मोदी के कदम से नेहरू की सेकुलर विचारधारा का ढांचा ढहा

मोदी के कदम से नेहरू की सेकुलर विचारधारा का ढांचा ढहा
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डॉ. सुब्रतो गुहा

सनातन शक्ति से डर- भारत के अयोध्या शहर में एक विध्वंस किए गए मस्जिद के स्थान पर नव निर्मित राम मंदिर का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदू राष्ट्रवाद के विजय और पुनरुत्थान को रेखांकित किया। इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को एक सेकुलर राष्ट्र से हिंदू राष्ट्र में परिणत करने की दिशा में कदम बढ़ाया। इस मंदिर उद्घाटन समारोह के पीछे शताब्दियों के हिंदू-मुस्लिम संघर्ष की गाथा निहित है। मोदी के इस कदम से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सेकुलर विचारधारा का ढांचा ही ढह गया और नेहरू को बहुलतावादी नीति भी दफन हो गई। इस घटनाक्रम से हिंदू समुदाय तो एक हो जाएगा। परंतु भारत विभाजित हो जाएगा। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी आगामी संसदीय चुनाव जीतकर फिर से सत्ता में आ जाएगी। इतिहास की गलतियों को सुधारने के नाम पर अतीत के धार्मिक संघर्ष के जख्मों को कुरेदा जा रहा है।

- द वाल स्ट्रीट जर्नल न्यूयार्क अमेरिका

टिप्पणी- सन् उन्नीस सौ तिरानवे (1993) से उन्नीस सौ पचानवे (1995) तक जब उत्तरप्रदेश में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी तथा काशीराम और मायावती की बहुजन समाज पार्टी की गठबंधन सरकार का शासन रहा-तब हिंदुत्व वादियों को चिढ़ाने के लिए उत्तरप्रदेश की गलियों में एक नारा गूंजता था-'मिलों मुलायम-कांशीराम-हवा में उड़ गए जय श्रीराम।Ó अब प्रभु श्रीराम तो अंतर्यामी हैं, सर्वज्ञाता है, इसलिए जब उन्होंने यह नारा सुना, तब मुस्कराते हुए सोचा होगा-तुच्छ मनुष्य का ऐसा अभिमान कि ईश्वर को ही चुनौती दे। तीस वर्ष बाद आज मुलायम सिंह यादव और काशीराम दोनों ही संसार से विदा हो चुके हैं और राम भक्तों के हाथ प्रभु श्रीराम ने सत्ता दिलवा दी है-कहा मुलायम-काशीराम -सब बोल रहे जय श्रीराम।Ó अब सनातन हिंदू धर्मावलंबियों की संगठित शक्ति के समक्ष पराजय स्वीकार करने को मजबूर देश-विदेश के सेकुलर झंडाबरदार रुदन कर रहे हैं, आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। पर क्या करें-'होई है सोई जो राम रचि राखा।Ó

22 जनवरी तिथि नहीं-नया अध्याय

अयोध्या में मोदी-एक खौफनाक दौर की शुरुआत भारत में। सेकुलर देश भारत के इतिहास में अयोध्या शहर में राम मंदिर के प्रधानमंत्री मोदी के हाथों उद्घाटन द्वारा भारत में धर्म और राजनीति के मध्य का अंतर मिट गया है। इससे आगामी कुछ माह में होने जा रहे भारत के संसदीय चुनाव में तीसरी बार मोदी का प्रधानमंत्री बनना जो सुनिश्चित हो गया परंतु इसके साथ मोदी चाहते हैं कि भारी बहुमत से उनका दल विजयी हो। दक्षिण पंथी हिंदू राष्ट्रवाद की पीठ पर सवार होकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ने वाले मोदी ने अयोध्या के राम मंदिर समारोह में केवल सहभागिता नहीं की-बल्कि साथ ही समस्त धार्मिक अनुष्ठान का नेतृत्व किया और इस कार्यक्रम के बाद वे हिंदुत्व के एक पुजारी के रूप में उभरे है। यद्यपि कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों ने इस मंदिर समारोह का बहिष्कार किया तथापि वे मोदी के खतरनाक हिंदू बहुसंख्यकवाद नीति को कोई चुनौती नहीं दे पाए। अयोध्या के बाद भारत में अन्य-मस्जिदों और मुसलमानों को निशाना बनाया जाएगा और मुस्लिम समाज स्वयं को असहाय अनुभव करेगा। यदि मोदी को आगामी संसदीय चुनावों में भारी बहुमत मिल गया, तो मोदी शायद भारतीय संविधान को बदल देंगे।

