स्टालिन..सुप्रीम कोर्ट और नूपुर शर्मा!
तमिलनाडू के मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन (जिन्हें कि एम.के. स्टालिन के नाम से जाना जाता है) के पुत्र पिछले कुछ अरसे से ख़ासे विवादों के घेरे में फंसे हैं। उनके पुत्र का नाम उदयनिधि स्टालिन है और वे इसी नाम से जाने भी जाते हैं। यह स्टालिन शब्द इन पिता-पुत्रों के नाम में कैसे जुड़ा यह शोध का विषय हो सकता है।
वैसे विश्व के सबसे अधिक कुख्यात तानाशाह स्टालिन का नाम था जोज़फ़ स्टालिन जो कि रूस का तानाशाह था और जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके कहने पर दो करोड़ से अधिक रूसियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। कुछ नाम ऐसे होते हैं जिन्हें आमतौर पर माँ-बाप अपने बच्चों को नहीं देते हैं। भारत में कंस, रावण, मेघनाद या जयचन्द जैसे नामों से परहेज़ किया जाता है। इसी तरह वैश्विक स्तर पर हिटलर, स्टालिन और मुसोलिनी जैसे नामों का भी एक तरह से सामाजिक बहिष्कार किया जाता है।
उदयनिधि स्टालिन ने अपने नाम के अनुसार ही एक विवाद खड़ा कर दिया। याद रहे कि वे एक विधायक भी हैं और तमिलनाडु में एक मंत्री भी। वे एक सम्मेलन में अपना लिखा हुआ भाषण पढ़ रहे थे। सम्मेलन कोई साधारण सम्मेलन नहीं था। उसका शुभ नाम था- 'सनातन उन्मूलन सम्मेलनÓ! उदयनिधि स्टालिन ने अपने लिखित भाषण में कहा, 'इस सम्मेलन का शीर्षक बहुत अच्छा है। आपने 'सनातन विरोधी सम्मेलनÓ के बजाय 'सनातन उन्मूलन सम्मेलनÓ का आयोजन किया है. इसके लिए मेरी बधाई। हमें कुछ चीज़ों को ख़त्म करना होगा। हम उसका विरोध नहीं कर सकते। हमें मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना वायरस इत्यादि का विरोध नहीं करना चाहिए।Ó
'हमें इसका उन्मूलन करना चाहिए। सनातन धर्म भी ऐसा ही है। तो पहली चीज़ यही है कि हमें इसका विरोध नहीं करना है बल्कि इसका उन्मूलन करना है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ़ है। इसलिए आपलोगों ने सम्मलेन का शीर्षक अच्छा रखा है। मैं इसकी सराहना करता हूँ।Ó
यह सब उदयनिधि स्टालिन ने बोला और पढ़ कर बोला। इस सब की वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध है। इसलिये वे लाख कहें कि उनकी बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, कोई भी उन पर विश्वास नहीं कर पाएगा। परेशान करने वाली बात यह है कि जो काम विदेशी आक्रांता अपने आठ सौ सालों के आक्रमणों और राज में नहीं कर पाए, उदयनिधि स्टालिन यह काम आज वर्ष 2023 में करने के लिये तमिल लोगों की भावनाओं को उकसा रहा है।
डी.एम.के. सांसद ए. राजा ने सनातन के विरुद्ध विष वमन का गेयर बदलते हुए कहा कि सनातन धर्म पर उदयनिधि का रुख बहुत नरम था। इसकी तुलना सामाजिक कलंक वाली कुछ बीमारियों से की जानी चाहिए, जबकि उदयनिधि ने इसकी तुलना डेंगू और मलेरिया से की है। राजा ने कहा, 'सनातन धर्म की तुलना एड्स और कुष्ठ रोग जैसी सामाजिक कलंक वाली बीमारियों से की जानी चाहिए।Ó
वहीं, इंडी गठबंधन का हिस्सा बिहार के राष्ट्रीय जनता दल के नेता जगदानंद सिंह ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि तिलक लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया। आर.जे.डी. बिहार के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा, 'देश गुलाम किस समय हुआ? क्या उस समय कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद, राम मनोहर लोहिया जैसे नेता थे?Ó
ध्यान देने लायक बात यह है कि मुंबई में विपक्षी दलों की मीटिंग के तुरंत बाद ही सनातन पर हमले होने लगे। जब इन हमलों के बारे में कांग्रेस के नेताओं से पूछा गया तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक के आईटी-बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने भी सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दिया है। सनातन धर्म पर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि कोई भी धर्म जो असमानता को बढ़ावा देता है, वह बीमारी ही है। उन्होंने कहा, 'कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है और यह सुनिश्चित नहीं करता है कि आपके पास एक इंसान होने की गरिमा है। मेरे अनुसार वह धर्म नहीं है। मेरे हिसाब से कोई भी धर्म जो आपके साथ इंसान की तरह व्यवहार नहीं करता है, वह धर्म नहीं है। इसलिए यह एक बीमारी जितना ही अच्छा है।
