जन-जन की बात बन गया है ‘मन की बात’

जन-जन की बात बन गया है ‘मन की बात’
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प्रदीप सरदाना वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक

‘मन की बात’ का जन जन की बात बनाना'

वेबडेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब 3 अक्तूबर 2014 को रेडियो पर अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ की शुरुआत की तो बहुत सी शंकाएं भी थीं। कुछ लोगों का मानना था कि आज के जमाने में रेडियो कौन सुनता है। कुछ कहते थे किसी ने रेडियो पर इस कार्यक्रम को सुन भी लिया तो इससे क्या होगा ? यह एक तरह से पीएम का भाषण ही तो है,इसे सुन लोग बदल तो नहीं जाएँगे। जबकि विपक्ष ने तो आदतन ‘मन की बात’ का मज़ाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कहा- यह तो पीएम के मन की बात है, उन्हें जनता के मन की बात सुननी चाहिए। पीएम अपने मन की तो हमेशा करते हैं। इसमें नया क्या है। इससे कुछ नहीं होने वाला। आदि आदि। लेकिन विजय दशमी के दिन आरंभ हुए ‘मन की बात’ ने अपनी विजय, सफलता और लोकप्रियता की पताका फहरा इतिहास रच दिया है। जिसे देख सभी अचंभित हैं।

लेखक - प्रदीप सरदाना

अब वही ‘मन की बात’ 30 अप्रैल को अपने प्रसारण के 100 एपिसोड पूरे करके पूरे विश्व को फिर बता रहा है –मोदी है तो मुमकिन है। नरेन्द्र मोदी ने 26 मई 2014 को, भारत के प्रधानमंत्री बनने के लगभग 4 महीने बाद ही ‘मन की बात’ शुरू कर दी थी। ‘मन की बात’ का पहला एपिसोड सिर्फ 14 मिनट का था। लेकिन इस पहले एपिसोड को ही श्रोताओं पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि सभी हैरान रह गए।असल में इससे पहले देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी या किसी भी माध्यम से जनता के साथ इस तरह का सीधा संवाद नहीं रखा था। पूर्व पीएम किन्हीं खास मौकों पर कभी कभार रेडियो से जनता को संबोधित तो करते रहे। लेकिन ऐसे किसी नियमित संवाद की किसी पीएम ने पहले कभी कल्पना तक नहीं की थी। या कहें के किसी ने जरूरत नहीं समझी। लेकिन पीएम मोदी ने मीडिया के माध्यम से पत्रकार सम्मेलन या विशेष इंटरव्यू देने के स्थान पर ‘मन की बात’ को अहमियत दी।

पीएम ‘मन की बात’ के होस्ट हैं। इसलिए कहने को यह उनके मन की बात है। लेकिन असल में यह कार्यक्रम जन जन की बात बन गया है। श्रोता पीएम मोदी के मन की बात भी उत्सुकता और चाव से सुनते हैं। अपने मन की बात भी उन तक पहुंचाते है। लोग इस कार्यक्रम के किए विभिन्न माध्यमों से अपने सवाल,अपने सुझाव और अपनी बातें और उपलब्धियां पीएम को भेजते हैं। जिनमें से खास बातों,सुझावों को ‘मन की बात’ में शामिल किया जाता है। इससे देश की जनता अपने मन की बात सीधे पीएम के साथ, पूरे देश के साथ भी साझा करने में सक्षम हो जाती है। पीएम ‘मन की बात’ में अभी तक 700 से अधिक व्यक्तियों और लगभग 300 संगठनों का उल्लेख कर चुके हैं। इनमें 37 व्यक्ति और 10 संगठन विदेश के भी हैं। जो यह बताता है कि मकीबा को विदेशों में भी सुना जाता है।

यही कारण है कि ‘मन की बात’ के हर एपिसोड की पहुँच और लोकप्रियता पिछले एपिसोड से ज्यादा होती जा रही है। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक हालिया सर्वे के अनुसार बताया कि ‘मन की बात’ को हर महीने 23 करोड़ लोग सुनते हैं। जबकि 45 करोड़ लोग इसे हर महीने सुनने की आदत बनाना चाहते हैं। हालांकि अभी तक देश के 100 करोड़ लोग ‘मन की बात’ को कभी ना कभी सुन चुके हैं। बड़ी बात यह भी है कि इसके श्रोताओं में 62 प्रतिशत युवा हैं।

मकीबा के पहले एपिसोड में पीएम ने श्रोताओं को विजय दशमी की शुभकामना देने के साथ मंगल मिशन की सफलता के लिए बधाई दी थी। दूसरी ओर लोगों से स्वच्छ भारत अभियान और खादी खरीदने-पहनने की अपील भी की थी। यह पीएम की जनता से यहाँ पहली अपील थी। दिलचस्प यह है कि स्वच्छ भारत के लिए तो लोग सक्रिय हुए ही। साथ ही एक महीने में ही खादी की बिक्री को पंख लग गए। पीएम मोदी ने ‘मकीबा’ के 2 नवंबर को प्रसारित दूसरे एपिसोड में स्वयं भी खादी की तेजी से बढ़ती बिक्री पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।

