शत्रु सेवा प्रगतिवाद

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विदेशी अखबारों के झरोखे से- डॉ. सुब्रतो गुहा

भारत के समाचार पोर्टल वेबसाइट न्यूजक्लिक के संस्थापक एवं इससे जुड़े पत्रकारों के घरों तथा कार्यालयों पर दिल्ली पुलिस ने छापे मारकर अनेक दस्तावेज बरामद किए। इससे पूर्व हमारे न्यूयार्क टाईम्स के ही खोजी पत्रकारों ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी प्रमाणों सहित कि वामपंथी न्यूजक्लिक वेबसाइट सीधे चीन के निर्देश पर काम कर रहा है। इसलिए विगत कई वर्षों से न्यूजक्लिक द्वारा चीन के समर्थन में तथा भारत के विरोध में समाचारों का निरंतर प्रस्तुतिकरण किया है। प्रसिद्ध वामपंथी नेत्री कविता कृष्णन ने न्यूजक्लिक के विरुद्ध पुलिस कार्यवाही का घोर विरोध करते हुए बयान जारी किया- भारत की मोदी सरकार द्वारा यह पत्रकारों एवं स्वतंत्र पत्रकारिता पर जघन्य आक्रमण है- जो पत्रकार अति महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं।Ó

द न्यूयार्क टाईम्स, अमेरिका

(टिप्पणी- वामपंथी माओवादी पत्रकार प्रबीर पुरकायास्थ द्वारा संचालित समाचार वेबसाइट न्यूजक्लिक का तार सीधे नेविल राय सिंघम से जुड़े हैं, जो चीनी साम्यवादी पार्टी के निर्देशानुसार कार्य करता है। दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि चीनी साम्यवादी पार्टी द्वारा अड़तीस करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी गई तथा इसके लाभार्थियों में पत्रकार अभिसार शर्मा तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड एवं उनके पति जावेद आनंद शामिल हैं। साथ ही प्रामाणिक दस्तावेज मिले हैं कि कुख्यात माओवादी गौतम नवलखा न्यूजक्लिक का प्रमुख शेयर धारक है- वह गौतम नवलखा जो पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आईएसआई के एजेन्ट गुलामनबी फार्ड से जुड़कर अमेरिका व पश्चिमी देशों में जम्मू कश्मीर की आजादी संबंधी कार्यक्रम करवाता रहा एवं तत्पश्चात 2018 के भीमा कोरेगांव दंगों में मुख्य भूमिका निभाई और न्यायालय ने उसे सश्रम कारावास का दंड दिया। वैसे वामपंथी कविता कृष्णन के नजरिए से यह सभी गंभीर पत्रकार महत्वपूर्ण कार्य दायित्व निभा रहे थे- भारत को खंड-खंड कर बिखेरने का दायित्व।)

दहाड़ने वाले मिमियाने लगे: कनाडा सरकार ने औपचारिक स्तर पर भारत से अनुरोध किया है कि भारत कनाडा के राजनयिकों को भारत छोड़कर जाने के आदेश देना बंद करे। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने एक बयान दिया कि कनाडा के राजनयिकों का पर्याप्त संख्या में भारत में रहना आवश्यक है ताकि वे भारत कनाडा के बीच वर्तमान तनाव को कम करने हेतु योगदान दे सकें। कनाडा के सर्वोच्च सरकारी अधिकारियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्रों द्वारा विनम्र निवेदन किया है कि कनाडा के राजनयिकों को भारत से चले जाने के आदेश अब बंद किए जाएं।

- द वाल स्ट्रीटजर्नल, न्यूयार्क अमेरिका

(टिप्पणी- कनाडा के खालिस्तान समर्थक प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो द्वारा पिछले महीने बिना किसी प्रमाण के भारत सरकार को कनाडा की जमीन पर कुख्यात खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में सहभागिता के निराधार आरोप के बाद से ही भारत का लगातार पलटवार जारी है- कनाडा जाने का वीजा बंद करने, कनाडा को आतंकवादी समर्थक देश बताकर वहां बसे भारतीयों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह के बाद भारत सरकार ने कनाडा को निर्देश दिया कि कनाडा भारत में तैनात अपने दो तिहाई राजनयिकों को वापस बुला ले। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो को भारत के विरुद्ध संघर्ष में अमेरिका तथा नाटो संगठन के मित्र देशों का समर्थन एवं सहयोग नहीं मिला, कनाडा के अंदर मीडिया, जनता एवं विपक्षी दल कंजरवेटिव पार्टी द्वारा खालिस्तानी आतंकी की हत्या में भारत के शामिल होने के सबूत बारम्बार मांगने पर भी नहीं दे पाए और अब भारत के कड़े कदमों से कनाडा को अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक एवं आर्थिक स्तर पर भारी नुकसान उठाना पड़ा है। भारत सरकार की चेतावनी के बाद कनाडा को भारत में अपने दो तिहाई राजनयिकों को मलेशिया और सिंगापुर में मजबूरन तैनात करना पड़ा है। दहाड़ का उत्तर दहाड़ से पाकर मिमियाने की बारी कनाडा की है।)

मंडल बनाम कमंडल: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार राज्य में जातिगत जनगणना करवाकर उसकी रिपोर्ट जारी करने की घटना अन्य राजनीतिक दलों एवं अन्य राज्य सरकारों को भी ऐसी जातिगत जनगणना करवाने हेतु मजबूर करेगी और यह घटनाक्रम 2024 के संसदीय चुनाव में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनेगी। अखिल भारतीय स्तर पर भी हिन्दू जातियों की जनगणना की मांग अब जोर पकड़ेगी और मोदी सरकार दबाव में आएगी।

-गल्फ न्यूज दुबई

(टिप्पणी- सन उन्नीस सौ नब्बे में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने के माध्यम से हिंदू समाज में जातिगत विघटन के प्रयास के जवाब में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी ने हिंदू समाज में जातिगत बिखराव रोकने हेतु रामरथ यात्रा निकाली। इसे मीडिया ने मंडल बनाम कमंडल घटनाक्रम निरुपित किया। 1990 से 2023 के बीच प्रधानमंत्री सहित अनेक राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी मुख्यमंत्री, बड़ी संख्या में ओबीसी सांसद व विधायक देकर भाजपा ने ओबीसी मतदाताओं का विश्वास जीता एवं ओबीसी तथा अनुसूचित जाति व जनजाति हेतु अनेक विकास प्रकल्प प्रारंभ किए। परिणाम यह हुआ कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को कुल ओबीसी मतदाताओं से चौतीस प्रतिशत का समर्थन मिला जो 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर चवालीस प्रतिशत हो गई। अभी मोदी सरकार ने सुविधा संपन्न ओबीसी की तुलना में अति निर्धन ओबीसी को अधिक लाभ देने का प्रकल्प रोहिणी आयोग लागू करने की घोषणा की है। इससे लालू, नीतीश एंड कंपनी का रक्तचाप बढ़ना ही था और फिर बाईस जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य राममंदिर के उद्घाटन की घड़ी निकट- हिंदू एकता का खतरा प्रत्यक्ष जब दिखे तब विघटन बाण चलाए जाएं तो आश्चर्य क्यों होना चाहिए?)

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

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