नए भारत ने छद्म सेकुलरों को किया बेनकाब

नए भारत ने छद्म सेकुलरों को किया बेनकाब
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विदेशी अखबारों के झरोखे से

डॉ. सुब्रतो गुहा

धार्मिक पहचान ही मूल पहचान: विगत माह के तीन राज्य विधानसभा चुनावों में हिन्दूवादी भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत से यह प्रमाणित हो गया है कि उसने विपक्षी दलों द्वारा जनता के बीच खेला गया जाति कार्ड असफल कर दिया है। इन चुनावोंमें जातिगत जनगणना की मांग विपक्षी दलों ने जोर शोर से उठाई थी, जिसे विधानसभा चुनावों तथा 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों की जीत को सुनिश्चित करने वाला मुद्दा माना गया था, परन्तु अब यह तथ्य प्रमाणित हुआ है कि सन 2023 सन उन्नीस सौ नब्बे नहीं है, जब पिछड़ी जाति आरक्षण संबंधी मंडल आयोग सिफारिशों ने जातिगत संघर्ष उत्पन्न कर भारतीय राजनीति की दिशा ही बदल दी थी। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की छवि पहले वाली ऊंची जातियों की पार्टी की नहीं रही, बल्कि अब सवर्ण, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति एवं जनजाति सहित सभी हिन्दू जातियों का भारी समर्थन उसे मिल रहा है तथा प्रधानमंत्री मोदी स्वयं पिछड़ी जाति के हैं। अब विपक्षी दलों को लोकसभा चुनाव हेतु जाति कार्ड छोड़कर कोई अन्य कार्ड खेलना होगा।

- गल्फ न्यूज, दुबई

(टिप्पणी- सन उन्नीस सौ नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और बिहार में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता एवं वाम अर्थात मुस्लिम यादव कार्ड के बल पर सत्तासीन होने में सफल होते रहे। यह संभव हुआ, क्योंकि प्रतिशत अल्पसंख्यक वोट जोड़ो और अस्सी प्रतिशत बहुसंख्यक वोट तोड़ो और उन टुकड़ों में से कुछ टुकड़े बटोरकर एवं बीस प्रतिशत अल्पसंख्यक वोट में जोड़कर सत्ता प्राप्त करने का फार्मूला सफल हो रहा था, परन्तु विगत दस वर्षों में अपनी धार्मिक पहचान पर ग्लानि नहीं, बल्कि गर्व का भाव हिन्दू समाज में संचालित हुआ है और समस्त जाति के हिन्दू कालजयी राष्ट्रसंत स्वामी विवेकानंद का नारा आत्मसात कर चुके हैं- गर्व से कहो हम हिन्दू है।)

रामलला हम आ रहे हैं

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उनकी हिन्दूवादी भारतीय जनता पार्टी ने बाईस जनवरी को उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या में विशाल श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन समारोह के नाम से हिन्दू राष्ट्रवाद का तूफान उत्पन्न कर दिया है। उल्लेखनीय है कि दिनांक छह दिसंबर उन्नीस सौ बयानवें को मुस्लिम के बाबरी मस्जिक के विध्वंस के ही स्थान पर इस मुख्य राम मंदिर का निर्माण हुआ है तथा पूर्व में वहां एक प्राचीन मंदिर था। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार राम जन्मभूमि मंदिर उद्घाटन द्वारा हिन्दू राष्ट्रवाद की भावना मजबूत होगी, जिससे 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित हो जाएगी, परन्तु पूर्व में अनेक मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों को अब मिटाकर पुन: उन स्थानों पर नए मंदिरों के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

- साऊथ चायना मोर्निंग पोस्ट, हांगकांग

(टिप्पणी- अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि भव्य मंदिर निर्माण को हिंसक हिन्दुत्व अभियान का परिणाम निरूपित करने वाले सेकुलर नेता इस तथ्य की जानबूझकर अनदेखी करते हैं कि हिन्दू समाज ने इस मंदिर का निर्माण बलपूर्वक नहीं, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के सकारात्मक निर्णय के बाद किया है। इसलिए अन्य अनेक मंदिरों को तोड़कर बनाई। मस्जिदों को हटाकर वहां पुन: मंदिर निर्माण का कार्य न्यायालय की मंजूरी के बाद की जाए, तो उसमें सांप्रदायिकता कहां से आ गई। सेकुलर राजनेता कई दशकों से धर्मनिष्ठ हिन्दुओं को चिढ़ाते हुए कहते थे- 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वही बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे।Ó अब 22 जनवरी को भव्य राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन एवं प्राण प्रतिष्ठा की शुभ घड़ी में हमारा उत्तर है- रामलला हम आ रहे हैं, मंदिर वही बना रहे हैं, तारीख भी बता रहे हैं।)

धार्मिक जागरण या धार्मिक धु्रवीकरण?

भारत के तीन प्रमुख राज्यों-मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी पार्टी की शानदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भविष्यवाणी की इस हेट्रिक ने 2024 के संसदीय चुनाव में हेट्रिक सुनिश्चित की है। वैसे अधिकांश राजनीतिक विशेषज्ञों की राय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी की पार्टी की विजय की प्रबल संभावना है। यद्यपि पूर्वी और दक्षिण भारत में विपक्षी क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन अच्छा रहेगा, शेष भारत में वे भारतीय जनता पार्टी के समक्ष कमजोर है। मुख्यमंत्री विपक्षी दल कांग्रेस केवल तीन राज्यों में सत्ता में है। विपक्षी इंडिया गठबंधन अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक राय नहीं रखती। एक प्रमुख भारतीय राजनीतिक विशेषज्ञ असीम अली ने हमारे संवाददाता से कहा- इन तीन राज्यों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने धार्मिक ध्रुवीकरण किया, तथा हिन्दुत्व का भाव उभारकर हिन्दू बहुसंख्यक वोट प्राप्त किया। उधर भारत के प्रगतिशील उदारवादी विद्वान चिंतित है कि मोदी की पार्टी की तीसरी पारी भारत के बीस करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों तथा भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा बन जाएगा।

- द गार्जियन, लंदन, ब्रिटेन

(टिप्पणी- स्वतंत्रता के बाद विगत छियत्तर, वर्षों में जब-जब कोई मुस्लिम ईसाई या अन्य धर्मावलंबी भारतीय नागरिक अपने धर्म से जुड़े धार्मिक नारे लगाता, तब उसे निष्ठावान धार्मिक व्यक्ति घोषित कर उसकी प्रसंसा की जाति, परन्तु जब कोई सनातनधर्मी हिन्दू भारतीय नागरिक जय श्रीराम, जय भोलेनाथ, जय शिव शकर, इत्यादि धार्मिक नारे लगाता, तो उसे सांप्रदायिक तत्व निरूपित कर उसकी निंदा की जाती। अब इतिहास करवट ले रहा है, भारत बदल रहा है और सेकुलरवाद के दोहरे मापदंड को नकारते हुए समस्त जातियों के हिन्दू धर्मावलंबी समरसतापूर्वक नारे लगाते हैं। बाईस जनवरी को अयोध्या में दिया जलेगा, अनेकों के दिल जलेंगे।)

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

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