भारतीयों के सहारे ब्रिटेन में प्रगति और राजनीति

भारतीयों के सहारे ब्रिटेन में प्रगति और राजनीति
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आलोक मेहता

समय चक्र कितना बदल रहा है इसकी झलक ब्रिटेन की वर्तमान अर्थ व्यवस्था और राजनीति को देखकर समझा जा सकता है। एक समय था, जब इंग्लैंड भारत पर राज करता था, हमारा बजट तय करता था, यहाँ तक कि अकाल की भयावह स्थिति में भी भारत का अनाज भूखे ब्रिटिश सैनिकों के पेट भरने के लिए ले जाता था और हमारे यहाँ अकाल (1943) में लाखों लोग मर गए। लेकिन आज वही ब्रिटेन भारतीय मूल के अरबपति व्यापारिक समूहों, भारत के साथ करीब 36 अरब पाउंड्स के व्यापारिक संबंधों, देश के बैंकिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा, होटल उद्योग जैसी मूलभूत व्यवस्था के लिए भारतीय मूल के पेशेवर लोगों पर निर्भर हो रहा है। देश की राजनीति पर भी भारतीय संबंधों का गहरा असर है।

हिन्दू होने पर गर्व करने वाले प्रधान मंत्री और संसद में भारतीय मूल के 15 सांसद हैं। मुझे 1977 से अब तक 45 वर्षों में कई बार निजी अथवा ब्रिटिश सरकार के निमंत्रण या भारतीय प्रधान मंत्रियों के साथ ब्रिटेन जाने के अवसर मिले हैं। इस बार कुछ अंतराल के बाद दो सप्ताह की निजी यात्रा पर जाने का अवसर मिला, तो कई सुखद अनुभव हुए और भारत के बढ़ते सामाजिक आर्थिक प्रभाव की झलक मिली। यात्रा के दौरान भारत में रह चुके उच्चायुक्त मार्क रुनक्रेस (रूड्डह्म्द्म क्रह्वठ्ठड्डष्ह्म्द्गह्य) , नेहरू सेंटर के निदेशक और प्रसिद्ध लेखक अमीश त्रिपाठी सहित विभिन्न क्षेत्रों के कुछ विशेषज्ञों से बातचीत के अवसर भी मिले।

लंदन में बदलाव का एक बड़ा प्रमाण इसी महीने शुरु हुए एक भव्य होटल 'रैफलÓ होटल को देखकर मिला। होटल की कॉफ़ी शॉप में दो घंटे बिताए। तब मालूम हुआ कि ऐतिहासिक 'ओल्ड वार ऑफिसÓ की इमारत को भारतीय मूल के जी पी हिंदुजा के पारिवारिक समूह ने खरीद कर होटल का रुप दिया है। हिंदुजा बंधुओं ने वर्ष 2006 में लंदन की कार्लटन हाउस टेरेस स्ट्रीट पर 25 बेडरूम वाला एक बड़ा घर 5.8 करोड़ डॉलर में खरीदा था। फिर द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के युद्ध कार्यालय की इस इमारत को हिंदुजा समूह ने आठ साल पहले खरीदा था। विंस्टन चर्चिल का पुराना युद्ध कार्यालय (ह्रद्यस्र ङ्खड्डह्म् ह्रद्घद्घद्बष्द्ग) लंदन में पीएम आवास के सामने व्हाइटहाल बिल्डिंग में स्थित है। हिंदुजा समूह ने रेफेल्स होटल्स के साथ मिलकर इस ऐतिहासिक इमारत को लग्जरी रिहायशी इमारत, रेस्तरां और स्पा में तब्दील कर दिया है। हिंदुजा समूह ने फ्रांस के बहुराष्ट्रीय हॉस्पैटिलिटी समूह एकॉर के साथ मिलकर इस होटल को विकसित किया। पुराने युद्ध कार्यालय का निर्माण 1906 में पूरा किया गया था। इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट विलियम यंग ने डिजाइन किया था। इस इमारत में इतिहास के कई प्रभावशाली नेताओं के कार्यालय रहे, जिनमें विंस्टन चर्चिल और डेविड लॉयड जॉर्ज जैसे नाम शामिल हैं। जेम्स बॉन्ड सीरीज की कई फिल्मों में भी यह इमारत दिखाई जा चुकी है और हालिया नेटफ्लिक्स सीरीज द क्राउन में भी इसे दिखाया गया था। नए होटल में मेहमानों के लिए 120 कमरे और सुइट्स हैं। इसमें एक विशाल बालरूम है । इस होटल में जिस जगह महान नेताओं के कार्यालय रहे, वहां एक हैरिटेज सुइट बनाया गया है। ऐतिहासिक इमारत में 85 रिहायशी फ्लेट्स, नौ रेस्तरां और तीन बार भी बनाए गए हैं।

विंस्टन चर्चिल को भारत में खलनायक माना जाता है। भारत में विंस्टन चर्चिल को साल 1943 में भूख से हुई लाखों मौतों का जिम्मेदार माना जाता है। दरअसल चर्चिल ने बंगाल से अनाज को हटाकर विश्व युद्ध लड़ रहे अपने सैनिकों को भेज दिया था, जिसके चलते अनाज की कमी से लाखों लोगों की मौत हो गई। यही वजह है कि उसी चर्चिल के पुराने ऑफिस को भारतीय मूल के परिवार द्वारा खरीदा जाना और उसमें लग्जरी होटल का निर्माण अपने आप में दिलचस्प और गौरवपूर्ण है। ब्रिटेन इस समय आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना कर रहा है। ब्रिटिश राज परिवार और सरकार की कई इमारतें बिक रही हैं। वहीं भारतीय मूल के लोग अधिकाधिक संपत्ति लंदन और अन्य नगरों में खरीद रहे हैं। ब्रिटिश सरकार हिंदुजा, टाटा, अम्बानी समूहों से ब्रिटेन में पूंजी, उद्योग लगाने, व्यापार बढ़ाने का विशेष आग्रह करती हैं, ताकि उनके लोगों को अधिक रोजगार भी मिले।

