भारत की वैश्विक स्तर पर बड़ी जीत
हाल ही भारत मे सम्पन्न हुये जी-20 समिट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की बड़ी जीत के रूप मे देखा गया है। जहां चीन और रूस जैसे वामपंथी देश इसमे शामिल नहीं हुये वहीं कई बार भारत सरकार के विरोध के बाद भी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर खालिस्तानी अलगाववादियों का समर्थन करने वाले कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो भी दुनिया के बड़े देशों के सामने अलग थलग दिखाई पड़े। किन्तु यह सब तो वैश्विक स्तर पर चलता ही रहता है अत: हम बात करते हैं उन महत्वपूर्ण मुद्दों की जिनमें भारत ने बाज़ी मारी है। इनमे सबसे पहला मुद्दा है की जी-20 सदस्य देशों के बीच सबकी सहमति से 'नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशनÓ (नई दिल्ली घोषणापत्र) को अपनाया गया है। इसमें बहुत से मुद्दों पर सभी देशों की सहमति बनी है। इतने सारे देशों को आम सहमति पर लेकर आना बहुत कठिन होता है अत: इसे भारत की दुनिया के देशों मे बढ़ती हुई साख के रूप मे देखा जा सकता है।
दूसरा मुद्दा यह है कि इस जी-20 समिट में इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर लॉन्च हुआ है। इस कॉरिडोर का उद्देश्य यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल से होते हुए भारत से यूरोप तक फैले रेलवे मार्गों और बंदरगाह लिंकेज को जोड़ना है। रेल लिंक से भारत और यूरोप के बीच व्यापार करीब 40 प्रतिशत तक तेज हो सकता है। भारत के इस प्रस्ताव पर सदस्य देशों की रजामंदी, चीन के लिए बड़े झटके से कम नहीं है। इस ऐलान से चीन के प्रोजेक्ट बीआरआई को तगड़ा झटका लगा है, जिसका भारत पहले से विरोध करता रहा है। चीन और पाकिस्तान पीओके पर कब्जा करके भारत का व्यापार वैश्विक स्तर पर रोकने का भरसक प्रयास कर रहे थे किन्तु अब इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर को वैश्विक स्तर पर समर्थन मिलने से परिस्थितियां बादल सकती हैं। इसी तरह से तीसरा मुद्दा है जी-20 समिट मे ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च किया गया है, इसका उद्देश्य टिकाऊ बायोफ्यूल का इस्तेमाल बढ़ाना है। बायोफ्यूल पेड़-पौधों, अनाज, शैवाल, भूसी और फूड वेस्ट से बनने वाला ईंधन होता है और इसे कई तरह के मायोमास से निकाला जाता है। इसमें कार्बन की कम मात्रा होती है, अगर इसका इस्तेमाल बढ़ेगा तो दुनिया में पारंपरिक ईंधन पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। साथ ही कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत भविष्य मे बायो फ्यूल मे अग्रणी देश बन सकता है।
एक बड़ी जीत भारत की अफ्रीका के मोर्चे पर भी हुई है जहां जी-20 समिट के पहले दिन में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थायी मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा था, बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से मोदी जी ने इसे पारित किया। एक्सपर्ट्स की मानें तो अफ्रीका में चीन का प्रभाव बढ़ा है। ऐसे में भारत का यह कदम अफ्रीकी महाद्वीप पर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए काफी अहम है। यही नहीं 55 देशों के इस समूह को जी-20 मे जुड़वाने में मदद करने से इन सभी की भारत के प्रति निष्ठा एवं विश्वास भी बड़ा है।
इस तरह समिट में भारत और अमेरिका के बीच 6 जी टेक्नोलॉजी को डेवलप करने पर सहमति बनी है। इसके अलायंस और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट करने पर ही नहीं, बल्कि उसकी सप्लाई चेन विकसित करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। ये चीन के कनेक्टिविटी डिवाइस सेक्टर में बाहुबल को कम करेगा। अभी 5-जी मामले में चीन का दुनिया के बाजार में दबदबा है। यह दबदबा कम होगा तो भारत और अमेरिका को इसका फ़ायदा मिलने की उम्मीद है। कूटनीति एवं व्यापार के अलावा जी-20 में एक सबसे बड़ा फ़ायदा जो भारत को हुआ है वो है की भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार जिसको विश्वभर के नेताओं ने देखा तथा सराहा है। इससे भारत के पर्यटन क्षेत्र के और बढ़ने की उम्मीद है। अब तक जहां दुनिया अधिकतर ताजमहल और मुगल कलाओं के विषय में ही जान पाते थे वहीं इस बार असम के लोकनृत्य से लेकर दक्षिण और उत्तर के मंदिरों तक सभी कुछ प्रस्तुत किया गया। यही नहीं भारतीय खान पान, संगीत, नृत्य तथा संस्कृति को भी सभी मेहमानो के सामने खूबसूरती से रखा गया। इससे उन सभी देशों मे एक नए भारत की तस्वीर उभरती है जो ना सिर्फ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को टक्कर दे रहा है बल्कि अपने पुरातन इतिहास, कला एवं संस्कृति पर भी गर्व अनुभव करता है।
इस तरह जी-20 समिट भारत के लिए वैश्विक स्तर पर एक बड़ी कामयाबी के रूप मे सिद्ध हुआ है जिसमे ना सिर्फ दुनिया को भारत नई दिल्ली घोषणापत्र एवं इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर के लिए सहमत करने मे सफल रहा बल्कि 6जी मे अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता तथा अफ्रीकन देशों के समूह को जी-20 मे शामिल करवाने मे भी सफल रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व मे दुनिया के सामने एक बदलता भारत खड़ा है जिससे आज हर देश मित्रता करना चाहता है तथा प्रतिद्वंदी देशों की जनता भी नए भारत को सराह रही है। यदि इसी गति से भारत बढ़ता रहा तो इसे विश्वगुरु बनने से कोई भी नहीं रोक सकता।
(लेखक भाजपायुमो मप्र के नीति शोध एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रदेश प्रभारी हैं)