पापी, जेबकतरा तो पनौती हो गया!
पूरा क्रिकेट जगत इस गुत्थी को हल नहीं कर पा रहा कि आखिर भारत लगातार दस मैच जीतने के बाद विश्व कप 2023 के फ़ाइनल में बुरी तरह से कैसे हार गया। तमाम विशेषज्ञ, भूतपूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और कमेंटेटर बुरी तरह से हैरान थे कि आखिर हुआ क्या। रोहित शर्मा ने बढ़िया शुरूआत की, कोहली और राहुल ने अर्ध-शतक जमाए मगर फिर भी लगा जैसे भारतीय टीम जीतने के लिये नहीं खेल रही। कारण खोजने की दौड़ में वो लोग भी जुड़ गये जिन्हें क्रिकेट की सही स्पेलिंग भी नहीं आती। भारत के अगले प्रधानमंत्री बनने का सपना आँखों में पाले माननीय राहुल गांधी ने भी अपना 'दिमागÓ लगाया और पाया कि उन्हें सही मायने में मालूम है कि भारतीय टीम मैच क्यों हारी। जब उनके दिमाग में महात्मा बुद्ध ने ज्ञान की ज्योति जगाई उस समय वे राजस्थान के शहर जालोर में एक रैली में अपने मुखारविंद से मोती बरसा रहे थे।
उन मोतियों की एक माला बन कर उपस्थित जन-समूह के सामने उभर कर आ गई। रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, 'अच्छा भला हमारे लड़के वहां वर्ल्ड कप जीत जाते, लेकिन वहां पर पनौती ने हरवा दिया, लेकिन टीवी वाले यह नहीं कहेंगे यह जनता जानती है।Ó पनौती शब्द को राहुल गाँधी ने कई बार दोहराया। कांग्रेस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से राहुल के पनौती वाले बयान को लेकर एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसके बैकग्राउंड में राहुल गांधी पनौती बोल रहे हैं और स्क्रीन पर स्टेडियम में बैठे नरेंद्र मोदी को दिखाया गया है।
अब राहुल गाँधी कोई छोटे नेता तो हैं नहीं। वे कांग्रेस पार्टी के अभूतपूर्व अध्यक्ष हैं जो अपनी पार्टी को चालीस से ऊपर चुनाव हरवा चुके हैं। उनकी बात तो हवा में भी उछाली जाती है तो गूगल बाबा उसे सिली-पाइंट पर लपक लेते हैं। और गूगल पर 'पनौतीÓ शब्द हो गया वायरल। पूरे देश में इस शब्द की चर्चा होने लगी। गूगल बाबा को शब्द खोजते हुए गुदगुदी भी हो रही थी कि आखिर कौन है वो 'पनौतीÓ जिसने भारतीय टीम को जीतता हुआ मैच हरवा दिया। पता किया जाने लगा कि आखिर यह शब्द आया कहां से। ये शब्द है तो हिंदी भाषा का ही। भाषाविद डॉ सुरेश पंत के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई जानकारी के मुताबिक 'पनौतीÓ शब्द हिंदी में 'औतीÓ प्रत्यय से बना है जैसे कि कटौती, चुनौती, मनौती, बपौती। 'पनौतीÓ शब्द 'पनÓ + 'औतीÓ से बना है। 'पनÓ यानी अवस्था या दशा।
पनौती की व्युत्पत्ति यानी 'विशेष उत्पत्तिÓ को समझने के लिए उसके इतिहास, स्वरूप और अर्थ के बारे में हमने यहां बताया है। 'पनौतीÓ शब्द बनने के स्वरूप को समझते हुए हम कह सकते हैं कि इसका अर्थ विस्तार मुसीबत के रूप में है। पनौती का अर्थ बताता है कि यह डरावनी और विनाश की सूचक है। हम तो मानव श्रेष्ठ आदरणीय राहुल गाँधी जी का धन्यवाद इसलिये भी करना चाहेंगे कि उनके 'पनौतीÓ जैसे महान शब्द के अर्थ और व्युत्पत्ति के बारे में कुछ जानकारी मिल पाई।
राहुल गाँधी यहीं नहीं रुके उन्होंने समझा दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गौतम अडानी मिल कर भारतीय नागरिकों की जेब काट रहे हैं। राहुल ने जेब काटने की पूरी प्रक्रिया ऐसे समझाई जैसे उन्होंने जेब काटने पर डॉक्टरेट की उपाधि ले रखी हो। उनके अनुसार नरेन्द्र मोदी जनता का ध्यान भटकाते हैं और गौतम अडानी जेब काट लेता है। जैसे दोनों मिल कर एक जेबकतरा एसोसिएशन चला रहे हों। इससे पहले उत्तरप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय भी इंडिया टीम की हार को लेकर पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। एक बयान में उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी को मैच देखने नहीं जाना चाहिए था। उन्हें देखकर खिलाड़ी तनाव में आ गए थे। उनकी वजह से ही हम हार गए। अगर उन्हें खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना था तो एक दिन पहले ही मिल लेते।
