शिक्षण संस्थानों में भी आतंकी घुसपैठ
भारत में चुनाव से पूर्व वातावरण खराब करने के पर्याप्त संकेत मिल रहे हैं। इसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान और पाकिस्तान परस्त आतंकियों के शामिल होने का भी अनुमान है। हालात ये है कि आतंकवाद के समर्थन में आने वाले छात्रों के पास भी पाकिस्तान निर्मित एके 47 रायफल और विस्फोटक सामग्री मिलती है। इससे यह सहज ही अनुमान लगता है कि पाकिस्तान अपना नेटवर्क भारत के शैक्षणिक संस्थानों में भी विकसित कर रहा है। युवा वर्ग में कुछ ऐसे भी होते हैं, जिनमें पैसों की चाहत में भटकने की आशंका होती है। आतंकवादी तत्वों की नजर ऐसे भटके युवाओं पर भी रहने लगी है।
कुछ दिनों पूर्व ही एक समाचार आया था कि पंजाब में पढ़ाई के लिए पहुंचे तीन विद्यार्थियों को एके 47 बंदूकों के साथ पुलिस ने पकड़ा है। इनके पास से भारी विस्फोटक सामग्री भी मिली। हम जानते हैं पंजाब बहुत समय पहले आतंकवाद से ग्रसित राज्य रहा है। दूसरी बात यह भी है कि पाकिस्तान की ओर से पंजाब में सुनियोजित तरीके से नशीले पदार्थों का जाल फैलाया गया है। पंजाब का युवा वर्ग आसानी से नशे की चपेट में आ रहा है। यह भी हो सकता है कि पकड़े गये तीनों विद्यार्थी पाकिस्तान के मंसूबे को पूरा करने के लिए सपना पाले हुए हों। यह तीनों ही छात्र जम्मू कश्मीर के रास्ते से पंजाब चहुंचे थे। ऐसी स्थिति में हमारे देश के सुरक्षा बल और सुरक्षा एजेंसियों पर भी गहरा सवालिया निशान खड़ा हो जाता है। वो तो भला हो जम्मू कश्मीर पुलिस का जो उन्होंने सूत्रों के आधार पर इन छात्रों का नियोजित तरीके से पीछा किया और पंजाब पुलिस का सहयोग प्राप्त कर इन्हें गिरफ्तार कर लिया।
पंजाब के अलावा देश के अन्य कुछ विश्वविद्यालयों में भी आतंकी गतिविधि के संचालन के समाचार प्राप्त होते रहे हैं। इसमें जेएनयू का नाम पिछले दिनों खूब चर्चा में रहा। वहां भारत तेरे टुकड़े होंगे और हमें चाहिए आजादी जैसे नारे खुलेआम रूप से लगाए गए। विसंगति तो यह है कि ऐसे राष्ट्र विरोधी कृत्यों को हमारे देश में राजनीतिक समर्थन भी मिल जाता है। चिंता की बात यह भी है कि कांग्रेस और वामपंथी दलों के राजनेता ऐसा करने वालों को प्रोत्साहित करते हैं। जाधवपुर विश्वविद्यालय में भी ऐसा ही वाकया देखने को मिल चुका है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि देश के कुछ विश्वविद्यालयों में आतंकी नेटवर्क गहरे संबंध स्थापित कर चुका है। इन सबकी व्यापक पैमाने पर जांच होना ही चाहिए, नहीं तो यह हो सकता है कि हम खतरे को स्वयं ही आमंत्रण दे रहे हैं।
इसी प्रकार अभी हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि यहां भी कुछ छात्र आतंकियों के समर्थन में गतिविधि का संचालन कर रहे हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले तीन छात्रों को भी आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर मन्नान बशीर वानी के समर्थक होने के कारण विश्वविद्यालय ने निलंबित कर दिया गया है। यहां सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि चाहे वह पंजाब हो या फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, पढ़े- लिखे छात्र आतंकवादियों के साथ कदम से कदम क्यों मिला रहे हैं? इनका उद्देश्य क्या है? इसकी पड़ताल के बाद संभवत: यही निष्कर्ष निकलता है कि कहीं न कहीं पाकिस्तान और आतंकवादी भारत में वातावरण को प्रदूषित करना चाहते हैं। आतंकवादी मन्नान बशीर वानी के मारे जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों की सक्रियता एकाएक बढ़ जाती है और मन्नान बशीर वानी के समर्थन में नमाज भी पढ़ी जाती है। हालांकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह साफ कर दिया था कि विश्वविद्यालय में राष्ट्रद्रोही गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तीन छात्रों के निलंबन के साथ ही चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जहां तक पंजाब में गिरफ्तार किए गए छात्रों की बात है, तो पहला प्रश्न यही है कि यह छात्र एके 47 बंदूक लेकर पंजाब तक कैसे आ गए। एके 47 बंदूक कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जिसे जेब में लेकर लाया जाए। इन छात्रों से पुलिस ने एके-47 सहित पिस्तौल व विस्फोटक सामग्री बरामद की है। पकड़े जाते समय यह तीनों ही विद्यार्थी जालंधर के एक इंजीनियरिंग संस्थान में पिछले 72 घंटों से किसी घटना को अंजाम देने की ही योजना बना रहे थे।
हम जानते हैं कि आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर भी पंजाब के साथ सटा राज्य है। जालंधर की घटना पुलिस प्रशासन और राजनेताओं के कान खड़े करने के लिए काफी है। शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से जम्मू कश्मीर के युवा पूरे भारत में फैलते जा रहे हैं। इनका मकसद सिर्फ शिक्षा होने पर यह स्वागत योग्य कदम है। इसके विपरीत शिक्षा संस्थानों के माध्यम से आतंक फैलाने का नया रूप निश्चित रुप से चिंतनीय है। आतंकी, शिक्षा संस्थाओं में घुसपैठ कर सुरक्षा के लिए चुनौती बनें, इससे पहले पुलिस को अत्यंत ही सावधान होकर काम करना चाहिए। अब हमारे देश की गुप्तचर संस्थाओं को इस बात का भी पता करना चाहिए कि शिक्षा संस्थानों में ऐसे कितने छात्र हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं।