जातिगत राजनीति पर कांग्रेस को आमजन का संदेश
डॉ. सुब्रतो गुहा
विजयपथ से राजपथ की ओर: अगले वर्ष मई माह में भारत के संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री अपने तीसरे कार्यकाल का प्रयास करेंगे और अभी तीन राज्यों की विधानसभाओं में उनकी भारतीय जनता पार्टी की धमाकेदार जीत से भारतीय राजनीति में उनकी शक्ति में वृद्धि हुई है। इन विधानसभा चुनाव परिणामों ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को एक और बड़ा झटका दिया है, जो सन 2014 से ही अपनी खोई हुई राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने हेतु संघर्ष कर रही है। कांग्रेस पार्टी अपने नेतृत्व तथा सेकुलर विचारधारा को जनता के बीच स्थापित करने के लिए भी लगातार कठिन संघर्ष कर रही है। उधर जनवरी 2024 में उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर में भव्य श्रीराम मंदिर के उद्घाटन द्वारा एक शक्तिशाली हिन्दू लहर की ओर भी भारत बढ़ रहा है, जिसे अपने पक्ष में संवारने हेतु प्रधानमंत्री मोदी लगे हुए हैं।
- द न्यूयार्क टाईम्स, अमेरिका
(टिप्पणी- द न्यूयार्क टाईम्स, वाशिंगटन पोस्ट वाल स्ट्रीट जर्नल, द गार्जियन इत्यादि पश्चिमी देशों के प्रमुख समाचार पत्र सदैव ही भारत में हिन्दू समुदाय तथा हिन्दुत्व विचारधारा का विरोध करते हुए अल्पसंख्यकवादी विचारधारा के स्वघोषित झंडाबरदार दलों का समर्थन करते रहे हैं। पर अब जातिगत आधार पर नहीं बंटकर समग्र हिन्दू समाज द्वारा एक धार्मिक समूह के रूप में मतदान करने के बाद तीन राज्यों में विजय पताका फहराने के बाद हिन्दुत्व विरोधी पश्चिमी मीडिया को भी मजबूरी में मई 2024 में भारतीय जनता पार्टी की संभावित विजय की भविष्यवाणी करनी पड़ रही है। वैसे तीन राज्यों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के अघोषित स्टार प्रचारक रहे उदयनिधि स्टालिन जिन्होंने सनातन धर्म के उन्मूलन या समूल नाश का नारा दिया और भारत के सेकुलर दलों ने या तो तालियों की गड़गड़ाहट से बयान का स्वागत किया या फिर मौन समर्थन दिया। सनातन धर्म का विनाश अर्थात सनातन धर्म के ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र अनुयायियों का विनाश इसलिए जातिगत भावना से ऊपर उठकर हुआ मतदान प्रत्यक्ष है परिणाम।)
अवैध घुसपैठिए कहलाते शरणार्थी: म्यांमार में धार्मिक प्रताड़ना से पलायन को मजबूर होकर भारत में शरणार्थियों के रूप में बसे हुए रोहिंग्या मुस्लिमों को अब अनुभव हो रहा है कि म्यांमार के ही समान धार्मिक प्रताड़ना उनके साथ भारत में भी जारी है। भारत के जम्मू में बाईस अलग-अलग मोहल्लों में सन 2007 से 2012 के बीच बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी बसे हुए हैं। इन्हीं में से एक शरणार्थी मुख्त्यार अहमद ने हमारे संवाददाता को बताया कि सन 2021 में जम्मू पुलिस ने उसकी पत्नी को अवैध घुसपैठ के आरोप में गिरफ्तार कर जम्मू के हीरानगर जेल में रखा हुआ। जबकि उस समय भागकर मुख्त्यार गिरफ्तारी से बच पाया था।
- साऊथ चायना, मोर्निंग पोस्ट, हांगकांग
(टिप्पणी- सन 1951 में जिनेवा के संयुक्त राष्ट्रसंघ रिफ्यूजी कनवेनशन तथा 1967 के रिफ्यूजी प्रोटोकाल पर भारत ने कभी हस्ताक्षर नहीं किए, इसलिए भारत में अवैध प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा देना बाध्यकारी नहीं है, अर्थात् भारत के सभी बांग्लादेशी मुस्लिम एवं म्यांमार से आए रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी नहीं, बल्कि घुसपैठिए की श्रेणी में ही कानूनन माने जाएंगे। दूसरी बात यह है कि भारत के एक लाख रोहिंग्या मुस्लिम घुसैपठियों में से अधिकांश को मुस्लिम बहुल कश्मीर में नहीं, बल्कि हिन्दू बहुल जम्मू में योजनापूर्वक बसाया गया, ताकि जनसंख्या असंतुलन बने। तीसरी बात यह है कि सेकुलर शब्दावली में हिन्दू तो परम असहिष्णु है और हिन्दू बहुल भारत मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए जहन्नुम या नर्क बन चुका है। ऐसे में हमारे भारतीय मुस्लिम संगठन और वामपंथी कामरेड आखिर भारतरूपी जहन्नुम में रोहिंग्या मुस्लिमों को बसाकर उनसे किस जन्म का बदला ले रहे हैं?)
सेकुलरवादियों का जन्मसिद्ध अधिकार: भारत में विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता भारतीय संसद ने प्रस्ताव पारित कर समाप्त कर दी। भारत में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के सांसदों मनीष तिवारी, शशि थरूर, अधीर रंजन चौधरी सहित अनेक विपक्षी सांसदों ने महुआ मोइत्रा की संसद से बर्खास्तगी का विरोध करते हुए महुआ मोइत्रा के साथ संसद से बाहर आ गए। महुआ के विरुद्ध कार्यवाही संसद का एथिक्स समिति की रिपोर्ट पर हुई तथा महुआ ने पत्रकारों से कहा कि रिपोर्ट बनाते समय एथिक्स समिति ने ही नियमों का उल्लंघन किया।
- गल्फ निऊज, दुबई
(टिप्पणी- भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के व्यावसायिक प्रतिस्पर्धी दर्शन हीरानंदानी से मूल्यवान उपहार और पैसे लेकर संसद में प्रश्न पूछने के लॉगइन पासवर्ड हीरानंदानी को दे दिए, जिससे हीरानंदानी उनके साथियों और महुआ ने लगभग पचास ऐसे प्रश्न पूछे, जिससे गौतम अडानी के साथ-साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी गौतम अडानी से जोड़ने और दोनों की छवि खराब करने का प्रयास किया गया। दिनांक इक्कीस अक्टूबर को प्रस्तुत नोटरी द्वारा सत्यापित अपने एफिडेविट शपथ पत्र में दर्शन हीरानंदानी ने लिखा कि महुआ मोइत्रा के अडानी और मोदी विरोधी इस अभियान में उनके प्रमुख सहयोगी थे कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शशि थरूर। आज हिन्दू देवी देवताओं का निरंतर अपमान करने वाली सेकुलर साम्राज्ञी महुआ मोइत्रा के पीछे अचानक दिग्गज विपक्षी नेताओं का लामबंद होना क्या दर्शाता है- सेकुलर एकता या कुछ और बूझो तो जानें।)
(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)