश्च वनिगभीरूपशोभिताम।।14।। (वाल्मिकी रामायण बालकाण्ड 5.14)

अर्थात कर देने वाले सामंत नरेश उसे समृद्ध रखने के लिए सदा वहां रहते थे। विभिन्न देशों के निवासी वैश्य उस पुरी की शोभा बढ़ाते थे।

तेन सत्याभिसन्धें त्रिवर्ग मनुतिष्ठता।

पालिता ता पुरी श्रेष्ठा इंद्रेनेवामरावती।।5।। (वाल्मिकी रामायण बालकाण्ड 6.5)

अर्थात धर्म, अर्थ और काम का सम्पादन करके कर्मो का अनुष्ठान करते हुए वे सत्यप्रतिज्ञ नरेश श्रेष्ठ अयोध्या पुरी का उसी तरह पालन करते जैसे इंद्र अमरावती का।

श्रीराम जब अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे तब उनके राज्य के हाल की एक झलक देखिए-

कोशसंग्रहने युक्ता बलस्य च परिग्रहे।

अहितम चापि पुरुषम न हिन्स्युरविधुशकम।।11।। (वाल्मिकी रामायण उत्तर काण्ड 7.11)

अर्थात उस विभाग के लोग कोष के संचय और चतुरंगिणी सेना के संग्रह में सदा लगे रहते थे। शत्रु ने भी यदि अपराध न किया हो तो वे उसके साथ हिंसा नहीं करते थे। तात्पर्य यह की वहां की अर्थव्यवस्था को ठीक रखने वाले निरपराध भाव से कार्यरत थे।

अन्तरापाणीवीथियाश्च सर्वेच नट नर्तका:। सुदा नार्यश्च बहवो नित्यं यौवनशालीनः।।22।। (वाल्मिकी रामायण उत्तर काण्ड)

वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीरामजी का आदेश था अश्वमेध के आयोजन के समय की मार्ग में आवश्यक वस्तुओं के क्रय विक्रय के लिए जगह जगह बाजार भी लगने चाहिए। इसके प्रवर्तक वणिक और व्यवसायी लोग भी यात्रा करें। साथ ही नट नर्तक, युवा भी यात्रा करें।

रामायण काल में राजा कर लेकर भ्रष्टाचार नही करते थे। वाल्मीकि रामायण अरण्या कांड 6.11 के अनुसार, सुमहान् नाथ भवेत् तस्य तु भूपतेः । यो हरेद् बलिषद्भागं न च रक्षति पुत्रवत् ।। जो राजा प्रजा से उसकी आय का छठा भाग करके रूप में ले ले और पुत्र की भांति प्रजा की रक्षा न करे, उसे महान अधर्म का भागी होना पड़ता था।

वाल्मीकि रामायण के ये सभी श्लोक एक स्वस्थ और जागरुक अर्थ व्यवस्था की ओर संकेत करते हैं। आज उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जो बजट प्रस्तुत किया है वह रामायण काल की वैसी ही अर्थ शक्ति की ओर प्रदेश को ले जाता दिख रहा है। बजट के केंद्र में अयोध्या, प्रयाग, मथुरा, काशी, गोरखपुर, नैमिशारण्य , विंध्याचल जैसे स्थानों और प्रयागराज के महाकुंभ के आयोजन की अभी से होने वाली तैयारी के लिए किए गए प्रावधान लोक मंगल का ही संकेत हैं। युवाओं और महिलाओं के लिए अलग से की गई आर्थिक व्यवथाएं नेतृत्व की संवेदनशील प्रकृति और दूरदृष्टि को रेखांकित कर रही हैं। लोकहित सर्वोपरि की कामना के साथ शक्ति संपन्न प्रदेश के निर्माण का यह बजट अतिशुभ फलदाई है। यह बजट इस तथ्य का प्रमाण है कि योगी आदित्यनाथ के सक्षम नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने रामराज्य की नवयात्रा शुरू कर दी है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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