सूचना ने बेटे के साथ भारतीय संस्कारों की भी हत्या कर दी

सूचना ने बेटे के साथ भारतीय संस्कारों की भी हत्या कर दी
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अजय बोकिल

खुद को आईटी और आर्टिफिशियल इंटेलिंजेस एक्सपर्ट बताने वाली सूचना सेठ द्वारा पति से नफरत की आग में अपने ही बेटे की क्रूर हत्या की दहला देने वाली घटना इस बात का डरावना संकेत है कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। सूचना ने अपने ही मासूम बेटे का कत्ल कर न सिर्फ मां- बेटे के पवित्र रिश्ते को कलंकित किया बल्कि उन भारतीय संस्कारों की भी बेरहमी से हत्या कर दी, जिसमें मां का दर्जा सर्वोपरि और ममता और वात्सल्य से परिपूर्ण माना जाता है। एक भारतीय मां अपने बेटे की हत्या करने के बजाय किसी दूसरे के बेटे की जान बचाने के लिए अपने बेटे की बलि तक दे देती है। लेकिन सूचना सेठ प्रकरण ने इस बात का गंभीर संकेत दिया है कि प्रौद्योगिकी और पैसे में डूबी युवा पीढ़ी के पारिवारिकता का अर्थ क्या है। रिमोट से बदलते चैनलों की तरह चट होते प्यार और ब्याह तथा उसी तर्ज पर होते तलाक के बाद बिखरते परिवार आज के जमाने की कड़वी सच्चाई है। इस सोच और प्रवृत्ति ने हिंदू धर्म में विवाह के जन्म जन्मांतर के रिश्तों के आग्रह को पुराने वस्त्र की तरह उतार कर फेंक दिया है। यह हमें 21वीं सदी के भावी समाज की झलक भी दिखाता है।

कुछ लोगों का मानना है कि सूचना ने अपने विवाह विच्छेद के कारण हुए डिप्रेशन के कारण यह सब किया है। वरना कोई मां अपने ही बेटे का गला घोंट कर मार दे। फिर उसकी लाश एक सूटकेस में छिपा कर गोवा से साढ़े 5 सौ किमी दूर बेंगलुरू टैक्सी से रवाना हो जाए, उसके माथे पर कोई शिकन न हो, चेहरे पर किसी तरह का पश्चाताप न हो, पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर वह अपराध स्वीकार करने के बजाय पुलिस को ही यह कहकर गुमराह करे कि उसके बेटे की हत्या किसी और ने कर दी है, वह जांच में पुलिस को सहयोग भी न करे, यह सब सुनने में भी इतना क्षोभक है कि जो घटा है वह कहीं काल्पनिक तो नहीं है, यह शक होने लगता है।

दुर्भाग्य से जो हुआ वह सच है और हमारे समय की कटु सत्य है। कारण साफ है, भौतिक सुखों की आंधी में मानवीय रिश्ते तिनकों की तरह उड़ रहे हैं। सूचना सेठ के मामले में यह सवाल हर किसी के जेहन में उठ रहा है कि पति से दुश्मनी का बदला उसने अपने जाए लाडले को मारकर क्यों लिया? कोई मां ऐसा राक्षसी कृत्य किस मनस्थिति में करने पर विवश होती है और यदि अवसाद के किसी खास क्षण में वो ऐसा कर बैठती है तो बाद में उसे गहरा पश्चाताप होता है। लेकिन सूचना सेठ तो घटना उजागर होने के चार दिन बाद भी निर्विकार है और खुद को निर्दोष साबित करने के अजीब और अविश्वसनीय बहाने गढ़ रही है। अब तक जो कहानी सामने आई है, उसके मुताबिक सूचना एक मां तो क्या एक सामान्य संवेदनशील स्त्री भी नहीं है। वरना कर्नाटक के पुलिस स्टेशन में गिरफ्तारी के ठीक पहले वह एक ढाबे में चैन के साथ सब्जी पूरी नहीं खा सकती थी। यह कल्पना ही सिहरा देने वाली है कि एक मां सूटकेस में अपने बेटे की लाश लिए चल रही हो और रास्ते में आराम से खाना भी खा रही हो।

