क्रिप्टो मुद्रा देश के लिए गंभीर खतरा है इसे स्वीकार नही किया जा सकता है: डॉ अश्वनी महाजन

क्रिप्टो मुद्रा देश के लिए गंभीर खतरा है इसे स्वीकार नही किया जा सकता है: डॉ अश्वनी महाजन
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ग्वालियर। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक डॉ अश्विनी महाजन का स्पष्ट मत है कि क्रिप्टो करेंसी(मुद्रा)भारत के राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है इसलिए इसे स्वीकार नही किया जा सकता है।देश भर में इसके विरुद्ध जनमत निर्माण के लिए मंच काम कर रहा है और हम सरकार से मांग कर रहे है कि भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा क्रिप्टो मुद्राओं से जुड़े आर्थिक संव्यवहार को तत्काल प्रभाव से अवैधानिक घोषित किया जाए।

डॉ महाजन आज ग्वालियर के एलएनआईपी परिसर में आयोजित स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा में भाग लेने आये है।इस अवसर पर उन्होंने इस आशय से जुड़ा एक प्रस्ताव भी सभा में प्रस्तुत किया। देश के ख्यातिनाम अर्थशास्त्री प्रोफेसर महाजन ने कहा कि मौजूदा सरकार का रुख यही प्रदर्शित करता है कि सरकार बुनियादी रूप से इस चलन के पक्ष में नही हैं। इसी उद्देश्य से सरकार ने 'क्रिप्टो मुद्रा और राजकीय डिजिटल मुद्रा विधेयक 2021' की शुरूआत की घोषणा की है। भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल मुद्रा जारी करने की योजना है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बड़ी पेचिदगियां -

डॉ महाजन के अनुसार हालांकि, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक क्रिप्टो में व्यापार को प्रतिबंधित करने के पक्ष में रहे हैं, लेकिन, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसला दिया है इससे तकनीकी समस्या खड़ी हुई है। सरकार ने कानूनी रूप से क्रिप्टोक्यूरैंसीज पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, रिज़र्व बैंक का बैंकों को क्रिप्टो हेतु मना करने संबंधी निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है। क्रिप्टो एक्सचेंजों ने बड़े पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार शुरू कर दिया है। श्री महाजन के अनुसार हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन अनुमान है कि लगभग 20 मिलियन लोगों ने अपना पैसा क्रिप्टोकरेंसी में लगाया हुआ है। छोटे और बड़े शहरों, और यहां तक कि गांवों के लोग (ज्यादातर युवा) इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे इसमें अपना पैसा लगाकर जल्दी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

क्रिप्टो को मुद्रा कहना गलत -

डॉ महाजन ने साफ तौर पर कहा कि क्रिप्टो को करेंसी कहना ही गलत है। करैंसी का अभिप्राय है सरकार की गारंटीशुदा, केन्द्रीय बैंक द्वारा जारी मुद्रा। क्रिप्टो करंसी निजीतौर पर जारी आभासी सिक्के हैं, जिनकी कोई वैधानिक मान्यता नहीं है।

देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा है क्रिप्टो -

डॉ महाजन के अनुसार क्रिप्टो का उपयोग अपराधियों, आतंकवादियों, स्मगलरों, हवाला में संलग्न व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में पूरी दुनिया में एक कम्प्यूटर वायरस के माध्यम से जब साइबर अपराधियों ने कई कंपनियों का डाटा उड़ा दिया और उसे वापिस देने के लिए फिरौती बिटकॉयन में मांगी गई, तो बिटकॉयन के आपराधिक इस्तेमाल के बारे में दुनिया की जानकारी बढ़ी।नतीजतन क्रिप्टो का दुरुपयोग भारत की एकता,अखण्डता औऱ आर्थिक हितों के विरुद्ध किये जाने की पूरी संभावना है।

क्रिप्टो एक अवैध आभासी संपत्ति है -

डॉ महाजन ने बताया कि यह एक ऐसी मूल्यवान आभासी संपत्ति है, जिसके धारक को तो उसका पता होता है, लेकिन किसी भी अन्य को इसका पता तभी चलता है, जब इसमें बैंक के माध्यम से लेनदेन होता है। हालांकि इसके लेनदेन को घोषित करने के बाद इस पर आयकर लगाया जा सकता है, लेकिन यदि इसकी बिक्री देश में न कर, विदेश में की जाए तो उस पर कर नहीं लगेगा। वास्तव में क्रिप्टो एक वैधानिक संपत्ति नहीं है, इसे किसी कंपनी या व्यक्ति की बैलेंसशीट में नहीं दिखाया जा सकता। यानि क्रिप्टो आयकर, जीएसटी एवं अन्य कई प्रकार के करो की चोरी का माध्यम बन रही है। एक और समस्या यह है कि नियमों को दरकिनार कर देश से पूंजी स्थानांतरित करने का यह सबसे सुविधाजनक तरीका है। !

