वैश्विक व्यवस्था में भारतीय दर्शन की धूम

वैश्विक व्यवस्था में भारतीय दर्शन की धूम
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प्रो. अंशु जोशी

वर्ष 2023 ख़त्म होने को है और दुनिया नए अवसर तलाशने के लिए नए वर्ष का बेसब्री से इंतज़ार कर रही है। वैश्विक मामलों की दृष्टि से यह वर्ष असाधारण रहा। अमेरिका और चीन की प्रतिद्वंद्विता के बीच, दुनिया ने हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों में चीन द्वारा उत्पन्न की गयीं नई सुरक्षा चुनौतियों को देखा, जबकि अमेरिका नाटो और पश्चिमी ब्लॉक को मजबूत करके अपनी शक्ति बढ़ाता रहा। रूस-यूक्रेन युद्ध तेज़ हुआ और 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इज़राइल पर हमला करने के बाद लेवांत क्षेत्र में युद्ध का एक और रंगमंच खुल गया। शक्तिशाली ब्रिटेन और जर्मनी सहित अधिकांश यूरोपीय देशों को इस वर्ष आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उत्तर कोरिया अपने अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन करता रहा, जबकि दक्षिण कोरिया और जापान ने अमेरिका का साथ देने का फैसला किया। चीनी मंत्री हवा में गायब हो गए जबकि शी को अपने घरेलू मोर्चे पर गंभीर आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फिर भी वह बेल्ट एंड रोड पहल के नाम पर चीनी विस्तारवादी नीति को बढ़ावा देने में व्यस्त रहे। अमेरिकी क्षेत्र में चीनी गुब्बारों के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। हालाँकि, शी ने वार्ता के कई मौके छोड़ने के बाद बाइडन से अंतत: सैन फ्रांसिस्को में आयोजित अपेक शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की। ऋण सीमा बढ़ाने के मुद्दे पर अमेरिका को संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ा। इस मुद्दे पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच कई दिनों की तनातनी के बाद, अमेरिकी कांग्रेस ने अंतत: वैश्विक वित्तीय बाजार के लिए राहत की सांस लेते हुए ऋण सीमा को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान में इस साल बड़ा राजनीतिक ड्रामा सामने आया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी से दंगे की स्थिति पैदा हो गई। बाद में पाकिस्तान ने समय से पहले ही अपनी संसद भंग कर दी। रूसी निजी सेना वैगनर ग्रुप के संस्थापक येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के साथ झगड़ा होने के बाद लापता हो गए (हालांकि कई लोग दावा करते हैं कि वह मर चुके हैं)। भारत और कनाडा के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब भारत में खालिस्तान आंदोलन का इतिहास जानने के बावजूद ट्रूडो ने आरोप लगाया कि हरदीप सिंह निज्जर ( वांछित खालिस्तानी आतंकवादी) की हत्या में भारत सरकार की भूमिका है। ज़ाहिर है, इसके बाद दोनों देशों के सम्बन्ध खराब हुए और अब वर्षांत पर अमेरिका में स्वामीनारायण मंदिर पर खालिस्तानी हमले की खबर से संबंधों में और कड़वाहट आना निश्चित है। 15वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस वर्ष दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित किया गया था। ऐतिहासिक जोहान्सबर्ग द्वितीय घोषणा को अपनाने के अलावा, सदस्य देशों ने ब्रिक्स के छह नए स्थायी सदस्यों की भी घोषणा की और उनका स्वागत किया।

हिंसक संघर्षों, अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों और राजनयिक बैठकों के बीच, विश्व राजनीति जटिल होते हुए भी गतिशील बनी रही। और मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि यह वर्ष भारत का है। भारत ने 'वसुधैव कुटुंबकमÓ के अपने मूल दर्शन का प्रसार करके और नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करके दुनिया में सकारात्मक 'कुटुंबÓ कूटनीति का एक नया अध्याय शुरू किया। इसने एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को जी-20 में ऐतिहासिक रूप से शामिल किया और ग्लोबल साउथ को नेतृत्व प्रदान करने के लिए शक्तिशाली बहुपक्षीय प्लेटफार्मों को लोकतांत्रिक बनाने के अपने लक्ष्य को दोहराया।

जी-20 शिखर सम्मेलन के दो दिनों में भारत ने दुनिया को आत्मनिर्भरता, शांति, अहिंसा, सहयोग, लोकतंत्र और सहकार के तरीके को अपनाने की सीख भी दी। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भारत को एक सच्चे वैश्विक नेता के रूप में प्रदर्शित किया, जिसने जी-20 के शक्तिशाली मंच का लोकतंत्रीकरण किया, इसे लोगों का जी-20 बनाया और बिना किसी असहमति के बहुप्रतीक्षित दिल्ली घोषणापत्र जारी किया। जी-20 के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्यÓ के लिए भारत का दृष्टिकोण दिल्ली घोषणापत्र के सभी आठ अध्यायों में प्रतिबिंबित होता है।

भारत ने इस वर्ष नई दिल्ली में एससीओ शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी की जिसमें सदस्य देशों के रक्षा मंत्री विभिन्न चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए। भारतीय रक्षा मंत्री ने शिखर सम्मेलन में चीन को चेतावनी दी और अन्य सदस्य देशों ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भारतीय चिंताओं का समर्थन किया। भारत-अमेरिका संबंधों ने भी सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। इस साल जून में भारतीय प्रधानमंत्री की बहुप्रतीक्षित अमेरिका यात्रा पूरी होने के बाद, दोनों देशों ने सुरक्षा और रक्षा, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि के प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहयोग की घोषणाएँ कीं। भारतीय प्रधानमंत्री ने इस वर्ष जुलाई में फ्रांस का आधिकारिक तौर पर दौरा भी किया और 14 जुलाई को फ्रांस के बैस्टिल दिवस (राष्ट्रीय दिवस) समारोह में भारतीय दल के साथ सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल हुए। भारत और फ्रांस ने अधिक प्रौद्योगिकी साझाकरण, सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने के लिए नीतियों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस साल प्रधानमंत्री मोदी की अबू धाबी यात्रा ने भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय संबंधों को अगले स्तर पर पहुंचा दिया। मोदी की यूएई की यात्रा के दौरान, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और यूएई के सेंट्रल बैंक ने दो महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।

भारत ने इस साल ये भी साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और लगन कभी असफल नहीं होते। 2019 में चंद्रयान 2 की विफलता के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दृढ़ वैज्ञानिकों ने मिशन चंद्रयान 3 के साथ आने के लिए कमियों को खोजने और उनका समग्र रूप से समाधान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस बार भारत ने न केवल चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल की, अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर अपना झंडा गाड़ने वाला चौथा देश बन गया। साथ ही भारत चंद्रमा के महत्वपूर्ण दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बन गया, जो एक अज्ञात क्षेत्र है और अंतरिक्ष विज्ञान तथा तकनीक के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह नया भारत है, जो विश्वगुरु है, विश्व-मित्र है और दुनिया को सिखाता है कि यद्यपि वैश्विक राजनीति सदैव परिवर्तनशील और जटिल रहेगी, सहयोग सकारात्मक विकास की कुंजी है। सबका साथ रहे, सबका विश्वास रहे, सबका विकास हो और इसमें सबका प्रयास हो।

(लेखिका जेएनयू में प्राध्यापक हैं)

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