मजबूत नहीं मजबूर दिखाई पड़ता विपक्ष
राजनीति में विपक्ष की मजबूती बहुत जरूरी है। लेकिन भारत का विपक्ष मजबूत नहीं मजबूर दिखाई पड़ता नजर आ रहा है। ये कोई पहली बार नही है कि विपक्ष मजबूर नजर आ रहा है। हर राष्ट्रीय व धार्मिक मुद्दे पर विपक्ष बहुत मजबूर हो जाता है। आगामी 22 जनवरी को भारत की आस्था के प्रतीक भगवान श्रीराम लंबे संघर्ष व बलिदान के बाद अपने घर मेें विराजमान हो रहे हैं। जिसकी खुशियां भारत ही नहीं पूरे विश्व में देखने को मिल रही है। भारत सहित विश्व के लगभग आधे देशों में प्राण प्रतिष्ठा वाले दिवस पर श्रीराम आगमन के स्वागत के लिए बड़ी योजनाएं बनने लगी हैं। भारत सरकार ने जहां इस दिवस को भव्य बनाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी है तो वहीं भारत का विपक्ष इस जीवनभर स्मरण रहने वाले महान क्षण पर मजबूर होकर दूरी बनाए हुये है। और केवल दूरी ही नहीं बल्कि श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मिले निमंत्रण को अस्वीकार करके राम विरोध दिखा रहे हैं। सपा नेता अखिलेश यादव ने विहिप द्वारा सम्मान से दिए जा रहे निमंत्रण को स्वीकार करने से मना कर दिया और विहिप के कार्यकर्ताओं को पहचानने से मना करके उनका अपमान भी किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस मुखिया सोनिया गांधी, टीएमसी नेता ममता बनर्जी, आप नेता केजरीवाल, माकपा नेता सीताराम येचुरी, सहित विपक्ष के अधिकतम नेताओं ने राम के आगमन पर जाने से इनकार कर दिया है। अब सबकी निगाहें उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार और बसपा सुप्रीमो मायावती पर है। इन तीनों की पिछली राजनीति को देखकर तो लगता है कि इनका भी वही जवाब होगा जो अन्य विपक्षी दलों ने दिया है। इन सभी विपक्षी दलों द्वारा अयोध्या न जाने का केवल एक ही कारण है वो है मुस्लिम वोट बैंक। मुसलमानों को खुश करने के लिए तथा उनका वोट पाने की लालसा में भारत का विपक्ष देश के बहुसंख्यक समाज की आस्था को अपमानित कर रहा है। इनको शायद भारत का रुख दिखाई नहीं दे रहा, जहां भारत का हिन्दू समाज राम के स्वागत में खड़ा है तो बड़ी संख्या में भारत में रह रहे मुस्लिम भी इसमें शामिल हो रहे हैं। मस्जिद पक्ष के लिए मुख्य वादी के रूप से केस लड़ने वाले हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी ने अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा में मिले निमंत्रण को स्वीकार करके खुश होकर कहा था कि मेरा सौभाग्य है कि राम जी की कृपा से सबसे पहला निमंत्रण मुझे मिला। इकबाल अंसारी ने प्रधानमंत्री के अयोध्या आगमन पर भी पुष्प वर्षा की थी। भारत के विपक्ष की मुस्लिम वोट बैंक की मजबूरी देश के लिए हानिकारक होती जा रही है। भारत का मुस्लिम जब भारतीय संस्कृति व भारतीय पूर्वजों को अपनाने के लिए खुशी- खुशी खड़ा हो रहा ऐसे में भारत का विपक्ष अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिये मुस्लिम समाज की कट्टरता को बढ़ावा देने में लगा है। ऐसा नहीं है कि विपक्षी ये सभी नेता राम को नहीं मानते या उनको राम मंदिर बनने की खुशी नहीं है, बस मुस्लिम नाराजगी से बचने के लिए तथा उनका वोट पाने के लिए ये राम का विरोध कर रहे हैं। जिस प्रकार रावण के मामा मारीच ने रावण के डर से मजबूरी में सुंदर मृग बनकर राम के साथ छल किया था आज वो ही स्थिति भारत के विपक्ष की हो रही है। परन्तु आज समय बदल गया है, उस मारीच को देखने व समझने वाला उस जंगल मे कोई नहीं था आज के विपक्ष रूपी मारीच को देखने वाला पूरा देश है। भारत के मुस्लिमों को विपक्ष के इस षड्यंत्र को समझकर उसका जबाव देना चाहिए। मुस्लिम वोट पाने की लालसा ने विपक्ष को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां से न आगे जा सकते और न ही पीछे। मजबूरी में ही सही पर ये राम विरोध विपक्ष को बहुत भारी पड़ने वाला है।