नेपाल में तेज होती हिंदू राष्ट्र की मांग

नेपाल में तेज होती हिंदू राष्ट्र की मांग
प्रमोद भार्गव

नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के 15 साल बाद एक बार फिर से राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग जोर पकड़ रही है। इसे लेकर 23 नवंबर 2023 को काठमांडू की सड़कों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। कारोबारी दुर्गा प्रसाई के नेतृत्व में 'राष्ट्र, राष्ट्रवाद, धर्म, संस्कृति और नागरिकों की रक्षा के लिए अभियान 'शुरू हुआ है। 2008 में नेपाल के गणराज्य बनने के बाद से यह सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया जा रहा है। फिलहाल हिंदू मुहिम के अगुआ प्रसाई सरकार की कड़ी निगरानी में हैं। एक समय प्रसाई के प्रधानमंत्री प्रचंड और ओली के साथ घनिष्ठ संबंध थे, लेकिन अब वह नियमित रूप से आलोचना कर रहे है। इसी समय राजशाही के दौर में गृहमंत्री रहे कमल थापा ने हिंदू राष्ट्र की मांग के लिए नया गठबंधन बनाया है। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह भी एकाएक सक्रिय होकर सार्वजनिक कार्यक्रमों में भागीदारी करने लगे हैं। वह मंदिरों में भी होने वाली पूजा में शामिल हो रहे हैं। भारत में राम मंदिर के 22 जनवरी 2024 को होने जा रहे उद्घाटन का प्रभाव भी नेपाल में उठ रही हिंदू राष्ट्र की मांग पर पड़ रहा है। इस मांग के विरुद्ध सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के नेता राजशाही और हिंदू राष्ट्र की आलोचना हेतु एकजुट हो गए हैं। प्रचंड ने प्रदर्शनकारियों को अराजकतावादी करार दिया है। वहीं ओली ने हिंदू साम्राज्य की तुलना पाषाण युग से करके आग में घी डालने का काम कर दिया है।

हालांकि यह मांग कोई नई नहीं है। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बाहदुर देउबा अप्रैल-2022 में भारत आए थे। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के बाद से ही जनता में नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाये जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस मांग में नेपाल के मुस्लिम भी शामिल हैं। दोनों हिंदू देशों के लिए यह एक सुखद संदेश है। इस दोस्ताना शिखर-वार्ता से तय हुआ था कि नेपाल चीन के विस्तारवादी शिकंजे से मुक्त होने की राह पर चल पड़ा है। नेपाल ने अब भरोसा दिया है कि सीमा विवाद का राजनीतिकरण नहीं होगा और जल्द इस विवाद को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझा लिया जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव के चलते भारत ने नेपाल में 75 विकास परियोजनाएं शुरू करने की घोषणा की थी। भारत के आर्थिक सहयोग से तैयार बिहार के जयनगर और नेपाल के कुर्था तक रेल सेवा का उद्घाटन भी किया था। भारत के धार्मिक श्रद्धालुओं को यह रेल जनकपुरधाम तक पहुंचना आसान कर देगी। हालांकि इस मुलाकात के कुछ समय बाद ही नेपाल में सत्ता परिवर्तन हुआ और मओवादी चीन से प्रभावित पुष्प कमल दहल 'प्रचंडÓ फिर से प्रधानमंत्री बन गए थे। दरअसल नेपाल की कम्युनिष्ट पार्टी का चीन की गोद में बैठना और भारत विरोधी अभियान चलाना देश की जनता को नागवार गुजर रहा है। राजशाही के साथ हिंदू राष्ट्र बहाली की मांग भी मुखर हुई है। नेपाल के मुसलमान भी देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के पक्ष में हैं। नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों में शामिल राप्ती मुस्लिम सोसायटी के अध्यक्ष अमजद अली ने कहा है कि इस्लाम को बचाने के लिए यह जरूरी है। समाज के कुछ नेताओं का मानना है कि हिंदू राष्ट्र का दर्जा खत्म होने के बाद से नेपाल में ईसाई मिशनरियां ज्यादा सक्रिय हो गई हैं। मिशनरी इस स्थिति का फायदा उठाकर लोगों का धर्म परिवर्तन करवा रही हैं। यूसीपीएन माओवादी के मुस्लिम मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष उदबुद्दीन फ्रू भी मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करते हैं। गौरतलब है कि राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और कई हिंदूवादी संगठन काफी समय से नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र का दर्जा देने के लिए अभियान चला रहे हैं। पिछले महीने राजनीतिक दलों के बीच नए संविधान में देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान खत्म करने को लेकर सहमति बनी थी। इसके बाद से यह मांग और तेज हो गई है। देश के सभी संप्रभुताओं के लोग मानते हैं कि पुरानी हिंदू पहचान की बहाली का कोई विकल्प नहीं है। धर्मनिरपेक्षता हिंदू-मुस्लिम एकता तोड़ने की साजिश है। दरअसल पांच साल पहले दो नेपाली युवकों को बुटवॉल में पुराने राष्ट्रगान को गाने की वजह से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से ही पूरे नेपाल में इस राष्ट्रगान को गाने का सिलसिला चलने के साथ हिंदू राज की पुनर्स्थापना की मांग उठ रही है।

पूरी दुनिया में नेपाल ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसे आज तक कोई दूसरा देश परतंत्र नहीं बना पाया। इसलिए यहां स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता। किंतु चीन के लगातार बढ़ रहे हस्तक्षेप के चलते लोगों को लगने लगा है कि कहीं यह हिंदू धर्मावलंबी देश अपनी मौलिक संस्कृति व स्वतंत्रता न खो दे। नेपाल एक दक्षिण एशियाई देश है। नेपाल के उत्तर में चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है। जिसे चीन निगलता जा रहा है। दक्षिण पूर्व व पश्चिम में भारत की सीमा लगती है। नेपाल की 85.5 प्रतिशत आबादी हिंदू है, इसलिए वह प्रतिशत के आधार पर सबसे बड़ा हिंदू धर्मावलंबी देश है। नेपाल में लंबे समय तक राजशाही रही है। किंतु राजशाही के खूनी दुखद अंत के बाद यहां माओवादी नेता प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने से सामंतशाही सिमटती चली गई और 18 मई 2006 को राजा के अधिकारों में कटौती कर नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित कर माओवादी लोकतंत्र की शुरूआत हो गई। तभी से चीनी हस्तक्षेप के चलते यहां के मूल स्वरूप को बदलने के अलावा भारत के साथ संबंध खराब होने की शुरूआत भी हो गई थी। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन के दबाव में न केवल भारत से शत्रुतापूर्ण संबंधों की बुनियाद रखी,,बल्कि चीनी सेना को खुली छूट देकर अपनी जमीन भी खोना शुरू कर दी। जाहिर है, नेपाल में लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना तो हो गई,, लेकिन लचर नेतृत्व के चलते यह देश अपना अस्तित्व खोने की कगार पर आ खड़ा हुआ था।

(लेखक वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं)

Next Story