मतदान के अधिकारों से औरों को प्रेरित करें!
आजादी के पूर्व से ही मतदान का उपयोग चला आ रहा है। मत+दान अर्थात किसी को लेकर राय (मत) देना ( दान) रायदेना कहलाता है। इसका स्वरुप अनेकों प्रकार का हो सकता है। इसी का एक महत्वपूर्ण रूप लोकतंत्र में मतदान का है, जो हर नागरिक का हक होने के साथ ही उसको इसका उपयोग अवश्य करना चाहिए।
प्राचीन भारत में मतदान का स्वरूप देखने पर कुछ अलग दिखाई देता है। व्यक्तिगत, समूह में और सार्वजनिक तौर पर। व्यक्तिगत में तब भी और आज भी स्वयं की राय अथवा स्वयं का मत होता है। समूह के मतदान से तात्पर्य किसी ऐसे विषय पर चर्चा जिसमें कुछ संकोच या दुविधा हो जैसे वर्तमान में अनेकों लोगों द्वारा किसी बात पर संदेह होकर उस पर चर्चा करते हुए अपनी बात रखना अथवा अपना मत देना जिसे हम परिचर्चा करना भी कह सकते है।सार्वजनिक मतदान को हम अनेकों प्रकार से परिभाषित कर सकते है। जैसे किसी एक राजा के यहां दूसरे राजा का आक्रमण होना इसके बचाव में आम जनता से (लाखों लोगों का समूह) राय लेकर कार्य करना। जैसे युद्ध करना या नही, समझौता करने से राज्य के साथ आम जनता को क्या लाभ-हानि, फायदा-नुकसान इत्यादि बातों पर विचार के लिए आम सहमति के लिए जनता को एक चौपाल पर राजा के आदेश द्वारा ढोल के माध्यम से संदेश दिया जाता है। सब लोग राज्य के एकत्रित होकर सूचना सुनते तथा राजा के आदेश पर अपनी मौखिक आम सहमति देने का विचार-विमर्श करते। यह विचार और विमर्श राजा और मंत्रीगण के सम्मुख कहे जाते फिर सार्वजनिक निर्णय होता। पर यह कार्य समझदार राजा के द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों में ही होता था। वर्तमान में आज मतदान का स्वरूप बदल गया है। परंतु अनिवार्यता आज भी उतनी ही,जितनी प्राचीन भारत के समय थी।
आज मतदान करते समय आम जनता को अपने मत का उपयोग करते हुए मनपसंद जनप्रतिनिधि चुनने का पूरा अधिकार होता है। देश के नागरिकों के एक मत से देश की दिशा और दशा तय की जाती। मतदान देश के नागरिकों का मूल अधिकार होने के साथ ही इसकी गोपनीयता पर कोई संदेह भी नही रहता। हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है। इसमें समय- समय पर नियमानुसार आम जनता को अपना जनप्रतिनिधि चुनने का अवसर भारतीय संविधान द्वारा दिया गया है। जिसे हम चुनाव के रूप में जानते हैं। चुनाव का अर्थ ही होता है, सामूहिक में से अपनी पसंद से किसी एक को चुनना जो आपकी कसौटी पर खरा उतरे तथा समाज में अच्छा कार्य करे। आजाद भारत के पहले आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951,21 फरवरी1952,के मध्य हुए। आज देश के अनेक राज्यों में राज्य की सरकार चुनने के लिए चुनाव होने जा रहे है। इसके कुछ समय बाद देश की सरकार चुनने का समय भी आएगा। विकास और समृद्धि के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए मतदान जरूर करना चाहिए। आपके मत से स्वच्छ सरकार चुने। मतदान की प्रक्रिया गोपनीय होने के साथ ही आपको कर्तव्य का बोध कराती है। गण के एक-एक मत की अनिवार्यता से ही इस लोकतंत्र को मजबूती मिलती है। अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इस लोकतंत्र के पर्व का हिस्सा बने 'मतदान के अधिकारों से औरों को प्रेरित करेंÓमतदान जरूर करें।
आपका एक वोट आपके विकास का वोट होता है,जिसमें आपकी सहभागिता होती है,किसी बात पर राय देना ये भी अपना एक मत होता है।राय और मत जिसकी ओर ज्यादा वह विजयी कहलाता है। इसलिए मतदान जरूर करें। सोशल मीडिया के इस दौर में जहाँ मतदान जागरूकता फैली है। वहीं आज युवाओं की भागीदारी भी मतदान के लिए बढ़चढ कर हो रही है। अपने जीवन में पहली बार मतदान का उपयोग करने को लेकर यह वर्ग काफी उत्साहित नजर आता है। वर्ष 1989 में मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई। इस परिवर्तन से युवाओं में चुनाव के समय उत्साह देखने को मिलता है। युवाओं में 18 वर्ष की उम्र में ऊर्जा तो काफी होती,पर परिपक्वता का अभाव होने से वे असमंजस में भी रहते है। इसलिए इस वर्ग में जागरूकता के लिए ज्यादा ध्यान देने वाली बात होना चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)