नए क्षितिज को ढूंढता प्रधानमंत्री का 'माई भारत' उद्घोष
सबके हित में छुपी है भारत की सबकी खुशहाली, इस नब्ज को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत बारीकी से पहचान ली है। उन्होंने हर समय नए संकल्प और नई अभिव्यक्ति से सबको चौंकाया। अब जब आजादी का अमृत महोत्सव के समापन समारोह और मेरा युवा भारत का शुभारंभ हो रहा था तो प्रधानमंत्री ने एक बार सबके लिए फिर से नई संभावनाओं की एक संकल्प-यात्रा की शुरुआत कर दी। बहुत ही काव्यात्मक अंदाज में प्रधानमंत्री ने सबसे कहा कि हमारे देश में अनगिनत करिश्माई परिवर्तन भारतीय लोगों ने किए। अब युवाओं को कुछ नया करने की बारी है। देखा जाए तो प्रधानमंत्री ने युवा भारत की ओर बहुत ही गंभीरता से रुख कर लिया है और इससे भारत को एक नई दिशा मिलने जा रही है।
अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से जो सपना देखा, उसे पूरी ताजगी से, जोश से और मनोयोग से पूर्ण किया। यथा-अमृत महोत्सव, मेरी माटी, मेरा देश अभियान या पञ्च प्रण का हम उदाहरण लें, सब के सब आज़ादी के अमृत पर्व पर सफल हुए। यह पञ्च प्रण अब आगे कूच कर गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो भावना अब अभिव्यक्त हुई है कि भारत की आजादी, हमारे साझा संकल्पों की सिद्धि है और हम अब'माई भारतÓ के साथ जुड़ें, तो उससे भी भारत जुड़ने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने अभियानों से गांव-गांव, गली-गली से जुड़ाव बनाया और देश में उनसे जुड़ने की, कुछ सोचने और करने की क्रांति सी आ गई। हाल ही में माई भारत कार्यक्रम में यह पूरा देश ने सुना है, कोई बनावटी बातें नहीं हंै। प्रधानमंत्री के अमृत-शब्दों में सुना गया कि देशभर में लाखों आयोजन हुए। अनगिनत भारतीयों ने अपने हाथों से अपने आंगन, अपने खेत की मिट्टीअमृत कलश में डाली है। देशभर से साढ़े 8 हजार अमृत कलश आज यहां पहुंचे हैं। इस अभियान के तहत करोड़ों भारतीयों ने पञ्च-प्रण की प्रतिज्ञा ली है। यह आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी हर्ष की बात है कि उनकी एक आवाज़ पूरे देश की आवाज़ बन जाती है। भारतीय स्वाधीनता के बाद का खासकर 21वीं सदी का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, तो इस प्रकार की क्रांति को रेखांकित किया जाएगा कि नरेंद्र मोदी की आवाज देश की आवाज कैसे बन जाती थी, और उसमें किस प्रकार का जादू होता था।
माई भारत क्या है, यह सवाल मन में आना स्वाभाविक है। यह भी मेरी दृष्टि में प्रधानमंत्री की एक ऐसी संकल्पना है जो भारत के लोगों के बीच सेतु बनाएगी। कुछ नया रचेगी। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके बारे में बताया भी है कि मेरा युवा भारत संगठन, माई भारत संगठन, भारत की युवा शक्ति का उद्घोष है। ये देश के हर युवा को, एक मंच, एक प्लेटफॉर्म पर लाने का बहुत बड़ा माध्यम बनेगा। ये देश के युवाओं की राष्ट्र निर्माण में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित होगी। प्रधानमंत्री का यह कहना कि एक तरफ हम आज एक महा-उत्सव यानी अमृत महोत्सव का समापन कर रहे हैं, तो साथ ही एक नए संकल्प का शुभारंभ भी कर रहे हैं। आज मेरा युवा भारत संगठन यानी माई भारत की नींव रखी गई है। 21वीं सदी में राष्ट्र निर्माण के लिए मेरा युवा भारत संगठन, बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। मैं आज के नौजवानों से कहूंगा, आप ज्यादा से ज्यादा इससे जुड़िए। भारत को नई ऊर्जा से भरिए, भारत को आगे ले जाने का संकल्प कीजिए, पुरुषार्थ कीजिए, पराक्रम कीजिए और सिद्धि को हासिल करके रहिए, यह भारत के लिए और भारत की अस्मिता व अस्तित्व के लिए नया बिगुल है।
वस्तुत: प्रधानमंत्री का मानना है कि भारत की आजादी, हमारे साझा संकल्पों की सिद्धि है। हमें मिलकर इसकी निरंतर रक्षा करनी है। हमें 2047 तक, जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब तक भारत को विकसित देश बनाना है। आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश आज के इस विशेष दिवस को याद करेगा। हमने जो संकल्प लिया, हमने आने वाली पीढ़ी से जो वादे किए, उसे हमें पूरा करना ही होगा। इसलिए हमें अपने प्रयास तेज करने हैं। विकसित देश का लक्ष्य हासिल करने के लिए हर भारतीय का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। आप देखेंगे कि प्रधानमंत्री ने साफ-साफ आह्वान किया कि आइए, हम मिलकर अमृत महोत्सव के इस समापन से विकसित भारत के अमृतकाल की एक नई यात्रा का आरंभ करें। सपनों को संकल्प बनाएं, संकल्प को परिश्रम का विषय करें, सिद्धि 2047 में प्राप्त करके ही रुकेंगे, आइए नौजवानो! इसी संकल्प के साथ चल पड़ें।
