अनूठा आकार लेती पवित्र नगरी अयोध्या
अयोध्या का अपना इतिहास भी अनूठा है। यह संसार के उन विरले नगरों में एक है जहाँ पिछले बारह सौ वर्षों से जहाँ निर्माण और विध्वंस के संघर्ष साथ-साथ चले। इन दिनों एक बार फिर यह अयोध्या नगरी अनूठा आकार लेने जा रही है। भव्य जन्मभूमि मंदिर निर्माण के साथ रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड, बाजार, रिंग रोड, पहुँच मार्ग और हवाई अड्डा बन रहा है। लेकिन इस सबके साथ एक अंतर्धारा ऐसी भी है जिससे इन कार्यों में नित नये प्रश्न उठाकर गतिरोध भी उत्पन्न हो रही है।
श्रावण मास की पूर्णता के साथ अयोध्या की तस्वीर लगभग उभर आई है और उम्मीद है कि दिसंबर 2023 के अंत तक निर्माण के सभी लक्ष्य पूरे हो जायेगें और जनवरी 2024 में रामलला अपने नये मंदिर में विराजमान हो जायेंगे ।
प्रयास है कि अयोध्या में निर्माणाधीन यह रामजन्म भूमि मंदिर विश्व में अनूठा हो। निर्धारित लक्ष्य का लगभग अभी तक लगभग साठ प्रतिशत कार्य पूर्ण ले चुका है और अयोध्या का भावी स्वरूप भी उभर आया है इसमें मंदिर के गर्भ गृह का कार्य तो है ही साथ ही पूरे अयोध्या नगर में हो रहे निर्माण कार्यों का भी स्वरूप उभर आया है। सड़कें चौड़ी की जा रही हैं रिंग रोड बन रहा है। रेल्वे स्टेशन भव्य रूप लेने जा रहा है और एयरपोर्ट निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। प्रयास है कि जब जनवरी 2024 तक भगवान श्रीराम नये मंदिर में विराजें तब तक विमानतल भी बनकर तैयार हो जाय जिससे लोकार्पण कार्यक्रम में श्रृद्धालु विमान से भी आ सकें।
मंदिर का भावी स्वरूप
अयोध्या को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये आंतरिक यातायात इलेक्ट्रॉनिक बसों से होगा और प्रयास है कि यहाँ चलने वाले ऑटो, टेक्सी टैम्पों आदि भी इलेक्ट्रॉनिक हों। जिस प्रकार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम संपूर्ण सनातन समाज की श्रृद्धा और आस्था के केन्द्र हैं उसी प्रकार यहाँ हो रहे मंदिर निर्माण में भारत के हर राज्य की मिट्टी, सभी पवित्र नदियों का जल एवं प्रत्येक प्राँत और नगर के निवासियों का आर्थिक योगदान है। मंदिर परिसर 67 एकड़ में है। इसके साथ मंदिर ट्रस्ट ने आसपास की 71 एकड़ और भूमि अधिग्रहीत की गई है।
राम जन्मभूमि मंदिर के लिये मूल डिजाइन 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार ने तैयार किया था इसमें कुछ आंशिक परिवर्तन किया गया है। अहमदाबाद का यह सोमपुर परिवार पिछली15 पीढ़ियों से दुनिया भर के 100 से अधिक मंदिरों के डिजाइन तैयार करने में सहभागी रहा है। मूल डिजाइन हुये आंशिक परिवर्तन में भी यह परिवार सहभागी रहा है। अब मुख्य मंदिर 235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर परिसर में एक प्रार्थना कक्ष, 'एक रामकथा कुंज, एक वैदिक पाठशाला, एक संत निवास, एक यति निवास और संग्रहालय का निर्माण होगा जिसमें अयोध्या का इतिहास प्रदर्शित होगा। निर्माण पूर्ण होने के बाद यह परिसर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर परिसर होगा। इस निर्माणाधीन मंदिर का मॉडल पहली बार 2019 के प्रयाग कुंभ मेले में प्रदर्शित किया गया था। जो अभी अयोध्या के कारसेवक पुरम् में सुरक्षित है। मंदिर में हर खम्भे पर ऊपर से लेकर नीचे तक 3600 देवी-देवताओं की मूर्तियां और मंदिर की दीवारों पर रामकथा प्रसंग उकेरे जायेंगे। मंदिर निर्माण का यह कार्य रात दिन चल रहा है। सप्ताह में दो बार कार्य प्रगति की समीक्षा होती है। मंदिर में प्रतिष्ठित होने वाली रामलला मूर्ति निर्माण के लिए कर्नाटक व राजस्थान से पत्थर लाये गये हैं। मंदिर परिसर में लगने वाले पत्थरों पर नक्काशी का काम राजस्थान से आये कारीगर कर रहे हैं, तो दरवाजे खिड़कियों में उपयोग होने वाली लकड़ी महाराष्ट्र से आई है। इन लकड़ियों पर हैदराबाद के कारीगर नक्कासी कर रहे हैं। जबकि मंदिर की नींव और स्तंभ खड़े करने का काम तमिलनाडु के कारीगरों ने किया है। इस प्रकार इस मंदिर में सब प्रकार से पूरे भारत की सहभागिता है।
लोकार्पण और प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी
आशा की जा रही है कि मंदिर के गर्भ गृह के निर्माण का काम दिसम्बर 2023 तक पूरा हो जायेगा और 2024 के द्वितीय सप्ताह से भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर के लोकार्पण पूजन और अनुष्ठान आरंभ हो जायेगा। प्रतिष्ठापना के लिये निकाले गये शुभ मुहूर्त के अनुसार 14 जनवरी से अनुष्ठान आरंभ हो जायेगा। 'शुभ महोत्सवÓ 15 से 24 जनवरी के आंका गया है। रामजन्म भूमि मंदिर ट्रस्ट की ओर से प्रधानंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को आमंत्रण पत्र भेजा जा चुका है। प्रयास है कि 25 जनवरी 2024 तक यह प्रतिष्ठा आयोजन पूरा हो जाए। जबकि परिसर के शेष निर्माण का कार्य उसके बाद भी निरंतर रहेगा। मोदी जी ने ही 5 अगस्त 2020 को एक गरिमामय समारोह मंदिर के निर्माण कार्य का भूमि पूजन किया था। अब जनवरी 2024 में आयोजित होने वाले भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी देश भर के सभी प्रमुख संतों, देशभर के विभिन्न हिंदू मंदिरों, गुरुद्वारों और जैन मंदिरों को भी आमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं। उद्घाटन से पहले एक माह तक प्रतिदिन दिन 1 लाख संतों और श्रद्धालुओं को भोजन कराया जायेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)