विदेशी सैलानियों की सुरक्षा का सवाल?

विदेशी सैलानियों की सुरक्षा का सवाल?
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प्रभुनाथ शुक्ल

भारत घूमने आए विदेशी सैलानियों की सुरक्षा का सवाल हमारे सामने यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा है। विदेशी सैलानियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं जहाँ हमें कटघरे में खड़ा करती हैं वहीं दूसरी ओर उनसे मारपीट, लूट और अधिक पैसे वसूलने की घटनाएं भी आम हैं। हमारे देश की संस्कृति अतिथि देवो भव: की है। झारखंड के दुमका में एक स्पैनिश महिला के साथ कथित तौर पर गैंगरेप की घटना हमारे लिए चिंता का विषय है। भारत हमेशा से विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। विदेशी पर्यटकों को भौगोलिक एवं प्राकृतिक बनावट के साथ विविधता में एकता की संस्कृति अपनी तरफ आकर्षित करती है।

दुमका में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना कोई पहली वारदात नहीं है। भारत में अक्सर विदेशी पर्यटक इस तरह की घटना का शिकार होते हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से भारत का पर्यटन देश की संवृद्धि में अच्छी खासी भूमिका निभाता है। लेकिन इस तरह की घटनाएं जहां हमारे देश की छवि को नुकसान पहुंचाती है वहीं विदेशी पर्यटक यहां आने से डरते और घबराते हैं। दुमका में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना हमारी संस्कृति और संस्कार के खिलाफ है। इस घटना में शामिल दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। केंद्र सरकार को राज्य सरकार से मिलकर आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

पर्यटन मंत्रालय को इस संबंध में विशेष कदम उठाने चाहिए जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। ऐसी घटनाओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है। बार-बार ऐसी घटनाएं होने के बाद भी हम आवश्यक कदम नहीं उठा पाते हैं। विदेशी पर्यटकों के लिए खास सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए। भारत आने वाले पर्यटकों के लिए जो सरकारी स्तर पर विशेष गाइड की व्यवस्था होनी चाहिए। यह सरकारी एजेंसी के माध्यम से होनी चाहिए। भारत आने वाले ऐसे पर्यटक कहाँ ठहर रहे हैं। कहां जा रहे हैं। उनके लिए कहां रुकना अच्छा रहेगा। सरकार की तरफ से उन्हें सारी सुविधा और सूचना उपलब्ध होनी चाहिए। सिविल पुलिस के बजाय इसके लिए अलग से विशेष पर्यटन पुलिस होनी चाहिए। पर्यटन पुलिस की विशेष जिम्मेदारी विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के संदर्भ में होनी चाहिए। विदेशी पर्यटकों के साथ आमतौर पर भाषा की भी समस्या होती है ऐसे में उसके समाधान के लिए भी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। दुमका में हुई घटना में भी पुलिस और पीड़ितों के बीच भाषा की समस्या देखने को मिली है।

भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की तरफ से स्पष्ट गाइडलाइन भी होनी चाहिए। पर्यटकों को यह निर्देश होना चाहिए की आप जहां जा रहे हैं वहां की भौगोलिक स्थिति क्या है। अगर आप पहाड़ी या आदिवासी इलाके में घूमने जा रहे हैं तो वहां क्या समस्या हो सकती है। पहाड़ और दूसरी जगह पर जा रहे हैं तो क्या -क्या सावधानी बरतनी चाहिए। स्थानीय लोगों के बारे में भी जानकारी देना आवश्यक है। उनकी सुरक्षा को लेकर जहाँ खतरा हो सकता है इस सम्बन्ध में उन्हें आगाह करने की भी आवश्यकता है।

विदेशी दूतावास को भी भारतीय दूतावास से संपर्क में रहना चाहिए। उनकी सुरक्षा और सुविधाओं का ख्याल रखना हमारा दायित्व है। इस तरह की घटनाएं विदेशी पर्यटकों में असुरक्षा का जहाँ माहौल पैदा करती हैं वहीं हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाती हैं। विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा या अन्य मामलों में सीधे केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का हस्तक्षेप होना चाहिए। पर्यटन अब ग्लोबल शौक बन चुका है। पर्यटन से दुनिया भर के देशों को एक अच्छी खासी आय हो रही है। भारत की जीडीपी में पर्यटन उद्योग अच्छी खासी भूमिका निभा रहा है।

भारत में विदेशी सैलानियों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। लेकिन दुमका जैसी घटनाएं पर्यटन उद्योग को कहीं न कहीं से प्रभावित करती है। भारत पर्यटन हब के रूप में उभर रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और काशी में बाबा काशी विश्वनाथ कारिडोर के निर्माण के बाद दर्शन के लिए विदेशी सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। लॉकडाउन के बाद देश में तकरीबन हर साल एक करोड़ से अधिक विदेशी सैलानी भारत भ्रमण पर पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक मार्च और अप्रैल में विदेशी सैलानियों का आगमन होता है। क्योंकि पर्यटन के लिए यह मौसम अनुकूल होता है जो पर्यटकों को काफी प्रभावित करता है। भारत में साल 2019 में एक करोड़ 8 लाख विदेशी पर्यटक घूमने आए। जिससे विदेशी पर्यटकों से सरकार को 2.10 लाख करोड़ की आय हुईं। 2018 में 1.94 जबकी 2018 1.77 वहीं 1016 में 1.54 और 2016 में 1.35 लाख करोड़ की आय हुई। 2018 में 1.5, 2017 में 100 जबकी 2016 में 88.04 एवं 2015 में 80.27 लाख विदेशी सैलानी भारत घूमने आए। इस हालत में विदेशी सैलानियों की सुरक्षा सबसे अहम हो जाती है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर कठोर से कम कठोर कदम उठाने चाहिए जिससे दुमका जैसी घटनाओं पर विराम लग पाए और भारत में विदेशी पर्यटन को बढ़ावा मिल पाए।

(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

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