लॉकडाउन में इनडोर स्मोकिंग पड़ोसी के लिए भी घातक
विश्व तंबाकू निषेध दिवस प्रत्येक वर्ष 31 मई को मनाया जाता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, एक सामान्य सिगरेट में 7,000 से अधिक रसायन होते हैं, इसमें 65 से अधिक रसायनों को कैंसर का कारक माना जाता है और 250 से अधिक रसायनों से अन्य हानिकारक स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। नियमित सिगरेट पीने वालों को सीधे इन रसायनों का खामियाजा भुगतना पड़ता है, साथ ही सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने वालों को भी इससे होने वाली स्वास्थ्य क्षति का उच्च जोखिम होता है।
लॉकडाउन के बाद से, यह देखा गया है कि अधिक लोग इनडोर धूम्रपान कर रहे हैं, जो न केवल धूम्रपान करने वाले के स्वास्थ्य के लिए बल्कि उनके परिवार और पड़ोसी के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। सेकेंड हैंड धुएं से हृदय और फेफड़ों की बीमारी हो सकती है, फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है| साइनस कैविटी का कैंसर, स्तन कैंसर, रक्त कैंसर जैसे लिम्फोमा और ल्यूकेमिया हो सकता है। सेकेंड हैंड स्मोक अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर के आवर्तक एपिसोड को भी ट्रिगर कर सकता है और वयस्कों या बुजुर्गों में स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
जो बच्चे सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आते हैं, उनमे ब्रोन्कियल संक्रमण, निमोनिया, नाक और कान में संक्रमण और अस्थमा के दौरे से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है साथ ही उनमे खांसी, सर्दी, घरघराहट, बहती नाक, छींकने आदि जैसे लगातार, श्वसन संबंधी समस्याओं को भी होने के आसार बढ़ जाते हैं। अधिक गंभीर और दीर्घकालिक प्रभाव फेफड़ों के विकास को प्रतिबंधित कर सकता है और बाद के वर्षों में ब्रेन ट्यूमर के विकास का एक उच्च जोखिम हो सकता है। जब एक गर्भवती महिला सिगरेट के धुएं के संपर्क में आती है, तो इस बात की संभावना अधिक होती है कि वह औसत से कम वजन वाले बच्चे को जन्म देगी। सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने वाले नवजात शिशु एसआईडीएस या अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम से पीड़ित हो सकते हैं।
धूम्रपान के कारण मरीज के मुंह में सफेद और काले रंग का निशान हो जाता है, इसके अलावा तालू जल जाता है और दांत तथा मसूड़ों में दर्द होता है। थूक बनना भी कम हो जाता है और मुंह भी नहीं खुल पाता है, जबकि मुंह कम से कम तीन से चार ऊंगली तक खुलना चाहिए। यह प्री-कैंसर की निशानी है। तंबाकू के सेवन करने से प्री-कैंसर के लक्षण दिखने शुरू हो जाते है। ऐसे में अगर समय पर इलाज लिया जाए और तंबाकू का सेवन बंद करने से इस बीमारी से मुक्ति पाई जा सकती है। ओपीडी में दांत एवं मसूड़ों में दर्द को लेकर अधिकतर मरीज पहुंचते हैं। जिनमें रोजाना करीब 2 केस प्री-कैंसर लक्षण वाले होते हैं। हम लगातार मरीजों की काउंसलिंग कर उन्हें तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से परिचित करा रहे हैं, और उन्हें तंबाकू की लत से छुटकारा दिलाने में हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
(लेखिका डॉ. हिमांगी दुबे, बीबीडी यूनिवर्सिटी, लखनऊ में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं अजंता हॉस्पिटल में सीनियर डेंटल कंसलटेंट हैं।)