...पर बदमाश यहूदी इतनी सी बात नहीं समझ रहे

...पर बदमाश यहूदी इतनी सी बात नहीं समझ रहे
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अरब-इजराइली संघर्ष को समझना बहुत आसान है। अरब सीधे-सादे लोग हैं, और केवल इतना चाहते हैं कि इजराइल और यहूदियों का अस्तित्व दुनिया से समाप्त हो जाय। वहीं दूसरी ओर इजराइल है जो एक यहूदी देश है, और स्वभाव से ही बदमाश है। वह मासूम अरबों की इतनी सी इच्छा भी पूरी करने को तैयार नहीं है और जबरदस्ती दुनिया के नक़्शे पर बना रहने पर तुला हुआ है। झगड़े की यही जड़ है।

अनिल सिंह

अरब-इजराइली संघर्ष को समझना बहुत आसान है। अरब सीधे-सादे लोग हैं, और केवल इतना चाहते हैं कि इजराइल और यहूदियों का अस्तित्व दुनिया से समाप्त हो जाय। वहीं दूसरी ओर इजराइल है जो एक यहूदी देश है, और स्वभाव से ही बदमाश है। वह मासूम अरबों की इतनी सी इच्छा भी पूरी करने को तैयार नहीं है और जबरदस्ती दुनिया के नक़्शे पर बना रहने पर तुला हुआ है। झगड़े की यही जड़ है।

रसूलल्लाह जब इस्लाम का प्रचार-प्रसार कर रहे थे, उसी दौरान उन्होंने कई यहूदी कबीलों से लड़ाइयां लड़ीं, उनसे समझौते किये और तोड़े, और अपने सामने कई कबीलों को पूरा का पूरा क़त्ल करा दिया। रसूलल्लाह सिर्फ़ इतना चाहते थे कि यहूदी अपनी स्त्रियों सहित अपना सारा माल-असबाब उन्हें सौंप दें, और उनके मजहब को क़ुबूल कर लें, पर यहूदी तब भी बदमाश थे-कट गये पर माने नहीं।

बाद में रसूलल्लाह ने अनुयायियों को यहूदियों को देखते ही ख़त्म करने जैसे आदेश जारी करते हुए यह बताया कि आख़िरत का दिन तबतक नहीं आएगा जबतक आखिरी यहूदी मार नहीं दिया जाता। अब बेचारे मुसलमान क्या करें? जब तक आख़िरी यहूदी ख़त्म नहीं हो जाता, तब तक आख़िरत का दिन नहीं आएगा, और जब तक आख़िरत का दिन नहीं आता, तब तक उन्हें जन्नत नसीब नहीं होगी।

अब जन्नत तो सभी मुसलमानों को जाना ही है। इसी वजह से वह यहूदियों को दुनिया से मिटाना चाहते हैं, पर बदमाश यहूदी इतनी सी बात समझने से इन्कार कर रहे हैं और मासूम मुसलमानों के जन्नत जाने के रास्ते में आ रहे हैं। झगड़ा तो होना ही है।

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