डीएमके नेता और शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने भी सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी की है। के. पोनमुडी ने कहा कि इंडिया गठबंधन का गठन सनातनी विचाराधारा के विरोध में किया गया है। उनके अनुसार विपक्षी गठबंधन के सदस्य दलों में अन्य मुद्दों पर मतभेद हो सकता है मगगर सनातन विचारधारा को लेकर सभी एकमत हैं। डीएमके मंत्री ने कहा कि इंडिया गठबंधन का उद्देश्य सनातन धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ लड़ने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन गठबंधन में 26 पार्टियां सनातन धर्म के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि जब सनातन धर्म को खत्म करने की बात आती है तो हम सभी एक बिंदु पर सहमत होते हैं। हम सभी एक ही चीज चाहते हैं, समानता, सामाजिक न्याय, अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा, लैंगिक समानता.. आप और मैं केवल इस पर बोल सकते हैं, लेकिन जब हम राजनीति में जीतते हैं, तो हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हम बदलाव कर सकते हैं।
कांग्रेस ने कहा कि उसे सनातन और राष्ट्रवाद पर ढोंगियों से प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस सर्वधर्म समभाव में विश्वास करती है। हम लोगों को बीजेपी से राष्ट्रवाद, सनातन धर्म और आजादी के आंदोलन में योगदान का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए क्योंकि इन सब पर उसका स्कोर जीरो है। मगर कांग्रेस पार्टी यह बात समझ नहीं पा रही है कि स्टालिन और राजा की टिप्पणियों से डी.एम.के. पार्टी का तो कुछ नुक्सान होने वाला नहीं, मगर कांग्रेस को इसका ख़मियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
वहीं स्टालिन ने आग में घी डालने का काम करते हुए कहा, 'हम अपनी बात पर कायम हैं और किसी भी कानूनी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। हम द्रविड़ भूमि से सनातन धर्म को हटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इससे एक इंच भी पीछे नहीं हटने वाले।Ó
स्वाभाविक है कि भारतीय जनता पार्टी को घर बैठे एक ज्वलंत मुद्दा 2024 के चुनावों के लिये मिल गया। जे.पी. नड्डा, अमित शाह से लेकर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन के नेताओं को ललकारते हुए पूछा कि वे सनातन धर्म पर अपना मत स्पष्ट करें। मगर हम सब जानते हैं कि राजनीति में कोई भी दल अपने पत्ते खोलने में विश्वास नहीं रखता। एक टीवी चैनल पर भारतीय जनता पार्टी की एक प्रवक्ता ने बहुत तीखा सवाल पूछा कि एम.के. स्टालिन, उदयनिधि स्टालिन और ए. राजा जब ईसाई धर्म अपना चुके हैं, तो उन्हें सनातन धर्म पर टिप्पणी करने का क्या हक़ है?
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने विपक्षी गठबंधन को सनातन विरोधी करार देते हुए कहा कि, बाबर जैसे मुगल शासकों, अंग्रेजों और जबरिया धर्मांतरण के एजेंडा के साथ गोवा आए पुर्तगालियों ने सनातन हिंदू धर्म को मिटाने की कोशिश की थी, लेकिन ये सब इसमें कामयाब नहीं हो सके। अब 'इंडियाÓ गठबंधन में शामिल दल मिलकर सनातन धर्म को मिटाना चाहते हैं। इसलिए सनातन हिंदू धर्म के लोगों के लिए यही ठीक रहेगा कि वे इन दलों को भगाएं विपक्षी गठबंधन 'इंडियाÓ में शामिल दलों के नेता सनातन हिंदू धर्म के बारे में लगातार अपशब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं और सनातन हिंदू धर्म का अपमान इस गठजोड़ की नीति है।
वहीं साधु संत भी सनातन धर्म के विरुद्ध लगातार विष-वमन होते देख और सरकार की ओर से कोई कार्यवाही न होते देख अपना आपा खोने लगे। एक बेचारी नूपुर शर्मा होती थी। उसने स्टालिन और इंडी गठबंधन के नेताओं के मुकाबले अपने टीवी चैनल पर जो कहा था वो तो किसी लोरी जैसा रहा होगा। और वो आज तक अपना चेहरा छुपा रही है और सर तन से जुदा होने के ख़ौफ़ में जी रही है।
सबसे महान है भारत की सुप्रीम कोर्ट। उसने कुछ अपराधियों के लिये रात को बारह बजे भी अदालत का कमरा खोल कर सुनवाई की है। नूपुर शर्मा के मामले में उसे बहुत सी कड़ी हिदायतें भी दी हैं। जब उनका जी चाहता है वे स्वत: संज्ञान भी ले लेते हैं। मगर जहां तक सनातन धर्म के विरुद्ध विष-वमन और उसके निर्मूलन के बयानों का सवाल है सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध भी ठुकरा दिया। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुनवाई के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाए।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं एवं लंदन में रहते हैं)