लाड़ली बहनों के लिए मुख्यमंत्री का नवाचार

लाड़ली बहनों के लिए मुख्यमंत्री का नवाचार
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प्रमोद भार्गव

सहज रूप में कोई पद नवाचारधर्मी नहीं होता। वरन, व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है। व्यक्तित्व भी वह होगा, जिसके अंतर्मन में उदारता का उदात्त आचरण रचने का वैचारिक मर्म हो और वह निरंतर मंथन की प्रक्रिया में रहे। समाज में लेखक को ही रचनाधर्मी या सृजनधर्मी माना जाता है, लेकिन राजनेता, शिल्पकार या आविष्कारक को अक्सर ऐसी विलक्षण उपमाओं से संबोधित नहीं किए जाते? मेरी दृष्टि में यह बौद्धिक विडंबना है, जो संर्कीण सोच के आवरण में आबद्ध है। यदि कोई राजनेता समाज परिवर्तन और समाज को सुखमयी बनाने के लिए नए प्रयोग करता है, उनका निश्चित क्रियान्वयन करता है और वे वास्तविक रूप में फलीभूत होते हैं, तो यह नवाचार भी मौलिक सृजन की परिकल्पना से उत्पन्न है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दृष्टि से लाडली लक्ष्मी से लेकर लाडली बहनों के लिए निरंतर नवाचार करते रहे हैं। प्रदेश की 1 करोड़ 31 लाख लाडली बहनों को रक्षाबंधन का उपहार देकर शिवराज ने जता दिया है, इसे भले ही चुनावी तोहफा कहा जाए, लेकिन वे बहनों के आर्थिक हित साधने से पीछे नहीं हटेंगे।

शिवराज सिंह ने रक्षाबंधन के अवसर पर बहनों को 250 रुपए की उपहार स्वरूप भेंट खातों में भेज दी है। यह राशि 312.64 करोड़ रुपए है। शिवराज ने लाडली बहना सेवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए घोशणा की है कि बहनों को श्रवण के महीने में केवल 450 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर देंगे। बाद में इसकी यह कीमत स्थाई कर दी जाएगी। उन्होंने सरकारी विभागों में विभिन्न पदों पर महिलाओं को 35 प्रतिषत नौकरियां देने का वादा बहनों से कलई में राखी बंधाते हुए कर दिया है। साथ ही ग्रामों और शहरों में अतिक्रमण मुक्त भूमि पर भूखंड और सितंबर तक बढ़े हुए बिजली बिल की वसूली नहीं करने तथा केवल 100 रुपए भरने की बात की है। भाजपा की फायर बिग्रेड नेत्री उमा भारती की शराबबंदी की पहल को मजबूती देते हुए ऐलान किया है कि जिस क्षेत्र में 50 प्रतिशत बहनें शराब की दुकान नहीं खुलने की मांग करेंगी, वहां इस मांग को स्वीकार किया जाएगा। इस हेतु आबकारी नीति में परिवर्तन करेंगे। बहनों को आजीविका मिशन के अंतर्गत लाएंगे और पथ विक्रेता योजना के अंतर्गत भी लाभ दिया जाएगा। बहनों को संपत्ति के पंजीकरण में एक प्रतिशत तक की छूट स्टांप शुल्क में दी है। मुफ्त के ये ऐसे प्रबंध हैं, जो स्त्री की आत्मनिर्भरता बढ़ाकर उसकी मासिक आय को 10,000 रुपए प्रतिमाह तक बढ़ाने में सार्थक हो सकते है। क्योंकि इन उपायों से महिलाएं प्रोत्साहित होंगी और अपनी उद्यमिता को बढ़ाने की दिशा में क्रियाशील होंगी। इन्हें हम नवाचारी प्रयोग भी कह सकते है और शिवराज सरकार के तरकश से निकले ऐसे तीर भी कह सकते है, जो विपक्षी दल कांग्रेस के वादों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं।

शिवराज सिंह चौहान के नवाचार निरंतर देखने में आते रहे हैं। बालिकाओं की संख्या कम होना किसी भी विकासशील समाज के लिए बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती से तभी निपटा जा सकता है, जब स्त्री की आर्थिक हैसियत तय हो और समाज में समानता की स्थितियां निर्मित हों? इस नजरिए से मध्यप्रदेश में 'लाडली लक्ष्मी योजना' एक कारगर औजार साबित हुई और इसीलिए इसे देश के नवाचारी मॉडल के रूप में मान्यता मिली। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब ने ही नहीं पूरे देश ने इस योजना का अनुकरण किया और बेटी बचाने के लिए जुट गए। क्योंकि बेटी बचेगी, तभी बेटे बचेंगे और सृष्टि की निरंतरता बनी रहेगी।

मुख्यमंत्री चैहान की करीब 18 साल के नेतृत्व की सार्वजनिक यात्रा का अवलोकन करें तो यह साफ देखने में आता है कि उनकी कार्य संस्कृति अन्य मुख्यमंत्रियों से भिन्न रही है। वे प्रकृति, कृषि व किसान प्रेमी हैं और युवाओं को कौशल दक्ष बनाने की प्रखर इच्छा रखते हैं। इसीलिए प्रदेश में अनेक प्रकार की छात्रवृत्तियां हैं, जिससे छात्र को आर्थिक बाधा का सामना न करना पड़े। गांव से यदि पाठशाला कुछ दूरी पर है तो बालिका को आने-जाने में व्यवधान न हो, इस हेतु साइकिल है। होनहार छात्रों को पढ़ाई में बाधा नहीं आए, इस नाते विद्यार्थियों को मोबाइल और लैपटॉप दिए। ये योजनाएं मुख्यमंत्री के अंतर्मन में आलोड़ित संवेदनशीलता को रेखांकित करती हैं। शिवराज कविता तो नहीं लिखते, लेकिन दूरांचल वनवासी-बहुल जिले झाबुआ में परंपरागत 'आदिवासी गुड़िया हस्तशिल्पÓ कला को संरक्षित करने और इसे आजीविका से जोड़ने का उपाय जरूर करते हैं। फलस्वरूप अब स्थानीय लोगों के नाजुक हाथों द्वारा निर्मित यह कपड़े की गुड़िया मध्य-प्रदेश सरकार के 'एक जिला, एक उत्पाद' योजना के अंतर्गत व्यापारिक उड़ान भरकर जर्मनी और आस्ट्रेलिया के बच्चों का खिलौना बन गई है। सामाजिक सरोकार से इस संरचना की महिमा वही नवाचारी समझ सकता है, जो कल्पनाशील होने के साथ अपने दायित्वों के प्रति उदार और जनता के प्रति संवेदनशील हो। (लेखक वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं)

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