- सम्पादकीय गार्जियन, लंदन ब्रिटेन

टिप्पणी-विश्व में घोषित रूप से इस्लामी देशों के संगठन ओ.आई.सी. अर्थात आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन के सभी सत्तावन सदस्य देशों के संविधानों में एक वाक्य अनिवार्य रूप से लिखा रहता है-'हमारे इस्लामी राष्ट्र के समस्त संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार रहेगा।Óजब नौ दिसंबर 2006 को राष्ट्रीय विकास परिषद की नई दिल्ली में आयोजित भारत के समस्त मुख्यमंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक नीतिगत घोषणा की-'राष्ट्र के समस्त संसाधनों पर मुस्लिमों का पहला अधिकार हैÓ-तब उन्होंने एक तरह से भारत को इस्लामी राष्ट्र घोषित कर संविधान के अनुच्छेद चौदह एवं पन्द्रह द्वारा प्राप्त नागरिकों के समान अधिकारों से हिंदुओं को वंचित कर दिया। देशी-विदेशी सेकुलर मीडिया की नजरों में सेकुलरवाद को इससे कोई खतरा नहीं हुआ परंतु अब वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी के अयोध्या मंदिर जाने से सेकुलरवाद को खतरा है। विचित्र किन्तु सत्य।)

सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता

भारत में अयोध्या का राम मंदिर उद्घाटन अहिसष्णुता का प्रतीक बन गया है। बाईस जनवरी को शंख ध्वनि के साथ अयोध्या में भव्य राम मंदिर उद्घाटन के समय घोषित किया गया कि यह भारत में एक नये युग के प्रारंभ का सूचक है। परंतु हम कैसे भूल सकते हैं कि यह राम मंदिर उस स्थान पर बना जहां पांच सौ वर्षों तक एक भव्य मस्जिद खड़ी रही, जिसे मुगल शहंशाह बाबर के सेनापति मीर बांकी न बनवाया था तथा जिसे छह दिसंबर उन्नीस सौ बयानवे को हिंदू उग्रवादियों ने ध्वस्त कर दिया था। उन्नीस सौ बयानवे से दो हजार उन्नीस तक हिंदू राष्ट्रवाद एवं कट्टरपंथ की निरंतर जारी यात्रा का सफल समापन तब हुआ जब सर्वोच्च न्यायालय ने हिंदू मंदिर निर्माण की अनुमति दी। इससे संदेश स्पष्ट है- वर्तमान भारत हिंदू भारत है जहां मुस्लिमों के लिए कोई स्थान या सम्मान नहीं है।

- द एक्सप्रेस ट्रिब्यून, कराची पाकिस्तान

टिप्पणी-जिस पाकिस्तान में आजादी के समय 1947 में 28 प्रतिशत अल्पसंख्यक जनसंख्या आज घटते-घटते केवल दो प्रतिशत पर आ गई है वह घोर असहिष्णु पाकिस्तान भारत को सहिष्णु का पाठ पढ़ा रहा है। 1947 में पाकिस्तान में चार सौ अठाईस बड़े हिंदू मंदिर लगातार ध्वस्त हो रहे और आज केवल बीस बड़े मंदिर बचे हैं। असहिष्णुता का पर्याय बना पाकिस्तान सहिष्णुता का पाठ पढ़ताा है और भारत में सेकुलर तालियां सुनाई देती हैं। कैसी विडम्बना है।

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

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