यह भावना, यह आह्वान अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है। जब दुनिया के तमाम मुल्कों में युवा अशांति के दौर से गुजर रहे हैं, बहुत से देशों के युवा युद्ध और संघर्ष की चपेट में आकर अपने आगे अँधेरा देख रहे हैं। ऐसे समय में हमारे देश के प्रधानमंत्री ने भारत की तरक्की के द्वार खोलते हुए भारतीय युवाओं में देश की असली तरक्की देखने की कोशिश की है। वह यह जानते हैं कि हमारे देश में युवा संकल्प और युवा दिलों की सिद्धि आवश्यक है। देश के अधिकांश भागों में युवाओं के बीच कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति से ही देश की विकास यात्रा को तय किया जा सकता है। इसलिए प्रधानमंत्री ने सही समय पर सही आह्वान और कदम उठाया है, जो भारत के लिए अच्छे भविष्य का संकेत है।
मिट्टी की शक्ति को पहचानने वाले प्रधानमंत्री ने मिट्टी के बारे में बहुत कुछ कहा लेकिन इस मिट्टी में भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी महापुरुष के बारे में कथा जो सुनाई वह केवल कथा नहीं थी बल्कि युवा मन में आत्मशक्ति भरने का एक बीड़ा था। वह चाहते हैं कि लोगों के मन में आत्मशक्ति भगत सिंह की हो। अभियान-शक्ति सरदार पटेल की हो, और उन गुमनाम सेनानियों सा त्याग मन में हो। वह यह जानते हैं कि यह सब युवा मन की इस तरुणाई में ही हम पा सकते हैं। उनके माध्यम से ही देश बदल सकते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल आह्वान किया अपितु वह कथा भी सुनाई जो भगत सिंह के जीवन से जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री ने बहुत ही रोचक तरीके से युवाओं में एक सन्देश देने का प्रयास किया कि इसी माटी में सौ साल पहले एक छोटा सा बच्चा लकड़ियां बो रहा था। और जब उसके पिता ने पूछा कि क्या बो रहे हो? तो, वो बोला कि बंदूकें बो रहा हूँ। पिता ने पूछा कि बंदूकों का क्या करोगे? तो उस बालक ने कहा- अपने देश को आज़ाद कराऊंगा। उसी बालक ने बड़े होकर बलिदान की वो ऊंचाई हासिल की, जिसे आज भी छूना मुश्किल है। वो बालक कोई और नहीं वीर शहीद भगत सिंह थे....इसी माटी के लिए कहा गया है-चन्दन है। इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम है। माटी स्वरूपा इस चंदन को अपने सिर -माथे पर लगाने के लिए हम सब लालायित रहते हैं... देश के हर घर-आंगन से जो मिट्टी यहां पहुंची है, वो हमें कर्तव्य-भाव की याद दिलाती रहेगी। ये मिट्टी, हमें विकसित भारत के अपने संकल्प की सिद्धि के लिए और अधिक परिश्रम के लिए प्रेरित करती रहेगी।
नए छितिज को तलाशते प्रधानमंत्री न दो और महत्वपूर्ण बातें की हैं कि जब 'नीयत नेकÓ हो, 'राष्ट्र प्रथमÓ की भावना सर्वोपरि हो, तो नतीजे भी उत्तम से उत्तम मिलते हैं। हमारे यहां कहा जाता है- अंत: अस्ति प्रारंभ: यानी जहां अंत होता है, वहीं से कुछ नए की शुरुआत भी होती है। इन दोनों बातों का अभिप्राय बहुत सुस्पष्ट है कि यदि भारत के लोग उम्मीद छोड़ देंगे तो वे तरक्की नहीं कर सकेंगे और यदि किसी भी चीज का अंत समझ लेंगे तो भी देश ठहर जाएगा। आज जब विश्व भारत की ओर निगाह बनाए हुए है, उम्मीद की नजरों से देख रहा है तो भारत को सर्वोत्तम देश बनाना भारतीय लोगों का दायित्व है। प्रधानमंत्री ने दायित्वबोध का स्मरण दिलाते हुए भारत के लोगों को एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया तो इससे देश का ही उत्थान होना है। आवश्यकता इस बात की है कि हम समस्त ऊर्जा से भारत के लिए अपने दायित्व का निर्वाह करें। इससे भारत को नई पहचान मिलेगी और हमारे देश का एक नया छितिज भी तैयार होगा।
(लेखक भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति जी के विशेष कार्य अधिकारी रह चुके हैं)