गाय द्वारा प्रदत्त पंचगव्य अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक

गाय द्वारा प्रदत्त पंचगव्य अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक
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डॉ. शारदा मेहता

सनातन धर्म में गाय का अत्यधिक महत्व है। समुद्र मंथन से हमें कामधेनु प्राप्त हुई थी। उसकी यह विशेषता थी कि उससे जो भी माँगा जाता था, वह सहर्ष प्रदान कर देती थी। बड़े-बड़े प्रसिद्ध ऋषि मुनियों के आश्रमों में असंख्य गायें रहती थीं। वे आश्रम के प्रमुख की आज्ञा का पालन करती थीं और उनकी इच्छापूर्ति करती थीं। गायों की विशेषताओं के कारण ऋषि-मुनियों में युद्ध जैसी स्थिति निर्मित हो जाती थी।

गाय द्वारा प्रदत्त पंचगव्य अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक है। गौमूत्र आयुर्वेदिक चिकित्सा शास्त्र का एक महत्वपूर्ण घटक है। कई व्याधियाँ इसके सेवन से ठीक होती हैं। आजकल गौमूत्र का शोधन कर बाजार में इसका विक्रय किया जाता है। उदर रोग तथा चर्म रोग में इसका सेवन करने से शीघ्र लाभ होते हुए देखा गया है। महात्मा गाँधी तो गौमूत्र चिकित्सा पर अत्यधिक विश्वास करते थे। गाय यदि घर के सामने मूत्र विसर्जन कर दे और गोबर कर दे तो इसे घर के पारिवारिक सदस्यों के लिए शुभ माना जाता है। इसे ईश्वर का कृपा प्रसाद माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। घरों में पवित्रता बनाए रखने के लिए गौमूत्र का छिड़काव किया जाता है। इससे घरों में कीटाणुओं का नाश हो जाता है। रक्षा बन्धन के समय जब जनेऊ बदलते हैं तब भी गोबर और गौमूत्र का प्रयोग किया जाता है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से गाय का गोबर अत्यधिक लाभप्रद है। इसके धुएँ से मच्छर आदि हानिकारक कीटाणुओं का नाश हो जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक तो गाय के गोबर का औषधि के रूप में सेवन करने की सलाह देते हैं। आधुनिक समय में गाय के गोबर से लकड़ियाँ, दीपक और सुगन्धित अगरबत्तियाँ बनाई जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो कृषकगण गोबर गैस प्लांट लगाकर इससे घरों में गैस के चूल्हे जलाकर दैनिक जीवन में इसका उपयोग करते हैं। इससे महिलाओं की धुएँ से रक्षा हो जाती है। खेतों के लिए खाद का उपयोग भी हो जाता है।

गोबर में लक्ष्मीजी का वास होने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। घर में बरकत बनी रहती है। गाय के गोबर से दीपावली के दूसरे दिन घर के आँगन में गोवर्धन बनाकर उसका पूजन किया जाता है। गाय के गोबर के कंडे पर कपूर, लौंग, गूगल आदि सामग्री डालकर धुआँ किया जाए तो यह पारिवारिक सदस्यों के लिए लाभप्रद होता है। नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। गाय के गोबर के कंडों का चूर्ण बनाकर घर की बगिया में डाला जाए तो यह उपयोगी खाद बन जाती है। इससे हरियाली में वृद्धि होती है।

गाय के गोबर के कंडों पर भोजन बनाया जाता है। इस पर बने बाफले, बाटी, दाल तथा चूरमें का स्वाद द्विगुणित हो जाता है। गाय के गोबर से विश्राम गृहों की दीवारों को लीप कर उस पर सुन्दर तथा आकर्षक मांडनों की आकृतियाँ बनाई जाती हैं। इससे कमरे का तापमान सन्तुलित बना रहता है।

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