भारत के लिए अहम है जी-20 का एजेंडा
जी-20 सदस्य देशों के कुछ नेताओं द्वारा शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का निर्णय लेने के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि सम्मेलन में प्रतिनिधित्व के स्तर के बजाय प्रमुख ज्वलंत मुद्दों पर देशों द्वारा अपनाई जाने वाली स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए जहां भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पूरी तरह तैयार है वहीं इस सम्मेलन को पूरी तरह सफल बनाने के लिए सदस्य देशों के वार्ताकार पूरा प्रयास कर रहे हैं ताकि सभी नेता समान निष्कर्ष पर पहुँच सकें। इस बीच, रूस और चीन के राष्ट्रपतियों के इस सम्मेलन में नहीं आने को लेकर भारत बिल्कुल परेशान नहीं है। हम आपको बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने घोषणा की है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस सप्ताह नयी दिल्ली में होने जा रहे जी20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे और चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री ली क्विंग करेंगे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने के अपने फैसले से पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अवगत करा चुके हैं क्योंकि उन्हें यूक्रेन में ''विशेष सैन्य अभियानÓÓ पर ध्यान केंद्रित करना है। हम आपको यह भी बता दें कि रूसी राष्ट्रपति पिछले साल नवंबर में भी जी-20 के बाली शिखर सम्मेलन में भी शामिल नहीं हुए थे।
इस बीच, जी-20 सदस्य देशों के कुछ नेताओं द्वारा शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का निर्णय लेने के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि सम्मेलन में प्रतिनिधित्व के स्तर के बजाय प्रमुख ज्वलंत मुद्दों पर देशों द्वारा अपनाई जाने वाली स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, ''आखिरकार, देशों का प्रतिनिधित्व उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसे उन्होंने अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुना है। प्रतिनिधित्व का स्तर किसी देश की स्थिति का अंतिम निर्धारक नहीं बनता है।ÓÓ हम आपको बता दें कि उन्होंने यह टिप्पणी दूरदर्शन पर प्रसारित एक चर्चा के दौरान की। जयशंकर ने दूरदर्शन पर प्रसारित टिप्पणी में कहा कि इस साल के जी-20 शिखर सम्मेलन को ''इसके परिणामोंÓÓ के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्वलंत मुद्दों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों एवं समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
हम आपको यह भी बता दें कि जी-20 शिखर सम्मेलन के केवल तीन दिन शेष रहने के बीच समूह के सदस्य देशों के शीर्ष वार्ताकारों ने इस सम्मेलन के लिए नेताओं की घोषणा के मसौदे को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनाने के मकसद से व्यापक बातचीत की है। इस मामले से अवगत अधिकारियों ने बताया कि जी-20 शेरपाओं (वार्ताकारों) ने मुख्य रूप से डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य शासन ढांचा बनाने, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को सुनिश्चित करने के कदम उठाने, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तपोषण और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया। शेरपाओं की तीन दिवसीय बैठक हरियाणा के नूंह जिले के आईटीसी ग्रैंड भारत होटल में हो रही है। बैठक की अध्यक्षता भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत कर रहे हैं। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि चीन को एजेंडे की बातों के विभिन्न पहलुओं पर आपत्ति है जिसके परिणामस्वरूप आम सहमति बनाने में कठिनाइयां हो रही हैं।
हम आपको बता दें कि जी-20 सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और किसी एक भी सदस्य देश का अलग दृष्टिकोण बाधा उत्पन्न कर सकता है। समूह के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत नौ और 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। नेताओं की घोषणा का मसौदा समावेशी और सतत विकास, हरित विकास, बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार और डिजिटल परिवर्तन जैसी भारत की प्राथमिकताओं पर आधारित है। एक सूत्र ने कहा, ''मसौदा घोषणा के लिए आम सहमति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।ÓÓ नेताओं की घोषणा के मसौदे में अफ्रीकी संघ को जी-20 की स्थायी सदस्यता देने का भारत का प्रस्ताव भी शामिल है। यह अभी ज्ञात नहीं है कि इस प्रस्ताव पर पूर्ण सहमति है या नहीं।
( लेखक प्रभासाक्षी पोर्टल के संपादक हैं)