सुविधाओं के भंवर में भारतीय समुद्री पर्यटन

सुविधाओं के भंवर में भारतीय समुद्री पर्यटन
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शिवेश प्रताप

मालदीव एवं लक्षद्वीप का मुद्दा बीते दिनों विश्व चर्चा के केंद्र में आ गया। भारत में भारत के तमाम ख्यातिलब्ध लोग देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के समर्थन में उतर आए हैं जो उचित है। इसी के साथ लोगों में यह विमर्श भी चल पड़ा है की आखिर क्यों भारत को छोड़कर लोग मालदीव या अन्य विदेशी स्थानों पर छुट्टियां मनाने जाते हैं। समाज और सरकार को यह समझने की आवश्यकता है और इसके अनुरूप सुधार की जरूरत है। हम देशभक्ति के कारण कुछ समय के लिए मालदीव को छोड़कर लक्षद्वीप तो आ सकते हैं परंतु समय के साथ पुन: मालदीव हमारे पर्यटकों को आकर्षित कर लेगा।

मालदीव सरकार के 2023 के पर्यटन डाटा के अनुसार पूरी दुनिया से मालदीव जाने वाले लोगों में सबसे अधिक भारतीय हैं जिनकी संख्या 2 लाख से ऊपर है। भारत के 44 प्रतिशत लोग हनीमून के लिए उनके देश में जाते हैं। भारत से मालदीव जाने वाले 73 प्रतिशत लोग रोमांटिक छुट्टियों के लिए जाते हैं जबकि मात्र 23 प्रतिशत लोग परिवार के साथ जाते हैं। भारत में रोमांटिक समुद्री छुट्टियों के लिए मुफीद स्थान न होने की वजह से नए जोड़े अथवा पति-पत्नी मालदीव जाते हैं। मालदीव सरकार की डाटा के अनुसार मालदीव जाने वाला हर व्यक्ति वहां औसतन 80 हजार से 4 लाख रुपए खर्च करता है।

प्रश्न यह भी है की भारत में पर्यटक इतना क्यों नहीं खर्च कर पाता? जबकि यही भारत के लोग मालदीव, थाईलैंड या वियतनाम जैसे देशों में भी घूमने क्यों जाते हैं। हमारे पास गोवा, अंडमान और लक्षद्वीप जैसे अद्वितीय पर्यटन स्थल है परंतु विश्व के पर्यटक तो दूर हम अपने देसी पर्यटकों को भी वहां आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं, आइये इन बिंदुओं की पड़ताल करते हैं। भारत में पर्यटन को तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, पहला इंफ्रास्ट्रक्चर दूसरा महंगाई और तीसरा सामाजिक व्यवहार।

इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास: भारत के तटीय क्षेत्रों तथा द्वीपों में भारत सरकार के द्वारा उचित इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं किया गया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अंडमान निकोबार एवं लक्षद्वीप में तेज इंटरनेट की उपलब्धता मोदी सरकार के शासनकाल में सुनिश्चित हो रही है। भारत सरकार के पर्यावरण संबंधी अत्यंत कठोर मानकों के चलते भी भारत में जलीय पर्यटन की संभावनाएं लगभग नग्न हो जाती है या अवैध रूप से संचालित होती हैं। समुद्री पर्यटन के विकास के लिए मोदी सरकार की सागरमाला परियोजना के द्वारा पहली बार गति मिलना सुनिश्चित होगा। उच्च गुणवत्ता के सड़कों का अभाव भारत के तटीय इलाकों में लोगों की पहुंच को कठिन बना देते हैं। अंडमान निकोबार तथा लक्षद्वीप तक जाने वाले वायुसेवाओं की कीमत आसमान छूती है और उससे कम दाम में आप विदेश में जा सकते हैं। सरकार को ऐसी जटिल स्थितियों में हस्तक्षेप करते हुए ऐसे पर्यटन क्षेत्र तक उचित किराए पर आवागमन सुनिश्चित करना चाहिए। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार को अपने तमाम द्वीपों को अलग-अलग थीम पर विकसित करना चाहिए।

अनावश्यक महंगाई की मार: भारत में नीति निर्माता समुद्री पर्यटन को विलासिता के उच्चतम मानदंडों पर रखकर देखते हैं। ऐसे पर्यटन आधारित क्षेत्रों में सरकार द्वारा होटल या मनोरंजन व्यवसाय को किसी रियायत पर जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाती है जैसे शिक्षा संस्थानों या अस्पतालों आदि के लिए रियायत उपलब्ध होती है इसके फलस्वरूप द्वीपों तथा तटीय क्षेत्र में होटल बहुत महंगे दामों पर उपलब्ध हो पाते हैं। महंगाई का दूसरा कारण यह भी है कि ऐसे तटीय पर्यटन क्षेत्र तथा द्वीप समूहों पर सरकार द्वारा होटल एवं सामाजिक गतिविधियों वाले जरूरी एवं व्यापारिक नियम कानून के अभाव में अधिकतर संचालकों द्वारा होटल या अन्य मनोरंजक गतिविधियों को अवैध रूप से संचालित करना पड़ता है और भ्रष्टाचार के कारण ऐसी सुविधाओं की कीमत बहुत बढ़ जाती है। यदि सरकार लक्षित रूप से तटीय क्षेत्र एवं अपने द्वीपों पर जमीनों को होटल एवं अन्य सामाजिक/ व्यावसायिक गतिविधियों के लिए रियायती दामों पर उपलब्ध कराए तो इससे निवेशकों को सुरक्षा भी मिलेगी साथ ही लोगों को उचित दामों पर अच्छे होटल या सुविधाएं मिल पाएंगी।

(लेखक तकनीकी-प्रबंध सलाहकार हैं)

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