सुनक से सीखें सनातन विरोधी
ललित शंकर
भारत के लिए गौरवान्वित करने वाले जी-20 जैसे विश्व स्तर के सम्मेलन में कई चीजें आकर्षण का केंद्र रही हैं। इन सबमें सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक। भारत मेें आकर ऋषि सुनक ने जो व्यवहार किया वो भारत के उन लोगों के लिए एक बड़ा सन्देश है जो राजनीतिक स्वार्थ के कारण निरन्तर हिन्दू धर्म का अपमान कर रहे हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत आते ही सबसे पहले जय श्री राम का घोष लगाते हुए कहा था कि भारत जैसी पवित्र भूमि पर आकर गर्व महसूस हो रहा है। और उन्होंने कहा कि मुझे हिन्दू होने पर गर्व है। उसके बाद ऋषि सुनक अपनी पत्नी के साथ अक्षर धाम मन्दिर गए, मन्दिर जाते समय दोनो ने भारतीय संस्कृति के अनुसार ही वस्त्र पहने थे और पूरे हिन्दू रीति रिवाज के साथ मन्दिर में नंगे पैर प्रवेश किया। मन्दिर में श्रीराम, हनुमान जी, राधा कृष्ण और भगवान शिव व पार्वती की मूर्ति के आगे पुष्प अर्पित करते हुए, हिन्दू रीतिरिवाज के साथ मन्दिर में आरती की तथा संस्कृत के मंत्रों का उच्चारण किया।
मन्दिर में सुनक की पूजा देखकर मन्दिर के निर्देशक ज्योतिंद्र दवे ने बताया कि ऐसा लग रहा कि ऋषि सुनक रोजाना पूजा करते हैं। मन्दिर में पूजा करने के बाद ऋषि सुनक ने कहा कि यह विश्वास, भक्ति और सद्भाव के शास्वत हिन्दू आध्यात्मिक संदेशों को बढ़ावा देता है। समझने की बात यह है कि एक तरफ ब्रिटेन का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति स्वयं के हिन्दू होने पर गर्व कर रहा है तो वहीं भारत में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या, उदयानिधि स्टालिन, ए. राजा, दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर, ममता बनर्जी सहित कई नेताओं को हिन्दू होने पर शर्म आती है। इन सभी लोगों को हिन्दू होने पर शर्म केवल राजनीतिक स्वार्थ के कारण ही आती है। भारत के विपक्षी दलों के नेताओं को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से सीख लेनी चाहिए और समझना चाहिए कि अपने धर्म का सम्मान कैसे किया जाता है।
इतिहास गवाह है धर्म का अपमान करने वाला व्यक्ति कभी भी और कहीं भी सम्मान नहीं पाता। आजादी के बाद से ही भारत की राजनीति में हिंदुत्व का अपमान ही होता आया है। परन्तु वर्तमान समय में भारत के सम्मान के साथ हिंदुत्व का सम्मान व स्वीकारिता भारत में ही नहीं विश्व में भी बड़ी है। जी-20 जैसे बड़े सम्मेलन में जिस प्रकार भारत ने विदेशी मेहमानों को भारतीय व सनातन परम्परा के दर्शन कराए उससे भारत के साथ-साथ ही हिंदुत्व की छवि में संसार की नजरों में बड़ी है। 'वसुदेव कुटुम्बकमÓ की सोच रखने वाले हिन्दू धर्म को अपमानित करने वाले लोगों को ऋषि सुनक के व्यक्तित्व को समझना चाहिए। विदेशी सुख सुविधाओं में रहकर, पश्चिम सभ्यता में रहकर भी स्वयं में हिन्दू परम्पराओं को जीवित रखना सामान्य बात नहीं है। जी-20 सम्मेलन में हिंदुत्व के प्रति अपने व्यवहार को दर्शाकर ऋषि सुनक भारतवासियों के दिलों में जगह बना गए हैं।