खूंखार कुत्तों को रखने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
कुत्तों के काटने की लगातार होने वाली घटनाओं के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने खतरनाक कुत्तों को रखने के मुद्दे पर अहम आदेश दिया है। पिटबुल- टेरियर-अमेरिकन बुलडॉग और रॉटविलर जैसे खतरनाक कुत्तों की नस्लों को रखने के लाइसेंस पर प्रतिबंध लगाने और रद्द करने के मुद्दे पर अदालत ने केंद्र सरकार को तीन माह के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा है। अदालत ने अक्टूबर माह में याचिकाकर्ता लॉ-फर्म द्वारा दिए गए प्रतिवेदन पर जल्द से जल्द विचार करने को कहा है। दरअसल बीते दिनों देश में लगातार कुत्ते के काटने व हमला करने से कई लोगों की जानें गई हैं। कुछ लोग तो बिना लाइसेंस के ही खतरनाक नस्ल के कुत्तों को पाल रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि ऐसी नस्ल के कुत्तों द्वारा अपने मालिकों सहित लोगों पर हमला करने की कई घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा यह भी कहा गया कि ब्रिटेन के खतरनाक कुत्ते अधिनियम(1991) में पिटबुल और टेरियर को लड़ाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। सार्वजनिक सुरक्षा के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया। टाइम मैगजीन के अनुसार अमेरिका में पिटबुल और टेरियर्स की संख्या कुत्तों की आबादी का केवल छह प्रतिशत है लेकिन वर्ष 1982 से कुत्तों द्वारा किए जाने वाले 68 प्रतिशत हमलों और कुत्तों से संबंधित 52 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। याचिका के अनुसार आम तौर पर पिट बुल एंड टेरियर्स अन्य कुत्तों के प्रति आक्रामक होते हैं। पिटबुल, रॉटवीलर टेरियर्स, बैंडोग अमेरिकन बुलडॉग, जापानी टोसा, बैंडोग नियपोलिटन मास्टिफ वुल्फ डॉग-बोअरबो-ल प्रेसा कैनारियो फिला ब्रासील-रो-टोसा इन- केन कोरसो -गो अर्जेंटीनो जैसे कुत्तों को प्रतिबंधित करना और उनके पालन-पोषण के लाइसेंस को रद्द करना समय की मांग है। याचिका में दावा किया गया था कि यह केंद्र और राज्य सरकार का कर्तव्य है कि लोगों के हित में काम करे और ऐसे खतरनाक नस्लों के कुत्तों के काटने की किसी भी बड़ी घटना के जोखिम से नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए पूर्वव्यापी कार्रवाई करें। दरअसल दोनों तरह के कुत्तों से मानव जीवन पर प्रहार हो रहा है चूंकि जो लोग खतरनाक नस्ल पालते हैं उनसे दूसरों को खतरा होता है लेकिन अपनी जान का भी खतना बना होता है वहीं स्ट्रीट डॉग से बाहरी लोगों को लगातार खतरा रहता है। कुत्तों की लगातार वृद्धि होने से मानव जीवन पर संकट आ गया है। बिना वजह लोगों का मरना एक चिंता का विषय बन चुका है जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेते हुए इस पर सरकार को एक्शन लेने को कहा है। मानव जीवन की अप्राकृतिक हानि बहुत तकलीफ देती है लेकिन हम इसके लिए न जाने क्यों गंभीर नही हैं। कई जगह तो ऐसी हैं जहां स्ट्रीट डॉग्स की वजह से लोगों ने उस रास्ते से जाना ही बंद कर दिया और ऐसा कई वर्षों से चल रहा है लेकिन बावजूद इसके निगम इस पर कोई भी एक्शन लेने को तैयार नहीं है। बीते दिनों एक खाना देने वाले डिलीवरी ब्वॉय के पीछे कुत्ते पड़ गए जिसकी वजह से उसने अपनी मोटरसाईकिल तेज भगाई और उसका बैलेंस नहीं बन पाया जिससे उसने एक खंबे में जाकर टकराई और वह वहीं मर गया।
एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा आवारा कुत्तों के हमले भारत में होते हैं। इस मामले में लगी याचिका में याचिकाकर्ता बैरिस्टर लॉ.फर्म ने आरोप लगाया था कि खतरनाक नस्लों के कुत्ते भारत सहित 12 से अधिक देशों में प्रतिबंधित हैं लेकिन दिल्ली नगर निगम अभी भी इनका पंजीकरण पालतू जानवर के रूप में कर रहा है। लेकिन वहीं दूसरी खतरनाक कुत्तों को बेचने व पालने वालों को भी यह समझना होगा कि वह इन नस्लों को आगे न बढ़ाए । दरअसल देशभर में कई लोगों ने खतरनाक कुत्तों का प्रजनन करके उनको बेचने का व्यापार बना रखा है। यदि सरकार खतरनाक कुत्तों को रखने के लिए लाइसेंल नहीं भी देगी तो वह चोरी से इनको रखेंगे। दरअसल सरकार को इसके लिए एक विशेष अतिरिक्त विभाग बनाकर इस मामले पर बड़ा काम करना होगा चूंकि जितना आसान लग रहा है उतना है नहीं सबसे पहले तो इसके प्रजनन पर प्रतिबंध लगाना होगा चूंकि जब ये नस्ल आगे बढ़ेगी नहीं तो यह खत्म हो जाएगी दूसरा इसकी खरीद-फिरोख्त पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा देना चाहिए और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान कर देना चाहिए जिससे कोई कानून के विपरीत न जाए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)