अटल जिंदगी...

अटल जिंदगी...
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गोवर्धन दास बिन्नाणी

राष्ट्र भक्त, दृढ़ निश्चयी, वाक् चातुर्य के धनी जन नायक अटलजी का नाम हम सभी बड़े ही सम्मान के साथ लेते हैं। देशवासी उन्हें ऐसे ही यह सम्मान नहीं दे रहे बल्कि उन्होंने 'देश के लिये जियें और देश के लिये ही मरेंÓ का जो सन्देश दिया और समय पड़ने पर हर बार जिस तरीके से उस पर सही तरीके से अमल किया, उसी के चलते ही हम सभी स्वत: ही उन्हें राष्ट्र भक्त व दृढ़ निश्चयी के साथ-साथ वाक् चातुर्य के धनी जन नायक मानते हैं।

इन बीते सालों में प्रधानमंत्री बनने या बने रहने के लिये कैसे-कैसे प्रयोग देखने को हम सबको मिले हैं। उसी बीच 1996 में सबसे बड़ी पार्टी के नेता के रूप में अटलजी ने गठबंधन सरकार बनाने का दावा कर प्रधानमंत्री बने। उसी समय दृढ़ निश्चय के साथ उन्होंने संसद के पटल पर जो वक्तव्य दिया उसी की आपको याद दिला रहा हूँ। जो इस प्रकार है-

जब 1996 में अटल जी की 13 दिन की सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई तब उन्होंने संसद में जिस वाक् चातुर्य के साथ अपनी बात दृढ़ निश्चय के साथ रखते हुए कहा - मेरे कांग्रेसी मित्र शायद आज मुझ पर हंसेंगे लेकिन कोई न कोई वक्त जरुर आएगा जब देश में बीजेपी की पताका लहराएगी और उत्तर से दक्षिण तक पूर्व से पश्चिम तक बीजेपी की सरकार बनेगी और इसी संसद में एक दिन बीजेपी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आएगी ।

अटल जी के इस कथन पर कांग्रेसी सदस्यों ने खूब हंसी उड़ाई ....सीताराम येचुरी ने कहा अटल जी अगर यह बात कोई और कहता तो मैं यह कह सकता था कि आज आप संसद में शराब पीकर आए हैं। अटल जी ने कहा था आज आप मुझ पर चाहे जितना हंस लीजिए लेकिन आने वाला वक्त यह जरूर बताएगा कि मैं सच बोल रहा हूँ और आज अटल जी का दृढ़ निश्चय के साथ वह कथन सच साबित हुआ।

अटलजी की लिखी कवितायें राष्ट्र भक्ति के साथ साथ जीवन के संघर्ष में हमेशा सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ते रहने को प्रोत्साहित करती हैं। उनकी कविता हार नहीं मानूंगा हर असंभव कार्य संभव बनाने का जोश भरती है। जो इस प्रकार है -

क्या हार में, क्या जीत में

किंचित नहीं भयभीत मैं

कर्तव्य पथ पर जो भी मिला

यह भी सही, वो भी सही

वरदान नहीं मागूंगा

हो कुछ, पर हार नहीं मानूंगा।

तो वहीं दूसरी निम्न कविता राष्ट्र के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं -

ये वंदन की धरती है, अभिनंदन की धरती है, ये अर्पण की भूमि है, ये तर्पण की भूमि है , इसकी नदी नदी गंगा है, इसका कंकड़-कंकड़ शंकर है। हम जियेंगे तो भारत के लिए, मरेंगे तो भारत के लिये। मरने के बाद हमारी अस्थियों को कोई कान लगाकर सुनेगा तो एक ही आवाज आयेगी 'भारत माता की जयÓ। राष्ट्र भक्त, दृढ़ निश्चयी, वाक् चातुर्य के धनी जन नायक भारतरत्न अटलजी के बारे में जितना भी लिखेंगे उतना अपर्याप्त ही रहेगा । इसलिये संक्षेप में यही लिखना है कि वे एक महामानव थे जिसे इतिहास सदैव याद रखेगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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