केजरीवाल की कट्टर ईमानदारी का टूटता तिलस्म

केजरीवाल की कट्टर ईमानदारी का टूटता तिलस्म
डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया

इंडी एलाइंस के 28 राजनीतिक दलों में एक राजनीतिक दल का ऐसा नेता भी है जो कट्टर ईमानदारी का ढोल पीट-पीटकर भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा हुआ ईडी से बहाने बनाकर भागता नजर आ रहा है। यह ढकोसलावादी नेता और कोई नहीं केजरीवाल है जिसने दिल्ली की जनता को फ्री बिजली और पानी का लॉलीपॉप देकर ऐसा ठगा कि आज जनता के मुंह से बोल नहीं फूट रहे। कौन नहीं जानता कि इस स्व घोषित कट्टर ईमानदार नेता ने भारत के किसी भी राजनीतिक दल को भ्रष्टाचारी कहने में कोई कोताही नहीं बरती। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बिना प्रमाण भ्रष्टाचारी नेताओं का कच्चा चि_ा लहरा लहरा कर वोट मांगने वाले केजरीवाल कहते नहीं थकते थे कि यदि उन्हें दिल्जी की जनता ने चुना तो वे शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार के लिए उन्हें कटघरे में पहुंचाएंगे। लेकिन आश्चर्य कि चुनाव जीतने के बाद वे सब कुछ भूल गए। केजरीवाल ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जो देश के भ्रष्टाचार शिरोमणि लालू यादव से गलबहियां करने में नहीं शरमाए। यही नहीं जब उनसे पूछा गया कि आप तो भ्रष्टाचार के कट्टर विरोधी थे और आज आप इंडी एलायंस के उन नेताओं के साथ हैं जिन्हें आप भ्रष्टाचारी कहते थे जिनमें लालू जैसे सजायाफता और कई भ्रष्टाचार के मामलों में जमानत पर बाहर नेता हैं तो उनका जवाब था कि वह तो भाजपा को हराने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। भले ही उन्हें भ्रष्टाचारियों से हाथ ही क्यों न मिलाना पड़े। लेकिन विडंबना देखिए कि केजरीवाल जिन्हें भ्रष्टाचारी कहते नहीं थकते थे वे आज अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचारों के आरोपों की तहकीकात के लिए प्रवर्तन निदेशालय के समन से पीछा छुड़ाने के लिए जांच एजेंसी पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं।

यह कट्टर ईमानदार केजरीवाल ऐसे हिटलर हैं जो झूठ को सौ बार बोलकर सच साबित करवा लिया करता था। वस्तुत: केजरीवाल आज यही सिद्ध करते नजर आ रहे हैं। उनके तीन बड़े और विश्वसनीय नेता सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह (सत्येंद्र जैन को स्वास्थ्यगत कारणों पर जमानत मिली हुई है) जेल की सलाखों के पीछे हैं. कितनी बिडंबना है कि स्वघोषित कट्टर ईमानदार केजरीवाल आज भी शराब घोटाले में न्यायालय के निर्णय पर यह कहकर सवाल खड़े करते हैं कि मनीष सिसोदिया और संजय सिंह कट्टर ईमानदार हैं जिन्हें केंद्र सरकार के इशारे पर जेल की सलाखों के पीछे धकेला गया है। जबकि उनके विरुद्ध ईडी के पास इतने पुख्ता प्रमाण हैं कि न्यायालय उन्हें जमानत देने की सभी अपीलों को लगातार खारिज कर रही है।

ये ऐसे नेता हैं जिन्होंने आम आदमी पार्टी की स्थापना के शीर्ष लोगों यथा शांति भूषण और प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास और योगेंद्र यादव जैसे लोगों को धोखा दिया। यही नहीं इनके दोहरे आचरणों के कारण शाजिया इल्मी और कपिल मिश्रा जैसे लोगों ने पार्टी से किनारा कर लिया।

केजरीवाल भले ही कहें कि शराब घोटाले में एक भी पैसे का घोटाला नहीं हुआ है और यदि हुआ है तो पैसा कहां है। लेकिन ईडी का स्पष्ट मानना है कि केजरीवाल ने शराब घोटाले का पैसा गुजरात और गोवा के चुनाव में खर्च किया। यह बात तब स्पष्ट हुई थी जब केजरीवाल के साथी इंद्रनील राजगुरु जो 141 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं ने कहा था कि केजरीवाल सबसे बड़े झूठे व्यक्ति हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि केजरीवाल गुजरात चुनाव में दो नंबर के पैसे का इस्तेमाल कर रहे थे। उनका दो नंबर का पैसा चार्टर्ड प्लेन से गुजरात आता था जो उनके घर रखा गया था। उनका कहना था कि केजरीवाल हवाला के जरिए पैसा लाते थे। इंद्रनील का यह बयान ईडी के लिए एक बहुत बड़ा सबूत बना होगा। यही नहीं मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को जमानत ना मिलने का बहुत बड़ा कारण इसे ही क्यों नहीं माना जा सकता। केजरीवाल भले ही कहें कि सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को शराब घोटाले के फर्जी केस में फसाया है लेकिन सच्चाई यह है कि ईडी और सीबीआई ने कोर्ट के सामने इतने पुख्ता प्रमाण रखे हैं कि इन्हें जमानत नहीं मिल रही है। यही नहीं इन दोनों नेताओं के बयानों के आधार पर सीबीआई और ईडी संभवत इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि शराब घोटाले का मास्टरमाइंड यदि कोई है तो वह केजरीवाल ही हैं। और यह बात केजरीवाल भी समझ गए हैं कि उनका बचना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल अवश्य है। यही कारण है कि वह लगातार समन से बचने के लिए बहाने पर बहाने बना रहे हैं। कुलमिलाकर अरविंद केजरीवाल का ईमानदारी का भ्रम जाल अब टूटता नजर आ रहा है। वह कितना भी कहें कि हम कट्टर ईमानदार हैं। लेकिन कोर्ट के निर्णय और उनके नेताओं को जमानत न मिलना तथा केजरीवाल का ईडी का सामना करने से बचना जनता में यह संदेश प्रेषित करने में सक्षम है कि पूरी आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबी है। यही नहीं ईडी के प्रमाणों के आधार पर जब कोर्ट यह कहता है कि पार्टी को आरोपी बनाया जाता है तो इसका मतलब होगा कि आम आदमी पार्टी का संयोजक भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार है और कोई नहीं। निश्चित ही यदि आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया जाता है तो भारत के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब कोई राजनीतिक पार्टी ही भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त होने के लिए कोर्ट का सामना करेगी।

(लेखक समाजशास्त्र के सेवानिवृत्त प्राध्यापक हैं)

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