नई ऊंचाई पर भारत-यूएई संबंध

नई ऊंचाई पर भारत-यूएई संबंध
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अरविंद जयतिलक

सुयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान की 'वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिटÓ में सहभागिता और विकास कार्यों में सहयोग का संकल्प रेखांकित करता है कि दोनों देश आपसी रिश्ते को नई ऊंचाई देने को तैयार हैं। दोनों देशों के आपसी संबंधों में घनिष्ठता, उत्साह और विश्वास का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति नाह्यान ने अपने एक्स पर पोस्ट किया कि 'दोनों देशों की साझेदारी में लगातार विस्तार हो रहा है।Ó

गौर करें तो मौजूदा समय में दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते लगातार नई ऊंचाई को छू रहे हैं और साथ ही समय की कसौटी पर भी खरे हैं। दोनों देश पहले ही आर्थिक क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल करते हुए अपनी करेंसी रुपये और दिरहम में व्यापार समझौता शुरू करने की हामी भर चुके हैं। आरबीआई और संयुक्त अरब अमीरात के सेंट्रल बैंक के बीच भी एक फ्रेमवर्क तैयार हो चुका है जिसमें क्रॉस-बार्डर ट्रांजैक्शन के लिए लोकल करेंसी का इस्तेमाल होगा। इस पहल से दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिलना तय है। याद होगा गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर गए थे तब शहजादे शेख से भाई जैसा मिलने वाले प्यार को निरुपित करते हुए कहा कहा था कि भारत का हर व्यक्ति आपको एक सच्चे दोस्त के रुप में देखता हैं। गौर करें तो दोनों देशों के बीच बढ़ती प्रगाढ़ता कई मायने में महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक, राजनीतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक व आर्थिक कारणों से अरब देश सदैव ही भारत की विदेश नीति में विशिष्ट महत्व का विषय व केंद्र बिंदू रहे हैं। यह क्षेत्र भारत के विदेश नीति के रक्षा संबंधित पहलूओं को प्रभावित करता है और इसी को ध्यान में रख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात से निर्णायक संबंध जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह इसलिए भी आवश्यक है कि इस क्षेत्र में नए क्षेत्रीय कुटनीतिक-आर्थिक संबंध तेजी से बनते-बिगड़ते रहे हैं। इन परिस्थितियों के बीच संयुक्त अरब अमीरात की भारत से बढ़ती प्रगाढ़ता अति महत्वपूर्ण है। अच्छी बात है कि संयुक्त अरब अमीरात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन कर चुका है। दोनों देश आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में साथ मिलकर चलने का भी संकल्प ले चुके हंै। फिलहाल भारत को अरब देशों से ऐसे दीर्घकालिक एवं सुसंगत रणनीति के तहत काम करने की जरुरत है ताकि वह इस क्षेत्र की अपेक्षाएं एवं सरोकार को फलीभूत कर सके। अच्छी बात यह है कि भारत और यूएई दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा सहयोग बना हुआ है। अरसे से भारत अपनी संस्थाओं में संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा कार्मिकों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता रहा है और भारत भी संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आयोजित रक्षा कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है। याद होगा गत वर्ष पहले संयुक्त अरब अमीरात के प्रदर्शनी निगम द्वारा आयोजित किए गए सर्व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिरक्षा प्रदर्शनी में भारत ने शिरकत की थी। इसी तरह फरवरी 2007 में बंगलौर में आयोजित किए गए 'एयरो इंडिया शोÓ में भाग लेने के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने भी अपने अधिकारियों को भेजा था। जून 2003 में द्विपक्षीय प्रतिरक्षा आदान-प्रदान के लिए संयुक्त प्रतिरक्षा सहयोग समिति यानी ज्वाइंट डिफेंस को-ऑपरेशन कमेटी के गठन के लिए एक मसौदे पर हस्ताक्षर भी किए गए। भारतीय नौसेना के पोतों ने संयुक्त अरब अमीरात की अनके सद्भावना यात्राएं की। मौजूदा समय में भी तटरक्षक स्तर पर भी दोनों के बीच सहयोग बना हुआ है।

भारत संयुक्त अरब अमीरात का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है वहीं संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। साथ ही वह कच्चे तेल का तीसरा और एलएनजी-एलपीजी का दूसरा सबसे बड़़ा स्रोत है। मौजूदा समय में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 84 अरब डॉलर है। माना जा रहा है कि दोनों देशों के आर्थिक व कुटनीतिक संबंधों में और भी मजबूती आएगी और व्यापारिक साझेदारी को नया आयाम मिलेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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