सोशल मीडिया : मर्यादा की सीमा रेखा
स्मार्टफोन आने के बाद से सोशल मीडिया का प्रयोग लगातार बढ़ता ही जा रहा हैं। और जैसे जैसे इसका प्रयोग बढ़ रहा हैं, वैसे वैसे सकारात्मक के साथ साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आते जा रहे हैं। जो कि भारतीय समाज और परिवार पर सीधे आघात कर रहे हैं। एक और सोशल मीडिया जहा सुदूर बैठे अनजान लोगो से हमारा परिचय करवा रही तो वही दूसरी और हमारे परिचितों को हमसे अनजान बनाने का काम भी कर रही हैं। और साथ ही भारत विरोधी तत्वों के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में भौतिक वासना की विकृति फ़ैलाने का काम भी सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहा हैं।
इसे हमें इस प्रकार से समझने की आवश्यकता हैं कि जब भी हम सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं तब अनचाहे ही हमारे सामने कुछ ऐसे अश्लील दृश्य आ जाते हैं, जिन्हे सार्वजानिक रूप से स्वीकारा नहीं जा सकता हैं। और जो की भारतीय सामाजिक व्यवस्था में सर्वथा अनुचित माना गया हैं। भारत विरोधी तत्वों के द्वारा लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से समाज के भीतर कुंठित वासना को जन्म देने का प्रयास लगातार किया जा रहा हैं। जिसे रोकने के लिए सरकार से लेकर प्रशासन और समाज को साथ आकर रोकने की आवश्यकता हैं।
एक ओर जहा सोशल मीडिया पर अनचाहे अश्लील दृश्यों की भरमार हो रही हैं। वही दूसरी ओर सोशल मीडिया प्लेटफार्म से होने वाली कमाई एक बड़ी वजह निकल सामने आ रही हैं। सोशल मीडिया पर किसी भी सामान्य व्यक्ति के द्वारा अपना अकाउंट बनाकर कैसा भी कंटेंट अपलोड किया जा सकता हैं जिसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसी प्रकार की कोई रोक टोक नहीं हैं। किसी भी प्रकार के अश्लील दृश्यों एडिट कर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा सकता हैं। और अच्छी खासी कमाई की जा सकती हैं। समय के साथ इस प्रकार के सोशल मीडिया अकाउंट बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। जिन्हे रोकने के भी उपाय करने की आवश्यकता हैं।
समाज के भीतर मनोरंजन के नाम पर ओटीटी वेब पोर्टल के माध्यम से भी अश्लीलता परोसने का काम लगातार किया जा रहा हैं। छोटे गांवो और छोटे शहरों से काम की तलाश में जाने वाले युवाओ को पैसे का लोभ दिखा अश्लील शार्ट फिल्म्स और वेब सीरीज का हिस्सा बनाया जाता हैं। मोबाइल ?प्स और ओटीटी वेब पोर्टल पर अश्लील कंटेंट उपलब्ध कराया जाता हैं। ऐसे सभी प्रकार के मोबाइल एप्प्स और वेब पोर्टल पर भी सरकारी नियंत्रण की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जा रही हैं। इसी के साथ समाज को भी ऐसे सभी प्रकार के मोबाइल एप्प्स और वेब पोर्टल पर दिखाई जाने वाली अश्लीलता का खुलकर विरोध करते हुए सरकार से कड़े नियम बनाने के लिए आवाज उठाने की आवश्यकता हैं।
वर्तमान में भारतीय समाज को सोशल मीडिया और ऐसे सभी इंटरनेट मोबाइल एप्प्स और वेब पोर्टल पर सरकारी नियतंरण के लिए सरकार और प्रशासन के सामने बड़े पैमाने पर आपत्ति दर्ज करने की जरुरत देखी जा रही हैं। क्योंकि तकनीक के माध्यम से भारतीय युवा पीढ़ी को अपने प्रारम्भ के समय से ही काम वासना के जाल में फ़साने कर उनके जीवन को गौण बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसे अनेक प्रकार के अश्लील कंटेंट देखे जा सकते हैं जिसमे अश्लीलता के माध्यम से भारतीय परिवार व्यवस्था को नष्ट करने का काम किया जा रहा हैं। जिसकी चर्चा समाज के भीतर प्रबुद्ध लोगो को करने की आवश्यकता हैं। ताकि समय पर जागरूकता के साथ समाज और परिवार को गर्त में जाने से रोका जा सकता हैं।
(लेखक अधिवक्ता हैं)