मई दिवस पर समस्त श्रमिकों को नमन

मई दिवस पर समस्त श्रमिकों को नमन
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अजय पाटिल ( वरिष्ठ स्तम्भ लेखक )

वेबडेस्क। प्रत्येक वर्ष विश्व के कई हिस्सों में 1 मई को 'मई दिवस' अथवा 'अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस' के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस नए समाज के निर्माण में श्रमिकों के योगदान के रूप में मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण दिवस पर विश्व के सभी मजदूरों को नमन। सर्वप्रथम मई दिवस के इतिहास और महत्त्व व इसकी शुरुआत कैसे हुई इस विषय पर चर्चा करते हैं। यह विषय आते ही सबसे पहले हमारे जहन में ऐतिहासिक हे मार्केट घटना आती है। इस घटना के कारण ही विश्वभर में मजदूर दिवस की नींव पड़ी।

हे मार्केट घटना

अमेरिका के हे मार्केट में मजदूरों के शोषण के खिलाफ एक आंदोलन हुआ था। बात 1 मई 1886 की है। यह आंदोलन मजदूरों के काम के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किए जाने को लेकर था। मजदूर लोग रोजाना 15-15 घंटे काम कराए जाने और शोषण के खिलाफ पूरे अमेरिका में सड़कों पर उतर आए थे। इस दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस घटना से भारत सहित दुनिया के कई देशों में काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की शुरुआत हुई। ये दिन मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में मनाया जाता है।

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में 1 मई, 1923 को पहली बार चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में मज़दूर दिवस का आयोजन किया गया। यह पहली बार था जब लाल रंग का झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनियाभर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।

आज ये वामपंथी पार्टियां मजदूरों के हित कम अहित ज्यादा कर रहीं हैं। छोटी छोटी बातों पर ये वामपंथी संगठन मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाते हैं। फैक्टरियों के प्रबंधन के साथ अशोभनीय व्यवहार करते हैं। कई कंपनियों को बंद कराने में इनकी भूमिका रही है। पर आज का दिन इस पर विस्तृत चर्चा का नहीं है। आज का दिन है विश्व की अर्थव्यवस्था में श्रमिकों के योगदान को याद करने का। उन्हें नमन करने का।

यूरोप में श्रमिक दिवस की शुरूआत

बात जुलाई 1889 की है। यूरोप में पहली 'इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस ऑफ़ सोशलिस्ट पार्टीज़' द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव में यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिवस के रूप मनाया जाएगा। इसके बाद 1 मई, 1890 को पहला मई दिवस मनाया गया था। जो आज सतत व निरंतर जारी है।

यूएसएसआर में मई दिवस की आधारशिला

सर्वप्रथम 1917 रूसी क्रांति हुई। इस क्रांति के पश्चात् सोवियत संघ और पूर्वी ब्लॉक राष्ट्रों ने मज़दूर दिवस मनाना शुरू किया। मार्क्सवाद और समाजवाद जैसी नई विचारधाराओं ने कई समाजवादी और कम्युनिस्ट समूहों को प्रेरित किया और किसानों, श्रमिकों से संबंधित मुद्दों की तरफ ध्यान आकर्षित किया। इस तरह उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन का एक अभिन्न अंग बनाया।

श्रम से संबंधित संवैधानिक प्रावधान -

भारतीय संविधान श्रम अधिकारों की सुरक्षा के लिये कई सुरक्षा उपाय प्रदान करता है। ये सुरक्षा उपाय मौलिक अधिकारों और राज्य की नीति के निदेशक सिद्धांत के रूप में हैं। अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19(1) (ग), अनुच्छेद 21,अनुच्छेद 23 ,अनुच्छेद 24 ,अनुच्छेद 39 (क),अनुच्छेद 41,अनुच्छेद 42 ,अनुच्छेद 43 इनकी विस्तृत व्याख्या करते हैं।

क़ानूनी प्रावधान -

भारत की संसद ने देश के 50 करोड़ से अधिक संगठित और असंगठित श्रमिकों को समाविष्ट करते हुए श्रम कल्याण सुधार के उद्देश्य से 3 श्रम संहिता विधेयक पारित किये हैं।

तीन श्रम संहिता विधेयक इस प्रकार हैं-

  • ( 1 )सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020
  • ( 2 )व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति सहिंता, 2020
  • ( 3 )औद्योगिक संबंध संहिता, 2020

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