उप्र कैसे बना भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

उप्र कैसे बना भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
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शिवेश प्रताप

वर्तमान में मुरादाबाद रेल लिंक्ड जॉइंट डोमेस्टिक एक्सिम टर्मिनल, रेल लिंक्ड प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल तथा कानपुर व दादरी में शुष्क बंदरगाह सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। जल मार्ग के लिए वाराणसी से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक जल राजमार्ग संख्या एक प्रारंभ हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का ध्यान उत्तर प्रदेश के पारंपरिक उद्योगों के संरक्षण एवं संवर्धन के द्वारा निर्यात को बढ़ाने पर है। इन पारंपरिक उद्योगों में भी दो ऐसे क्षेत्र टेक्सटाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हैं जिसमें यूपी के पास एक बहुत बड़ा अवसर है।

परंपरागत एवं श्रम आधारित टेक्सटाइल उद्योग: उत्तर प्रदेश भारत का तीसरा सबसे बड़ा टेक्सटाइल उत्पादन करने वाला प्रदेश है तथा राष्ट्रीय उत्पादन में 13.24 प्रतिशत का योगदान करता है। उत्तर प्रदेश में लगभग ढाई लाख हैंडलूम बुनकर तथा चार लाख 21 हजार पावरलूम बुनकर मौजूद हैं। उत्तर प्रदेश सरकार इस क्षेत्र में निर्यात को और बढ़ाना चाहती है साथ ही सरकार का लक्ष्य है कि इस उद्योग से जुड़ा हुआ अंतिम व्यक्ति भी निर्यात से लाभान्वित हो सके क्योंकि कपड़ा उद्योग कम पूंजी निवेश तथा अधिक मानवीय श्रम आधारित उद्योग है। 10 हज़ार की एक सिलाई मशीन दो लोगों को रोजगार दे सकती है। यही कारण है कि कपड़ा उद्योग न केवल निर्यात प्रोत्साहन कर सकता है अपितु बेरोजगारी की विकराल समस्या का भी समाधान कर सकता है।

टेक्सटाइल के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। यह योगदान उत्तर प्रदेश के चार जिलों से हो रहा है। नोएडा के रेडीमेड कपड़े, मेरठ का स्पोर्ट वेयर, कानपुर के बच्चों के कपड़े तथा लखनऊ के पारंपरिक चिकन इसमें अपना अहम योगदान दे रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश सरकार इन्हीं जनपदों में टेक्सटाइल उद्योग के निर्यात प्रोत्साहन पर ध्यान दे रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 58 स्पिनिंग मिल्स तथा 74 टेक्सटाइल मिलें चल रही हैं। कपड़ा उद्योग के निर्यात प्रोत्साहन से उत्तर प्रदेश में लगभग 5 लाख लोगों को रोजगार मुहैया होगा।

चीन को चुनौती देता इलेक्ट्रॉनिक उद्योग: वैश्विक स्तर पर चीन का शेनझेन शहर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का सबसे बड़ा ठिकाना है। पूरे विश्व का 90 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद इसी शहर की देन है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के प्रति बनते रुझानों के कारण अब प्रदेश के साथ-साथ केंद्र सरकार भी उत्तर प्रदेश को चीन के इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के एकाधिकार के प्रत्युत्तर में उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के क्षेत्र में वरीयता दे रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश ने 29,699 करोड रुपए का इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्यात किया। केंद्र सरकार के मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक 300 बिलियन डॉलर मूल्य के विनिर्माण का लक्ष्य रखा है। इसका एक तिहाई लक्ष्य यानी 100 बिलियन डॉलर उत्तर प्रदेश द्वारा पूरा किए जाने की अपेक्षा है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश भारत के कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक है। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एवं विनिर्माण की 196 कंपनियां उत्तर प्रदेश में ही स्थापित हैं।

प्रदेश की योजनाओं से हुआ व्यापक परिवर्तन: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2020 में नई इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति का प्रारंभ तब किया जब कोरोना के संकट के दौर में दुनिया की तमाम कंपनियां चीन से निकलकर अन्य देशों में अपनी व्यापारिक संभावनाएं तलाश रही थीं। योगी सरकार के द्वारा 2017 में लाए गए पंचवर्षीय इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण लक्ष्य के परिणाम नोएडा में दिखने शुरू होने से सरकार का प्रोत्साहित होना तर्कपूर्ण भी है। इसी योजना के अंतर्गत नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग जोन के रूप में चिन्हित किया गया। 2020 में लागू की गई नई इलेक्ट्रॉनिक नीति के तहत सरकार द्वारा 40,000 करोड़ का निवेश एवं चार लाख लोगों की रोजगार का लक्ष्य 2025 तक निर्धारित किया गया है। इसी नीति के तहत बुंदेलखंड में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर तथा लखनऊ-उन्नाव-कानपुर जोन में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर स्थापित किया जा रहा है। सरकार का ध्यान न केवल नीतियां बनाने पर है अपितु उसके सफल क्रियान्वयन के लिए प्रदेश सरकार की मशीनरी जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है। योगी सरकार के द्वारा पश्चिमांचल एवं मध्यांचल में सर्किल रेट से 25 प्रतिशत छूट पर निवेशकों को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। बुंदेलखंड तथा पूर्वांचल में यह छूट 50 प्रतिशत की रहेगी।(क्रमश)

(लेखक तकनीकि-प्रबंध सलाहकार हैं)

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