भारत-फ्रांस संबंधों की अहमियत
डॉ. नवीन कुमार मिश्र
अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में बहुधु्रवीय विश्व के हिमायती तथा रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाकर चलने वाले भारत और फ्रांस के बीच गहरे आर्थिक व भू-रणनीतिक संबंध हैं। फ्रांस में भारत के प्रति गहरा सकारात्मक भाव है। वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन सहित सारी दुनिया के विभिन्न देश प्रतिबंधों को लगाकर भारत के विरुद्ध हो गए थे, तब तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक शिराक भारत के साथ मजबूती से खड़े हुए थे और भारत के विषय में कहा था कि एशिया की उभरती हुई महाशक्तियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तब से लेकर अब तक फ्रांस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है तथा कभी दूसरे देश के साथ मिलकर भारत का विरोध नहीं किया। रूस-यूक्रेन के युद्ध पर फ्रांस से अलग राय रखने वाले भारत के प्रधानमंत्री को 14 जुलाई के राष्ट्रीय दिवस पर गेस्ट ऑफ ऑनर बनाना भारत के फ्रांस के साथ गहरे संबंधों को दर्शाता है। भारत-फ्रांस के सामरिक रिश्तों की 25वीं जयंती होने के कारण यह और विशेष मौका था, जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को फ्रांस का सबसे बड़ा नागरिक व सैन्य सम्मान 'दी ग्रैंड क्रास ऑफ द लीजन ऑफ आनरÓ देकर सम्मानित किया गया। बास्टील डे परेड में भारत के थल, जल और वायु सेना के 269 जवानों की तीन टुकड़ियों ने पेरिस में मार्च और फ्लाईपास्ट किया। भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच यह प्रथम विश्व युद्ध से जारी है। इस युद्ध में 13 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने भाग लिया था तथा साहस, वीरता और सर्वोच्च समर्पण से शत्रुओं को विफल कर दिया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना के फ्रांस को किए सहयोग को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जो आज भी परस्पर मजबूत, विश्वसनीय व निरंतरता लिए हुए है।
भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय संबंधों का मूलभूत स्तंभ रक्षा सहयोग है। फ्रांस सत्तर के दशक से ही ऊर्जा, एयरोस्पेस, सुरक्षा उद्योग में भारत का सहयोगी रहा है। अमेरिका के असहयोग के बाद फ्रांस की मदद से ही 1974 में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। वर्ष 1982 में तत्कालीन फ्रांंसीसी राष्ट्रपति के भारत आने के बाद मिराज 2000 विमान खरीदे गए। इसके बाद 2005 में छह स्कार्पियन श्रेणी की पनडुब्बियां खरीदी गई थी। फिर 2015 में 36 रफाल लड़ाकू विमान खरीदे गए। 13 व 14 जुलाई 2023 को फ्रांस की यात्रा के दौरान कई बड़े सैन्य और रणनीतिक समझौतों किए गए है, जिनमें नौसेना के लिए 26 राफेल-मरीन फाइटर जेट्स और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का सौदा प्रमुख हैं, जो लगभग 80 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक के स्ट्रैटिजिक सौदे है। इन लड़ाकू विमानों को स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किए जाने है। इसके अलावा फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन भी करता रहा है। फ्रांस ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने के लिए अपना समर्थन के साथ वैश्विक व्यवस्था में भारत के योगदान को महत्वपूर्ण मानता है।
फ्रांस भारत का सहयोगी देश से बढ़कर आज मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत रक्षा उपकरणों व हथियारों का उत्पादन करने को राजी हुआ है, साथ ही दूसरे देशों के लिए भी रक्षा उत्पाद बनाने का काम भी करेंगे। रक्षा क्षेत्र में अभी तक इस प्रकार संबंध रूस के साथ था, परन्तु वर्तमान परिस्थितियों में रूस पर अत्यधिक निर्भरता ठीक नहीं है। इसके साथ ही फ्रांस के साथ आधुनिक तकनीक में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया गया। फ्रांस का रक्षा अतंरिक्ष एजेंसियों के बीच सहयोग के साथ हेलीकॉप्टर इंजन निर्माण व परमाणु ऊर्जा के लिए छोटे व अत्याधुनिक रिएक्टर बनाने पर सहयोगी रहेगा। भारत और फ्रांस द्विपक्षीय व रणनीतिक साझेदारी से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी, जिसमें आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस, तकनीक का आदान-प्रदान जलवायु परिवर्तन, नवकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण सुरक्षा, ओसियन गवर्नेन्स रोडमैप और लोगों से संबंध बढ़ाने जैसे मुद्दे है।
भारत के फ्रांस से सम्बन्ध आर्थिक से ज्यादा रणनीतिक रहे हैं। यह संबंध दोनों देशों की रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रों की संप्रभुता के सम्मान की एक जैसी इच्छा से भी पोषित हैं। फ्रांस और भारत दोनों चीन के बढ़ते प्रभाव को सीमित करने के लिए तत्पर है। इस वर्ष 13 व 14 मार्च को फ्रांस ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में क्वाड देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और ब्रिटेन की नौसेनाओं के साथ एक बहुपक्षीय युद्धाभ्यास 'ला पेरोसÓ का नेतृत्व किया था। साथ ही भारत-फ्रांस के बीच युद्धपोतों को हिंद महासागर में एक दूसरे के नौसैनिक स्टेशनों तक पहुंचने की अनुमति जैसे रणनीतिक समझौता चीन के विस्तारवाद पर अंकुश लगाने के लिए कारगर साबित होंगे। फ्रांस भारत को हिंद-प्रशांत रणनीति का अहम स्तंभ के रूप में मानता है। हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की शांति व स्थिरता जिम्मेदारी समझते हुए दोनों देश अगले 25 वर्षों के संबंधों का एक रोडमैप 'क्षितिज 2047Ó जारी किया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए राफेल मरीन फाइटर जेट्स हमारी नौसेना को बड़ी ताकत दे सकते है। फ्रांस से भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होना न सिर्फ मेक इन इंडिया प्रोग्राम में मदद करेगा, बल्कि हमारी रीजनल सिक्योरिटी की दृष्टि से, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमें काफी सुदृढ़ता प्रदान करेगा।
रूस के बाद भारत की सबसे अधिक रक्षा जरूरतों को पूरा करने वाले फ्रांस के बीच यूपीआई के उपयोग को लेकर समझौता हो गया है। साथ ही मार्सिले में नया भारतीय दूतावास खुलेगा। भारतीय छात्रों को लंबी अवधि का वीजा देने तथा भारत में राष्ट्रीय संग्रहालय के विकास में भी फ्रांस भागीदार बनेगा। भारत-फ्रांस एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और खुले हिंद-प्रशांत के प्रति समान विचार रखते है। सितंबर 2022 में भारत और फ्रांस एक हिंद-प्रशांत त्रिपक्षीय विकास सहयोग कोष स्थापित करने पर सहमत हुए थे, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिये सतत नए समस्या समाधानों का समर्थन करेगा। भारत, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात त्रिपक्षीय पहल का उद्देश्य अफ्रीका के पूर्वी तट से सुदूर प्रशांत तक समुद्री क्षेत्र जागरूकता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना है। कोरोना तथा रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। ग्लोबल साउथ के देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। साथ ही ये देश लम्बे समय से अपने अधिकारों से वंचित रहे है, जिसके कारण इन देशों में आक्रोश की भावना है। भारत पश्चिमी देशों व ग्लोबल साउथ के बीच सेतु का काम कर सकता है, जो विश्व में भारत का सामर्थ्य और भूमिका दोनों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। (भू-राजनीतिक मामलों के जानकार)