पुलिस जांच कर रही है कि सूचना ने अपने चार साल के बेटे तन्मय की हत्या कैसे की। लेकिन इससे भी अहम है कि सूचना ने बेटे की हत्या क्यों की? ऐसा करते समय एक मां का मन क्षणभर के लिए भी नहीं कांपा? जरा सोचिए कि अगर सूचना के अनुसार उसके बेटे की हत्या किसी और ने की होती तो एक मां के रूप में वो रो रो कर आसमान सर पर उठा लेती? आखिर मां का आंचल ही संतान के लिए सबसे सुरक्षित जगह है। लेकिन जब मां ही हत्यारी हो जाए तो मानवीयता कहां सिर छुपाए?

इस लिहाज से सूचना द्वारा उसका असमय मार दिया गया बेटा चिन्मय अत्यंत अभागा है। जैसी कि सूचनाएं मिल रही हैं, उसे पिता का प्यार पाने के बदले यमदूत सी मां मिली। बताया जाता है कि सूचना को उसके पति वेंकट रमन का तलाक के बाद अपने बेटे से मिलना नापसंद था। जबकि दोनो के तलाक को मंजूरी देते समय कोर्ट ने निश्चित समय पर पिता वेंकट को बेटे चिन्मय से मिलने का आदेश भी दिया था। अपने पूर्व पति से नफरत में डूबीसूचना ने शायद इसीलिए समस्या को जड़ से खत्म करने का दानवी निर्णय लिया। एक स्त्री और खासकर एक मां के लिए ऐसा करना कितना कठिन है, समझा जा सकता है। लेकिन सूचना ने सब कुछ सहजता से अंजाम दिया और अभी भी उसके मन में कुछ गलत करने का भाव नहीं है। दूसरी तरफ खिलने से पहले ही अपने फूल से बेटे को गंवा चुके वेंकट रमन का रो रोकर बुरा हाल है। वह समझ ही नहीं पा रहा है कि उसकी पूर्व पत्नी अपने बेटे को इस निर्दयता से कैसे मार सकती है।

दरअसल जिन भौतिक सुखों से भरपूर जिंदगी को आज हम आदर्श मान बैठे हैं, सूचना सेठ उसका निकृष्ट उदाहरण है। विडंबना यह है कि आईटी एक्सपर्ट के रूप में सूचना की गिनती दुनिया की चुनिंदा प्रतिभाशाली महिलाओं में हुई बताई जाती है। उसने अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कोई कंपनी भी खोल ली है, जिसकी वह सीईओ है। सूचना के पास पैसे की भी कमी नहीं थी। तलाक के पहले उसने पति के साथ कई साल सुख से बिताए भी थे, लेकिन बाद में उसी पति को बैरी मानकर तलाक लिया और उसी पूर्व पति की अमिट निशानी निर्दोष बेटे को भी बेहिचक यमलोक पहुंचा दिया। ऐसा करके सूचना ने न केवल बेटे की बल्कि उन भारतीय संस्कारों की भी हत्या कर दी, जिसमें मां एक जननी के साथ साथ ममता की प्रतिमूर्ति, अन्नपूर्णा और दुखहरणी भी है। आज सूचना शायद देश की सबसे बदनाम महिला बन चुकी है। इस सूचना प्रकरण ने देश में परिवार संस्था के बिखरने और एकल मातृत्व के घातक पहलुओं की कृष्ण कथा भी लिख दी है। चिंता की बात तो यह कि संयुक्त परिवार व्यवस्था बिखरने के बाद अब एकल परिवार भी बसने से पहले टूट रहे हैं। इसके कई सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं। सूचना के क्रूर प्रकरण ने इन बातों पर गहराई से सोचने पर हम सभी को विवश कर दिया है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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