550 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद आज 'राम' आयेंगे
वेबडेस्क। आज देश के साथ-साथ पूरे विश्व में राम मंदिर को लेकर एक उत्साह दिख रहा है और सारा जगत ही राममय हो गया है विश्व के सबसे बड़े उत्सव के लिये तैयार हैं अयोध्याधाम को सजाया जा रहा है और पूरे देश में दीपावली का वातावरण है हर कोई अपने प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा के क्षण की प्रतीक्षा कर रहा है हर भक्त उस समय का साक्षी बनना चाहता है जिस समय 'राम आयेंगे '|
आज कई वर्षों के बाद प्रभु श्रीराम के मंदिर की स्थापना हो रही है यह मंदिर केवल एक मंदिर नहीं बल्कि भक्तों की एक भावना है अपने प्रभु के प्रति यह कहानी है उस संघर्ष की जो कई वर्षों का रहा है जिस संघर्ष में कई लोगों ने अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये केवल रामकाज के लिये और यह कहानी है उन तमाम लोगों की जिन्होंने इस मंदिर को बनाने में अपना योगदान दिया है अब प्रभु की वापसी हो रही अयोध्या के लाडले 'रामलला' के रूप में और करोड़ों लोगों की आस्था का एक महोत्सव होने जा रहा है जोकि भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व का एक महोत्सव होगा लेकिन इस महोत्सव को मानाने के लिये न जाने कितने संघर्ष हुये कितने ही आँसू बहाये गये लेकिन आँसू तो शबरी ने भी बहाये थे प्रभु की प्रतीक्षा में कई दिन बिताये थे कई दिनों की प्रतीक्षा के बाद ही तो राम उनके द्वार पर आये थे |
हमारे आराध्य प्रभु ने भी तो संघर्ष में कितने दिन बिताये थे राजमहलों में रहने वाले प्रभु ने भी तो वनवासी भेष धारण किया प्रभु के कोमल-कोमल पैरों में भी तो कांटे चुभे थे माता सीता के वियोग में प्रभु ने भी आँसू बहाये थे और लक्ष्मण जी ने भी 14 वर्ष बिना सोये गुजारे थे माता सीता ने लंका में जो संघर्ष किया प्रतिपल प्रभु को याद किया और हर समय प्रभु का नाम लिया और विभीषण का वो संघर्ष जिसमें असुरों के बीच राम का नाम लिया और और इसी वजह से उनके भाई ने उन्हें राज्य से भी निकाल दिया
हनुमान जी जिनका जन्म ही रामकाज के लिये हुआ था अपने सीने में राम को ही रखते थे उनको तो सदियों से प्रतीक्षा थी कि राम आयेंगे उनका और सारी वानर सेना का उद्धार करेंगे माता कैकयी को एक पश्चाताप था उनके कहने पर ही तो उनके प्रिय पुत्र राम वन में गये थे उन्ही के मांगे वचन थे जो उनपर कष्ट बनकर टूटे थे और जिनके लिये वो राजपाट माँगा वो भरत उनका वर्षों का संघर्ष जो उन्होंने अपने बड़े भैया के वियोग में किया और उन अयोध्या की उस प्रजा की पीड़ा जो उसने अपने राजा को 14 वर्षों का वनवास भोगते देखा और वर्षों राजाराम के वापिस आने को की प्रतीक्षा की और उनके आने पाए दीपावली मनाई और वही प्रतीक्षा आज के युग में करोड़ों भक्तों द्वारा की जा रही है जो प्रतीक्षा 500 वर्षों से की जा रही है इस प्राण प्रतिष्ठा के लिये सदियों संघर्ष किया गया और कई बलिदान दिये गये और इन बलिदानों के बाद,कठिन संघर्ष के वर्षों की प्रतीक्षा के बाद फिर से प्रभु अयोध्या आ रहे हैं फिर से दीपावली मनाई जा रही है फिर से प्रभु का स्वागत किया जा रहा है आज क्या छोटा क्या बड़ा सब कुछ राममय है क्या जाति क्या ही धर्म राम तो सबके हैं और सभी को यही उम्मीद है की फिर ऐसे रामराज्य आयेगा चहुँओर समृद्धि लायेगा सब मिलकर खुशियाँ मनायेंगे क्योंकि हमारे प्रभु 'राम आयेंगे '.......
मर्यादा के हैं ये पालक,इनसे सारे धाम हैं।
भक्तों के मन में हैं आदर्श,मेरे प्रभु श्रीराम हैं |
- सचिन श्रीवास्तव