मन की बात की लोकप्रियता को देखते हुए जहां इसका दूसरा एपिसोड 19 मिनट का कर दिया गया। वहाँ 14 दिसंबर को तीसरा एपिसोड 26 मिनट का और 27 जनवरी 2015 को प्रसारित चौथे एपिसोड से इसे 30 मिनट का कर दिया गया। हालांकि पहले मकीबा के प्रसारण का दिन निश्चित नहीं था। लेकिन 26 अप्रैल को प्रसारित इसके 7 वें एपिसोड से इसका प्रसारण हर महीने के अंतिम रविवार को निश्चित कर दिया। यदि इस दिन पीएम का विदेश जाने का कार्यक्रम होता है तो वह मकाबा की रिकॉर्डिंग कराके ही विदेश जाते हैं। जिससे जनता से उनके संवाद का सिलसिला अविरल चलता रहे।यहाँ यह भी बता दें कि इसका पहला प्रसारण सिर्फ हिन्दी में हुआ था। लेकिन उसकी लोकप्रियता को देख दूरदर्शन ने ही नहीं,अधिकतर निजी चैनल्स ने भी ‘मन की बात’ को अपने यहाँ प्रसारित करना शुरू कर दिया। यह अजूबा ही था कि जब निजी चैनल्स को आकाशवाणी के एक कार्यक्रम को दिखाने का फैसला लेना पड़ा। सिर्फ इसलिए कि चैनल्स के दर्शक इस दौरान आकाशवाणी या किसी और चैनल पर ना जाकर उनके साथ टिके रहें।

उधर ‘मन की बात’ ने ऑल इंडिया रेडियो की टूटती साँसों को भी संजीवनी दे दी। देश में सन 1930 के दौर से शुरू हुआ रेडियो 1936 के बाद से ‘ऑल इंडिया रेडियो और फिर आकाशवाणी बनकर देश में संचार का सबसे बड़ा माध्यम बन गया था। सन 1960 से 1980 के दशक में तो आकाशवाणी की लोकप्रियता चरम पर थी। लेकिन पहले दूरदर्शन और फिर निजी टीवी चैनल्स आने से रेडियो नेपथ्य में जा रहा था। रेडियो के निजी एफएम चैनल्स आने से तो आकाशवाणी के अनेक श्रोता कम हो गए। लेकिन मकीबा के प्रसारण से आकाशवाणी फिर से मुख्य धारा में आने लगा है। अब मकीबा 23 भारतीय और 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित हो रहा है। इससे रेडियो जहां फिर से घर घर पहुँच रहा है। वहाँ ‘मन की बात’ के बाद से इसके राजस्व में भी लगभग 31 करोड़ रुपए पहुँच गए हैं।

उधर ‘मन की बात’ में पीएम मोदी द्वारा उठाए मुद्दे जिस तरह जन आंदोलन बने वह सब तो बेमिसाल है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, फिट इंडिया, खेलो इंडिया,वोकल फॉर लोकल,आत्मनिर्भर भारत,जल संरक्षण,नारी शक्ति,गौरैया बचाओ,मोटे अनाज का उपयोग,स्टार्टअप इंडिया,वंदेभारत,सुकन्या समृद्धि,अंग प्रत्यारोप,विकलांगों को दिव्यांग का दर्जा और हर घर तिरंगा जैसी कितनी ही मन की बात हैं जो जन जन की बात बनीं,जन आंदोलन बनीं। कोरोना काल के दौरान मोदी ने मन की बात से लोगों में जो हिम्मत जगाई वह कमाल की रही । टीकाकरण को सफल बनाने में भी ‘मकीबा’ की बेहद अहम भूमिका रही।

अच्छी बात यह है कि मोदी ने अपने मन की बात जैसे शक्तिशाली मंच का इस्तेमाल कभी भी राजनीति के लिए नहीं किया।वह सिर्फ देश,समाज, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ, योग, पशु पक्षी, किसान, मजदूर, आदिवासी, खिलाड़ी, शिक्षक, उद्योग, रोजगार, आवास युवा, बुजुर्ग, बच्चों, विद्यार्थियों, नारी शक्ति, कला, संस्कृति, खान पान, पर्यावरण और विरासत की बात ही करते हैं। उन्होंने गर्मी मे पशु-पक्षियों का ख्याल रखने की बात की तो लोग वो करने लगे। बेटी के साथ सेल्फी की बात की तो सारा सोशल मीडिया ऐसी सेल्फी से रंग गया। पीएम ने घरेलू खिलौना उद्योग की बात की तो तो खिलौनों का आयात 70 प्रतिशत कम हो गया।जबकि खिलौनों के निर्यात 202 मिलियन डॉलर से बढ़कर 326 मिलियन डॉलर हो गया।

मन की बात के वे एपिसोड तो भुलाए नहीं भूलते जब मोदी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा संग इसे पेश करते हैं। या फिर जब पीएम स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को जन्म दिन की बधाई देते हैं।

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