विपक्ष की सबसे बड़ी कमजोरी उसका विरोधाभास
अपराधी का धर्म है या नहीं है?
लंबी फरारी के बाद आखिरकार कोलकाता उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के पश्चात संदेशखाली का कुख्यात अपराधी शेख शाह जहान गिरफ्तार हुआ और कोलकाता पुलिस द्वारा उसे अपने कब्जे में ही रखने के अनेकानेक प्रयासों के बाद शेख शाहजहां को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के शिकंजे में जाना ही पड़ा। शेख शाहजहां पर दिनांक पांच जनवरी को उसके अपराधों की छानबीन व दस्तावेज एकत्रित करने हेतु उसके संदेशखाली स्थित घर पर पहुंचे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों एवं सीआरपीएफ जवानों पर जानलेवा हमले से लेकर संदेशखाली की अनुसूचित जाति एवं जनजाति की अविवाहित महिलाओं से विगत अनेक वर्षों से सामूहिक बलात्कार करने व करवाने, उनकी जमीन हड़पने, हत्याएं करवाने एवं नारी व पुरुषों पर अमानवीय अत्याचार करने एवं करवाने जैसे अनेक गंभीर अपराधों के प्रकरण पंजीबद्ध है। कोलकाता पुलिस की सीआईडी से मजबूरन केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थान्तांतरित होने के बाद चेहरे पर निराशा और बदहवासी का भाव लिए शेख शाहजहां को सीबीआई अधिकारियों की गिरफ्त में गाड़ी के पीछे बैठे हुए शाहजहां को मीडिया ने देखा।
- ट्रिब्यून, शिकागो, अमेरिका
(टिप्पणी- मुगलकाल में अर्थात तानाशाही द्वारा अत्याचारी एवं दुराचारी शासन व्यवस्था में एक मुगल शंहशाह हुए है- शंहशाह शाह जहान जिनके नाम का अर्थ है जहान अर्थात दुनिया का शासक। सन् उन्नीस सौ सैंतालीस में भारत एक लोकतांत्रिक देश के रूप में स्वतंत्र हुआ, परन्तु छद्म सेकुलरवाद की दुनिया में भारत रहा है, जिसके फलस्वरूप सेकुलर नेताओं ने शेख शाहजहां जैसे कुख्यात अपराधियों और बलात्कारियों को भारतीय समाज का अघोषित बादशाह बना दिया और उसके जेहादी अपराधों पर पर्दा डालकर बचाव करना, अपना परम सेकुलर दायित्व बना लिया। एक सेकुलर वाक्य आपने अनेकानेक बार सुना होगा, जब भी कोई मुस्लिम अपराधी या आतंकवादी पकड़ा जाता है, वाक्य है उसे मुस्लिम मत कहो, अपराधी का कोई धर्म नहीं होता। अभी भारत में सीएए कानून द्वारा पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम छह धार्मिक अल्पसंख्यकों हिन्दू,बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख एवं पारसी को भारतीय नागरिकता देने का कानून लागू हो रहा है, जिसका विरोध सेकुलर झंडाबरदार इस आधार पर कर रहे हैं कि इस नागरिकता पाने वाली सूची में मुस्लिम क्यों नहीं है। शेख शाह जहान भारत में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए के रूप में अवैध प्रवेश से पूर्व बांग्लादेशी हिन्दू महिलाओं से दुराचार करता था और भारत में अवैध प्रवेश के बाद भारतीय हिन्दू महिलाओं से दुराचार करता रहा। सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान के मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता दिलवाकर सीमा के उस पार एवं इस पार निरंतर उन्हें गैर मुस्लिमों अर्थात काफिरों पर अत्याचार, दुराचार का जन्म सिद्ध अधिकार दिया जाए, यही सेकुलर स्वप्न है, शाह का जहान है।)
जब सिनेमा बने समाज का दर्पण: अनेक भारतीय बुद्धिजीवी प्रश्न पूछ रहे हैं कि क्या सिनेमा का क्षेत्र लड़ाई का नया राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। यह प्रश्न उठ रहा है, क्योंकि इस सप्ताह प्रदर्शित नई हिन्दी फिल्म 'आर्टिकल 370Ó को झूठा कथानक बताकर जहां एक और जन्मू कश्मीर के राजनीतिक दल तथा उदारवादी बुद्धिजीवी भारी विरोध कर रहे हैं, वही दूसरी और भारत का सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी एवं स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फिल्म को वास्तविक बताकर प्रशंसा कर रहे हैं एवं जनता से इस फिल्म को देखने का आग्रह कर रहे हैं। कई प्रगतिशील बुद्धिजीवियों का मानना है कि मुस्लिम विरोधी इस फिल्म का निर्माण राष्ट्रवादी फिल्म निर्माता आदित्यधर ने किया है तथा भारतीय जनता पार्टी द्वारा इसका समर्थन हिन्दू एजेंडा का हिस्सा है।
- साउथ चायना, मोर्निंग पोस्ट, हांगकांग
(टिप्पणी- सन् उन्नीस सौ नब्बे के दशक तक हाजी मस्तान, दाऊद इब्राहिम इत्यादि जिहादी अंडरवर्ल्ड डान के द्वारा पर्दे के पीछे से वित्तीय रूप से पोषित एवं वैचारिक रूप से प्रभावित अधिकांश हिन्दी फिल्मों में खलनायक केवल हिन्दू पात्र दिखाया जाता और मुस्लिम पात्रों को अच्छाई का सर्वोच्च पर्याय दर्शाने के साथ-साथ समाज का शोषित, वंचित वर्ग बताया जाता था। अब विगत दस वर्षों में कश्मीर फाइल्स द केरल स्टोरी, आर्टिकल 370 जैसे सत्य पर पड़े परदे को उठाने वाली फिल्में आने से आशंकित सेकुलरवादी गा रहे हैं, परदे में रहने दो, परदा न उठाओ।)
भ्रष्टाचार व ईमानदारी का टकराव: भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रसिद्ध न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और राज्य में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बन गए। मीडिया में चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वे पश्चिम बंगाल के तमलुक संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव अगले माह लड़ेंगे। न्यायाधीश गांगुली के राजनीति में आने की तीव्र निंदा की जा रही है।
- प्रोथोम आलो ढाका, बांग्लादेश
(टिप्पणी - राज्य सभा में कांग्रेसी सांसद एवं नेता बहारुल इस्लाम ने 1962 से 1972 तक सांसद रहने के बाद इस्तीफा दिया और फिर 1972 में असम के गोहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं कालान्तर में मुख्य न्यायाधीश बन गए और तत्पश्चात 1980 से 1983 तक भारतीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे। सन 1983 में सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर वे फिर से कांग्रेस पार्टी के सदस्य तथा राज्यसभा में कांग्रेसी सांसद 1983 से 1989 तक रहे। अब न्यायाधीश बहारूल इस्लाम के राजनीतिक क्रियाकलाप पर प्रश्न नहीं उठाने और कोलकाता के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले वही चिर-परिचित चेहरे हैं, सेकुलरवादी प्रगतिवादी उदारवादी, जो व्यक्ति के नाम से उभरने वाली सेकुलर या सांप्रदायिक ध्वनि से निर्धारित करते हैं कि इस प्रसंग का विरोध किया जाए या समर्थन किया जाए, मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए।)
(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)