ब्रिटेन के सबसे धनवान लोगों की सूची में हिंदुजा बंधु शीर्ष पर रहे हैं। लंदन के 'द संडे टाइम्सÓ की अमीर लोगों की सूची के मुताबिक हिंदुजा बंधुओं के पास 28.472 अरब पौंड की संपत्ति होने का अनुमान है। इनके संबंध दुनिया के प्रमुख नेताओं से रहे हैं जिनमें ईरान के तत्कालीन शाह से लेकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर और पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और वर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी शामिल हैं। इसी तरह श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न दलों के शीर्ष नेताओं से उनके अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। 83 वर्षीय गोपीचंद हिंदुजा ने अपने भाई श्रीचंद पी हिंदुजा के हाल के निधन के बाद हिंदुजा समूह के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला है। वह ऑटोमोटिव, आईटी, मीडिया और मनोरंजन, बुनियादी ढांचा, तेल और विशेष रसायन, बिजली और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में फैले विविध वैश्विक व्यापार साम्राज्य को संभालते रहे हैं। ब्रिटेन के ही एक वरिष्ठ राजनयिक ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि गोपीचंद हिंदुजा एक सम्मानित व्यवसायी और परोपकारी व्यक्ति हैं। वह व्यापार और प्रतिस्पर्धात्मकता पर विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक एजेंडा परिषद के सदस्य हैं और हिंदुजा फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं, जो भारत और दुनिया भर में कई धर्मार्थ कारणों का समर्थन करता है। हिंदुजा समूह ऑटोमोटिव, ऊर्जा, वित्त और स्वास्थ्य सेवा सहित उद्योगों की एक विस्तृत शृंखला में हितों के साथ एक बहुराष्ट्रीय समूह है। समूह का 60 से अधिक देशों में संचालन है और दो लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

हिंदुजा समूह की स्थापना 1914 में अविभाजित भारत के शिकारपुर के व्यवसायी परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने की थी। समूह का शुरुआती ध्यान व्यापार और वित्त पर था, लेकिन जल्द ही यह अन्य उद्योगों जैसे विनिर्माण, ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा में भी फैल गया। हिंदुजा समूह हाल के वर्षों में उल्लेखनीय रूप से विकसित हुआ है, और अब यह दुनिया की सबसे बड़ी निजी स्वामित्व वाली कंपनियों में से एक है। हिंदुजा समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी है, और यह कई देशों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जीपी की मान्यता है कि यह गु्रप हमेशा फाइनेंस और ट्रेडिंग में यकीन करता है। वेल्थ मैनेजमेंट हमारे खून के भीतर रहा है। फाइनेंस और बैंकिंग हमारे गु्रप का अभिन्न हिस्सा रहा है। जब भी हमें कुछ अच्छे अवसर मिलते हैं, तो उद्यमी होने के नाते हम इसमें किस्मत आजमाते हैं। हमारा उद्देश्य वर्षों से प्राप्त अनुभव और रिश्तों के आधार पर सबसे बड़े ग्लोबल मल्टीफैमिली ऑफिस का निर्माण करना है। जहां तक गु्रप का संबंध है, वे केवल एक चीज में विश्वास करते हैं वह यह कि हमें क्या देना है। सब कुछ सबका है। ग्रुप में यह माना जाता है कि सब कुछ सबका है, कुछ भी किसी का नहीं है। हिंदुजा का कहना है 'हमारे पिता ने हमें सिखाया कि यदि आप पैसे कमा रहे हैं, तो आपको कोशिश करनी चाहिए और देखना चाहिए कि कैसे जरूरतमंद लोगों को और समाज को दिया जाए। अगर ये टैक्स आ रहे हैं, तो इसकी अच्छी खासी जरूरत भी है। हम इसे अपने साथ स्वर्ग में ले जाने वाले नहीं हैं। मरना एक दिन सभी को है।Ó

दूसरी तरफ भारत और ब्रिटेन के आर्थिक विकास पर समूह का कहना है कि फ्यूचर तो ग्रीन, स्थिरता और इलेक्ट्रिक वाहन का है। उन्हें लगता है कि पुरानी अर्थव्यवस्था खत्म हो गई है और चीजें बदल गई हैं। इसलिए वे सिर्फ एक बिजनेस में टिके नहीं रहते हैं। इनके पास लगभग 11 टेक्नोलॉजी कंपनियां हैं। वे साइबर सिक्योरिटी पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। कंपनी का नाम सायक्यूरेक्स है और साइबर सुरक्षा का भविष्य बहुत अच्छा है। निश्चित रूप से यह गु्रप पिछले 100 वर्षों में विकसित हुआ है और आगे भी हमेशा बढ़ता रहेगा।

हिंदुजा गु्रप के अध्यक्ष गोपीचंद हिंदुजा ने आर्थिक मंचों पर कहा है कि भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी हासिल कर सकता है। लेकिन, इस लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ने के लिए ब्रिटिश काल जैसी नौकरशाही (ब्यूरोक्रेसी) व्यवस्था बदलने की जरूरत है। हिंदुजा ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहतरीन कदम उठाए और उनका नजरिया भी शानदार है, लेकिन उनकी टीम को और तेजी दिखानी होगी। उनकी कंपनी भारत में ज्यादा से ज्यादा निवेश करना चाहती है, क्योंकि दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले यहां सबसे ज्यादा मौके हैं।

(लेखक पद्मश्री से सम्मानित देश के वरिष्ठ संपादक है)

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