22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतजार, सारी दुनिया हुई राममय

22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतजार, सारी दुनिया हुई राममय
X

- आर.के. सिन्हा

कई सप्ताह से पूरा विश्व उत्सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा है। दक्षिण पूर्वी एशियाई देश हों या फिर यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या जर्मनी से जापान तक सभी राममय हो रहे हैं। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर से लेकर यूरोप के एफिल टावर तक देखने को मिलेगा।

फ्रांस की राजधानी पेरिस में 21 जनवरी को ‘रामरथ यात्रा’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पूरे यूरोप से हजारों लोग भाग लेंगे। इतना ही नहीं, एफिल टावर के पास भव्य उत्सव भी मनाया जाएगा। इसी तरह अमेरिका में टाइम्स स्क्वायर पर 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलिकास्ट किया जाएगा। नॉर्थ अमेरिका से लेकर कनाडा तक के मंदिरों में पूजन और दीपोत्सव किया जाएगा। अमेरिका में कैलिफोर्निया के साथ ही वाशिंगटन, शिकागो और अन्य शहरों में विशाल कार रैलियाँ आयोजित की जा रही हैं।

दुनिया के 50 से अधिक देशों में बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन देशों में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लाइव देखा जा सकेगा। अमेरिका में 300, ब्रिटेन में 25, ऑस्ट्रेलिया में 30, कनाडा में 30, मॉरीशस में 100 के अलावा आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी जैसे 50 से अधिक देशों में बड़े पैमाने पर रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किए जाने की तैयारी है। न्यूयार्क के मेयर एरिक एडम्स ने कहा भी कि अयोध्या में राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सिर्फ भारत ही नहीं, न्यूयार्क में दक्षिण एशियाई और इंडो कैरेबियाई समुदायों के हिंदुओं के लिए भी जश्न मनाने का मौका है। प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर नेपाल से 3 हजार से अधिक उपहार अयोध्या पहुंच रहे हैं। जनकपुर से सीताजी के लिए साड़ी, चांदी के जूते, आभूषण आदि उपहार भेजे गए। श्रीलंका ने अशोक वाटिका से विशेष पत्थर अयोध्या भेजा है। मॉरिशस ने तो अपने यहां 22 जनवरी को अवकाश भी घोषित किया है। बकायदा, 2 घंटे का विशेष अवकाश पूजा पाठ के लिए प्रदान किया गया है।

राममंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में कुल 7 हजार से अधिक मेहमान शामिल होंगे। इसमें बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान भी होंगे। गेस्ट लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका सहित 53 देशों के मेहमान शामिल हैं। अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फिजी समेत 50 देशों के प्रतिनिधियों को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर अयोध्या आने का निमंत्रण पत्र दिया गया है। मुस्लिम बहुल देशों में भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियों में उत्साह है। इंडोनेशिया, सऊदी अरब में भी प्राण प्रतिष्ठा का सजीव प्रसारण किया जाएगा।

विश्व हिंदू परिषद के अनुसार दुनिया के 160 ऐसे देश हैं जहां हिंदू धर्म के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। वहां विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। इनमें शोभायात्रा, हवन पूजन, हनुमान चालीसा पाठ आदि के आयोजन शामिल हैं।दरअसल, राम भारत ही नहीं विश्व चेतना के आधार हैं। विश्व इतिहास और विश्व साहित्य में भी राम और रामकथा बहुप्राचीन एवं बहुप्रचलित है। इंडोनेशिया में 'काकाविन रामायण', जापान में 'होबुत्सुशू', थाइलैंड में 'रामकियेन', म्यांमार में 'रामवस्तु', 'राम-ताज्या', 'राम- तात्यो', 'थिरी राम', 'पोन्तव राम' तथा 'थामाध्ये' (रामलीला नाटक), कम्बोडिया में 'रामकेर', फिलीपीन्स में 'महारादिया लावना', मलेशिया में 'मलय रामायण, 'हिकायत सेरी राम', लाओस में 'फालम', मंगोलिया में राम ग्रंथ प्रचलित और लोकप्रिय हैं।

दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे प्राचीन और सर्वाधिक महत्वपूर्ण राम कथा केंद्रित कृति प्राचीन जापानी भाषा में विरचित रामायण का काबीन है, जिसकी तिथि नौवीं शताब्दी से भी पहले की है। लाओस के निवासी आज भी स्वयं को भारतवंशी मानते हैं। वे मानते हैं कि कलिंग युद्ध के बाद उनके पूर्वज इस क्षेत्र में आकर बस गये थे। लाओस की संस्कृति पर भारतीयता की गहरी छाप है। यहां रामकथा पर आधारित चार रचनाएं उपलब्ध है। दक्षिण पूर्व एशिया समेत अन्य देशों में रामकथा का व्यापक असर देखा जा सकता है। आम जनमानस की जिंदगी में राम के चरित्र की गहरी छाप दिखती है।

इस बीच, अयोध्या से सैकड़ों किलोमीटर दूर राजधानी दिल्ली के अशोक विहार में भी राम लला के मंदिर जैसा ही एक राममंदिर का निर्माण हो रहा है। इन दोनों मंदिरों के आर्किटेक्ट सीबी सोमपुरा ही हैं। सोमपुरा जी को विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल अयोध्या (वीएचपी) लेकर गए थे ताकि वे रामलला के मंदिर का डिजाइन बनाएं। फिर सोमपुरा जी ने ही अयोध्या के राममंदिर का डिजाइन बनाया।

हालांकि दिल्ली के अशोक विहार के श्रीराम मंदिर की स्थापना तो 1975 में हो गई थी, पर इसका विस्तार आगे भी होता रहा। इसकी मैनेजमेंट से जुड़े हुए अशोक बंसल बताते हैं कि जब सोमपुरा जी और विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में राममंदिर का डिजाइन जारी किया तब हमने भी तय किया हमारे मंदिर का डिजाइन भी अयोध्या के राममंदिर की तर्ज पर ही रहेगा। इसकी अयोध्या के राममंदिर से एक समानता यह भी है कि यहां भी राजस्थान के बंसीपुर का लाल संगमरमर का गुलाबी पत्थर ही लगा है। इन दोनों मंदिरों के निर्माण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा तो है ही। वे अयोध्या के रामलला के मंदिर के निर्माण पर शुरू से ही नजर रख रहे थे, तो उनकी प्रेरणा से अशोक विहार का राममंदिर भी बना। इस बात को यहां के पदाधिकारी भी मानते हैं। हां, दोनों में सिर्फ इतना अंतर है कि अशोक विहार का श्रीराम मंदिर स्थानाभाव के कारण छोटा है।

जब आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हो रहा होगा,तब अशोक विहार के श्रीराम मंदिर में सुबह से ही सुंदर कांड और भजन के कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। सारे मंदिर में आलोक सज्जा और विशाल भंडारे का कार्यक्रम तो होगा ही। माना जा रहा है कि 22 जनवरी को यहां भी करीब एक लाख भक्त आएंगेऔर भंडारे का प्रसाद पायेंगे।

अगर बात दिल्ली की करें तो यहां का तो सबसे पुराना राममंदिर चांदनी चौक में ही है। यह लगभग कई सौ साल पुराना बताया जाता है। यह बहुत भव्य तो नहीं है, पर खांटी पुरानी दिल्ली वाले यहां कभी ना कभी किसी पर्व या सत्यनारायण की कथा में भाग लेने अवश्य आए होते हैं। राजधानी में राम या श्रीराम मंदिर नाम से मंदिर कम ही हैं। कम से कम हनुमान या शिव मंदिरों की तुलना में। हालांकि श्रीराम परिवार की मूर्तियां हरेक मंदिर में मिलेंगी। देखा जाए तो हरेक हनुमान मंदिर अपने आप में राममंदिर ही है। राम के बिना हनुमान कहां और हनुमान के बिना राम कहां।

(लेखक, वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं।)

Next Story