सी. शंकरन नायर बिना बंदूक लड़े क्रांति: एक ऐसा योद्धा जिसने हिला दिया था पूरा ब्रिटिश साम्राज्य…

एक ऐसा योद्धा जिसने हिला दिया था पूरा ब्रिटिश साम्राज्य…
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जब बात भारत की आज़ादी की लड़ाई की होती है, तो अक्सर बापू, भगत सिंह या सुभाष चंद्र बोस के नाम सामने आते हैं। लेकिन एक ऐसा नाम भी है, जिसने अपने देशभक्ति के जुनून के चलते अंग्रेजी हुकूमत को उनकी ही अदालत में चुनौती दे दी थी। वो नाम था सी. शंकरन नायर। और अब, अक्षय कुमार की नई फिल्म Kesari Chapter-2 में यही दमदार किरदार परदे पर फिर से जिंदा हो रहा है।

आइए अविस्‍तार से जानते हैं देश के इस महान क्रांतिकारी के बारे…

कौन थे सी. शंकरन नायर?

Sir Chettur Sankaran Nair – एक ऐसा नाम जो भारतीय न्याय व्यवस्था, सामाजिक सुधारों और ब्रिटिश शासन के खिलाफ कानूनी लड़ाई का प्रतीक है। वे सिर्फ वकील नहीं थे, बल्कि एक आंदोलन थे, जिन्होंने कानून को हथियार बनाया और इतिहास में अमिट छाप छोड़ दी।

शिक्षा और करियर की शुरुआत

शंकरन नायर का जन्‍म 11 जुलाई 1857 को मंकरा के केरल में हुआ था, नायर ने मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज से कला में डिग्री और फिर मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। 1880 में वे मद्रास हाई कोर्ट में वकालत करने लगे और जल्द ही अपनी गहरी तर्कशक्ति और कानूनी विशेषज्ञता से सुर्खियों में आ गए। शंकरन पेशे से भले ही वकील और जज की भूमिका में रहे हों लेकिन वे एक महान समाज सुधारक भी थे।

जलियांवाला बाग: जहां से शुरू हुआ असली संग्राम

1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। उस वक्त शंकरन नायर वायसराय की कार्यकारी परिषद में अकेले भारतीय सदस्य थे। इस हत्याकांड के विरोध में उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया। यह कदम सीधे ब्रिटिश सत्ता को ललकारने जैसा था।

'Gandhi and Anarchy' पुस्‍तक लिख कर मचाई खलबली

सी. शंकरन नायर के जीवन का सबसे अहम और ऐतिहासिक पड़ाव था लंदन हाई कोर्ट में हुआ वह मुकदमा, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी। यह मुकदमा 30 अप्रैल से 30 जून 1922 तक चला और ब्रिटिश इतिहास का सबसे लंबा सिविल केस बन गया।

इस केस की शुरुआत तब हुई, जब नायर ने अपनी किताब 'Gandhi and Anarchy' में जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’ड्वायर को जिम्मेदार ठहराया।

ओ’ड्वायर ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। हालांकि फैसला ओ’ड्वायर के पक्ष में गया, लेकिन नायर ने माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया और 7,500 पाउंड का जुर्माना भरना स्वीकार किया।

यह कदम सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं थी, बल्कि ब्रिटिश सत्ता को उनकी ही अदालत में कठघरे में खड़ा करने का साहसी प्रयास था।

इस मुकदमे और नायर के इस्तीफे ने ब्रिटिश शासन को झकझोर कर रख दिया। ब्रिटिश सरकार को जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए हंटर कमीशन बनाना पड़ा और पंजाब में लगाया गया मार्शल लॉ भी हटा लिया गया। इस पूरे घटनाक्रम ने जलियांवाला बाग की त्रासदी पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा दिया और यह संदेश गया कि भारतीय भी अंग्रेजों को उन्हीं के बनाए सिस्टम में चुनौती दे सकते हैं।

सी. शंकरन नायर सिर्फ एक वकील या राजनेता नहीं थे, बल्कि वे एक प्रखर समाज सुधारक भी थे। उन्होंने महिला समानता, जातीय भेदभाव, बाल विवाह और अशिक्षा के खिलाफ खुलकर आवाज़ उठाई।

नायर और उनके परिवार ने दक्षिण भारत में कई सामाजिक कार्यों को अंजाम दिया, जैसे मंदिरों के लिए ज़मीन दान करना और पारंपरिक रिवाज़ों को तोड़ते हुए समाज को आगे ले जाना। उनकी सोच और संघर्ष आज भी भारतीय समाज और न्याय प्रणाली के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

अब परदे पर लौट रहा है ये इतिहास

इसने सालों बाद अब यह कहानी अक्षय कुमार की नई फिल्‍म Kesari Chapter-2 में देखने को मिलेगी। यह फिल्म 18 अप्रैल को रिलीज हो रही है, जिसमें कोर्ट रूम ड्रामा, इतिहास और एक साहसी भारतीय की कहानी को नए सिरे से पेश किया गया है।


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