एक अंधा कुआं है बिटकॉइन -

बिटकॉयन तथा अन्य प्रकार की क्रिप्टो करैंसियों की कीमत में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव और उनकी लगातार बढ़ती मांग के कारण बढ़ती कीमत के कारण युवा इसकी तरफ आकर्षित हो रहा है। बड़ी मात्रा में देश का धन इसमें लगाया जा रहा है। यह एक अंधे कुएं की तरह है, क्योंकि ये पैसा कहां जा रहा है, किसकी जेब में जा रहा है, किसी को कुछ मालूम नहीं। कल्पना करें कि यदि यह पैसा यदि देश के विकास में लगे, हमारे युवा उद्योग धंधे में लगाएं तो हमारी जीडीपी में खासा फायदा हो सकता है। कहा जा रहा है कि पिछले कुछ समय से देश में पूंजी निर्माण कम हो रहा है। यदि इस प्रकार की आभासी तथाकथित संपत्ति में पैसा लगाने की प्रवृत्ति बढ़ी तो यह निवेश और अधिक कम हो सकता है।

देश मे खड़ा हो सकता है बिजली संकट:

क्रिप्टो के खिलाफ एक बड़ा तर्क यह है कि इसकी मायनिंग में बड़ी मात्रा में बिजली खर्च होती है, जिससे बिजली की कमी झेलनी पड़ सकती है। चीन द्वारा क्रिप्टो को प्रतिबंधित करने में यह सबसे बड़ा तर्क दिया गया है।

तत्काल कानून बनाकर प्रतिबंधित की जाए क्रिप्टो मुद्रा -

डॉ महाजन ने सभा प्रस्ताव के दौरान साफ तौर पर कहा कि सरकार भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा क्रिप्टो मुद्राओं की खरीद, बिक्री, निवेश और अन्यथा लेनदेन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाये। इस मांग के समर्थन में उन्होंने महत्वपूर्ण तर्क देते हुए कहा कि क्रिप्टो में कोई अंतर्निहित परिसंपत्ति नहीं है।जारीकर्ता पहचान योग्य नहीं है। क्रिप्टो मुद्रा की मान्यता से भारी अटकलें लग सकती हैं जो वित्तीय बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं और मान्यता के परिणामस्वरूप इसके द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक का वित्तपोषण भी हो सकता है। इसका परिणाम पिछले दरवाजे से पूंजी खाता परिवर्तनीयता में होगा। लिहाजा इसे चलन में स्वीकृत खतरनाक साबित होगा।

डिजिटल संम्पति के रूप में दुरूपयोग की संभावना -

डॉ महाजन के अनुसार बिटकॉइन, एथेरियम आदि जैसी क्रिप्टोकरेंसी को 'एसेट' या 'डिजिटल एसेट' के रूप में भी मान्यता नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह परोक्ष रूप से मुद्रा की तरह एक्सचेंज का माध्यम बन जाएगा। यह इस कारण से है कि भूमि, सोना और शेयरों जैसी अन्य संपत्तियों के विपरीत, 'क्रिप्टो-परिसंपत्तियों में विभाज्यता और सुवाह्यता की विशेषताएं होती हैं और विनिमय का एक स्वीकृत माध्यम बनने की संभावना होती है, और इस प्रकार एक क्रिप्टो-मुद्रा होने की ओर बढ़ती है। उन्होंने बताया कि क्रिप्टो मुद्रा रखने वाले व्यक्तियों को आयकर विभाग को सूचना प्रस्तुत करने के प्रावधान के अधीन थोड़े समय के भीतर इसे बेचने या विनिमय करने की अनुमति दी जा सकती है।

ऑनलाइन ट्रेडिंग पर प्रतिबंध हो -

श्री महाजन ने दोहराया कि सरकार को वर्तमान में प्रचलित क्रिप्टो-मुद्राओं या क्रिप्टो-परिसंपत्तियों की खरीद, बिक्री या अन्यथा लेनदेन के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने की करवाई करनी चाहिये।प्रतिबंध की अवहेलना करने पर व्यक्ति/संस्था को वित्तीय दंड का प्रावधान हो।

ब्लाक चैन को क्रिप्टो से जोड़ना आवश्यक नही -

एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए डॉ महाजन कहते है कि इसके समर्थक ब्लाक चैन के लिए क्रिप्टो को अनिवार्य बताते है जबकि यह तर्क झूठा औऱ आधारहीन है।ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी को केवल क्रिप्टो करेंसी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। आर्थिक या सामाजिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में इस तकनीक के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी करने से संबंधित कानून जल्दी से तैयार किया जाए।

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