भला अखिलेश यादव कैसे पीछे रह जाते। चुनाव तो उनके यहां भी हो रहा है। ज़ाहिर है कि उन्होंने भी प्रतिक्रिया दी। अखिलेश ने कहा कि मैच हुआ ही ग़लत जगह पर। मैच अगर अहमदाबाद की जगह लखनऊ में होता तो भारत वर्ल्ड कप ज़रूर जीत जाता। यूपी के इटावा में एक सार्वजनिक बैठक में बोलते हुए, सपा प्रमुख ने कहा कि अगर मैच लखनऊ में होता, तो टीम इंडिया को भगवान विष्णु और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आशीर्वाद मिलता।
ज़ाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी यह सब सुन कर चुप रहने वाली नहीं थी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि राहुल गांधी राष्ट्रीय शर्म हैं, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में विद्वेष से इतने भरे हुए हैं कि उन्होंने देश की हार पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उन्होंने कहा, 'जब पूरी जनता की आंखों में आंसू थे, तब राहुल गांधी आनंद ले रहे थे। बुद्धि-हीनता का इससे बड़ा उदाहरण दूसरा नहीं हो सकता। राहुल बाबा अपने ऐसे बयानों से कांग्रेस को समाप्त कर के मानेंगे। उधर ऑस्ट्रेलिया में शायद अपने उप-प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स को भाग्य का सितारा घोषित किया जा रहा होगा क्योंकि वे भी मैच में उपस्थित थे। सोचना यह भी पड़ेगा कि कहीं उनकी उपस्थिति तो भारत के लिये अपशकुन साबित नहीं हुई! दरअसल सट्टाबाज़ार और 'बेटिंग शॉप्सÓ वाले हैरान हैं कि उन्हें अब तक कुछ नहीं मालूम था कि मैच किन कारणों से जीते और हारे जाते हैं। वे भारतीय राजनीतिक नेताओं के पीछे भाग रहे हैं। उनसे मिलने का समय मांग रहे हैं। वे जानना चाहते हैं कि किस प्रतियोगिता में कौन सा देश विजयी होगा और क्यों। यह भी जानना चाहेंगे कि कौन पापी है और कौन पनौती! ऊपर से पहले टी-20 मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया। चारों ओर उलटे-पुलटे भ्रम फैल रहे हैं। भारत की जीत के कारणों को खोजा जा रहा है।
उधर पुजारी, मौलवी, पादरी सब ख़ुशियां मना रहे हैं। अब वे आसानी से अंधविश्वासों और भ्रांतियों का व्यापार कर पाएंगे। जब देश के नेता ही अंधविश्वासों को हवा देंगे, तो जिनका धंधा ही ऐसी गतिविधियों पर चलता हो, वे भला क्यों पीछे रहेंगे? अब काली बिल्ली के रास्ता काटने पर, अचानक छींक आ जाने पर, अनलक्की 13 के आंकड़े पर, और लक्की-7 पर भी बातें होंगी। यह तो सर्व-विदित ही है कि बीजिंग में पिछले ओलंपिक्स के आरंभ होने की तिथि क्या थी- 08-08-08, समय था रात्रि के 08.08 बजे।
मेरा मानना है कि भारतीय राजनीति में भाषा का स्तर बहुत निम्न स्तर तक पहुंच गया है। कोई भी राजनीतिक दल अपने आपको पाक-साफ घोषित नहीं कर रहा। कांग्रेस, भाजपा, सपा, टी.एम.सी., वामपंथी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल या फिर जे.डी.यू. जैसे तमाम दलों के नेताओं ने अपने विरोधियों को घटिया भाषा में कुछ न कुछ जुमले कहे हैं। मगर टीवी डिबेट में हर राजनीतिक दल का प्रवक्ता कहता है कि अमुक पार्टी के नेता भी तो निचले स्तर की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। याद रहे यदि तमाम पार्टियों के नेता गलत भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, तो भी भाषा गलत ही रहेगी। सुधार की आवश्यकता सब को है, पहले अपने घर में चिराग जलाओ फिर दूसरे के घरों के अंधेरे की बात करो।
(लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं एवं लंदन में रहते हैं)